देश की संसद में हाल ही में पारित वक्फ संशोधन विधेयक पर सियासी और सामाजिक हलकों में गहमागहमी तेज़ हो गई है। जहां एक तरफ़ AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस बिल को मुसलमानों के खिलाफ साजिश बताया है, वहीं दूसरी ओर कुछ मुस्लिम संगठनों ने सरकार की मंशा पर भरोसा जताया है।
ओवैसी का तीखा हमला: “मुसलमानों को जलील करने की कोशिश”
असदुद्दीन ओवैसी ने खुलकर केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा: “जब वक्फ बिल कानून बन जाएगा, तो संभल की मस्जिद, अजमेर की दरगाह और लखनऊ का इमामबाड़ा जैसे धार्मिक स्थल वक्फ की संपत्ति नहीं रहेंगे। सरकार इन्हें अपने कब्जे में ले लेगी।”
उन्होंने आरोप लगाया कि यह “असंवैधानिक कानून” देश को गुमराह करने और मुस्लिम धार्मिक स्थलों को निशाना बनाने की कोशिश है।
“अब गैर-मुस्लिम लोग मुस्लिम धार्मिक स्थलों का प्रबंधन करेंगे, ये पूरी तरह नाइंसाफी है।” – ओवैसी ने कहा।
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संसद में बिल फाड़ने तक पहुंची नाराज़गी
2 अप्रैल को, जब संसद में वक्फ बिल पर 14 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई, तब ओवैसी ने गुस्से में बिल को फाड़ दिया।
उन्होंने कहा:
“मैं गांधी की तरह इस वक्फ बिल को फाड़ता हूं। इसका मकसद सिर्फ मुसलमानों को जलील करना है।”
इसके बाद वे विरोध स्वरूप संसद की कार्यवाही से वॉकआउट कर गए।
ओवैसी का आरोप: “बीजेपी मुसलमानों से नफरत करती है”
ओवैसी ने सीधा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा और कहा:
“मोदी ने पूरे देश के मुसलमानों पर हमला किया है। वक्फ बिल के जरिए माहौल बिगाड़ने की कोशिश हो रही है। इससे देश में दंगे भड़क सकते हैं।”
उन्होंने बताया कि वे इस बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील भी कर चुके हैं।
दूसरी तरफ़ कुछ मुस्लिम संगठनों ने जताया समर्थन
वहीं इस मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के कई मुस्लिम संगठनों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आई है।
बरेली में ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा:
“मैं भारत सरकार का शुक्रिया अदा करता हूं। अगर इस कानून से पारदर्शिता और जवाबदेही आए, तो हम इसका स्वागत करते हैं।”
उनका कहना है कि अगर वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और धार्मिक स्थलों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने के लिए ये कदम उठाया गया है, तो इससे समुदाय को ही फायदा होगा।
वक्फ बिल बना राजनीतिक और धार्मिक बहस का मुद्दा
वक्फ संशोधन विधेयक के पारित होते ही सियासत गरमा गई है। जहां एक ओर ओवैसी जैसे नेता इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ हमला बता रहे हैं, वहीं कुछ धार्मिक संगठन इसमें सुधार की संभावना देख रहे हैं।
अब यह देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट में इस पर क्या फैसला आता है और आने वाले समय में यह कानून मुस्लिम धार्मिक स्थलों के अधिकार और प्रबंधन को किस दिशा में ले जाता है।
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