CBSE बोर्ड परीक्षा 2026 से कक्षा 10 के छात्रों को अब बोर्ड परीक्षा साल में दो बार देने का अवसर मिलेगा, जिससे उनके ऊपर से परीक्षा का तनाव कम होगा। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने 26 जून 2025 को घोषणा की कि यह बदलाव शैक्षणिक सत्र 2026-27 से लागू किया जाएगा। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) की सिफारिशों के अनुरूप है।
क्या है नया बदलाव?
- कक्षा 10 के छात्र अब साल में दो बार बोर्ड परीक्षा दे सकेंगे।
- दूसरी परीक्षा केवल प्रदर्शन सुधारने के लिए दी जा सकेगी।
- यह विकल्प केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगा जो पहली परीक्षा पास करेंगे।
- छात्र अधिकतम तीन शैक्षणिक विषयों में सुधार की परीक्षा दे सकते हैं।
- यह बदलाव केवल कक्षा 10 के लिए है, कक्षा 12 को लेकर फिलहाल कोई घोषणा नहीं हुई है।
CBSE बोर्ड परीक्षा 2026 में यह क्यों जरूरी था?
बोर्ड परीक्षा का दबाव कम करना लंबे समय से चर्चा का विषय रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि बोर्ड परीक्षाओं को कम “हाई स्टेक” बनाना चाहिए, ताकि छात्रों को असफलता का डर न सताए और वे मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकें।NEP 2020 कहती है कि छात्रों को “एक से अधिक अवसर” मिलने चाहिए, जिससे वे अपने सीखने के अनुभव को गहराई से समझ सकें और सिर्फ अंकों पर आधारित मूल्यांकन से मुक्त हो सकें।
इससे छात्रों को क्या लाभ मिलेगा?
- परीक्षा का तनाव कम होगा:
छात्रों को अब यह डर नहीं सताएगा कि अगर पहली परीक्षा बिगड़ गई तो भविष्य बर्बाद हो जाएगा। - प्रदर्शन सुधारने का अवसर:
अगर कोई छात्र पहली परीक्षा में पास हो जाता है लेकिन अंकों से संतुष्ट नहीं है, तो वह दूसरी बार कोशिश कर सकता है। - विषयों की पुनरावृत्ति का मौका:
दूसरी परीक्षा की तैयारी करते समय छात्र विषय को और अच्छी तरह से समझ पाएंगे। - मनोवैज्ञानिक दबाव में कमी:
छात्रों और अभिभावकों पर कम मानसिक दबाव पड़ेगा, जिससे उनका समग्र विकास बेहतर होगा।
क्या यह विकल्प सभी छात्रों के लिए होगा?
नहीं। CBSE ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा केवल उन्हीं छात्रों को मिलेगी जो पहली परीक्षा में पास होंगे। जो छात्र पहले प्रयास में अनुत्तीर्ण होंगे, उन्हें री-एग्ज़ामिनेशन या पूरक परीक्षा के सामान्य नियमों के अनुसार ही मौका मिलेगा।
परीक्षा का शेड्यूल कैसे होगा?
- साल में दो परीक्षाएं होंगी: पहली मुख्य परीक्षा और दूसरी सुधार परीक्षा।
- दोनों परीक्षाओं के बीच पर्याप्त अंतराल होगा ताकि छात्र तैयारी कर सकें।
- छात्रों को बेस्ट ऑफ टू का लाभ मिलेगा यानी जिसमें ज्यादा अंक होंगे वही फाइनल मार्कशीट में दर्ज होंगे।
स्कूलों और शिक्षकों की भूमिका
इस बदलाव को लागू करने के लिए स्कूलों को अपनी शैक्षणिक योजनाओं में बदलाव करने होंगे। शिक्षकों को छात्रों को दो बार परीक्षा की तैयारी के लिए मार्गदर्शन देना होगा। इसके साथ ही CBSE द्वारा नए परीक्षा पैटर्न, मूल्यांकन मानदंड और सिलेबस स्ट्रक्चर की घोषणा भी की जाएगी।
यह कदम क्यों महत्वपूर्ण है?
- भारत में शिक्षा को अधिक लचीला और छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है।
- यह NEP 2020 की भावना के अनुरूप है जो कहती है कि शिक्षा को तनाव रहित, समावेशी और संपूर्ण विकास के लिए अनुकूल होना चाहिए।
- यह निर्णय छात्रों को सीखने के लिए प्रोत्साहित करेगा, न कि सिर्फ परीक्षा पास करने के लिए।
- CBSE बोर्ड परीक्षा 2026 के लिए साल में दो बार परीक्षा का विकल्प छात्रों और अभिभावकों दोनों के लिए एक सकारात्मक बदलाव है। इससे न केवल परीक्षा का तनाव कम होगा, बल्कि छात्रों को अपनी क्षमताओं को सुधारने और बेहतर प्रदर्शन करने का दूसरा मौका भी मिलेगा।जैसे-जैसे CBSE इस प्रणाली के लागू करने के दिशा-निर्देश जारी करेगा, स्कूलों, शिक्षकों और छात्रों को इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए। शिक्षा में यह लचीलापन आने वाले वर्षों में भारत के लाखों छात्रों को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य, समग्र विकास और नई संभावनाओं की ओर ले जाएगा।
संबंधित पोस्ट
पुरी रथयात्रा में भगदड़, 3 श्रद्धालुओं की मौत, कई घायल; प्रशासन पर उठे सवाल
कोलकाता लॉ छात्रा से गैंगरेप मामला: मेडिकल रिपोर्ट में क्रूरता के मिले संकेत
हरियाणा कैडर की IPS अधिकारी स्मिति चौधरी का निधन, पुलिस परिवार में शोक