ओवैसी ने भागवत के बयानों को बताया पाखंड, विपक्ष पर साधा निशाना

हैदराबाद से एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। 17 मई को साक्षात्कार में ओवैसी ने भागवत के मुसलमानों के प्रति दिए गए बयानों को “पाखंडपूर्ण और निरर्थक” करार दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रमुख द्वारा समय-समय पर दिए जाने वाले शांतिदायक बयान केवल दिखावा हैं और इनका कोई ठोस प्रभाव नहीं होता। गौरतलब है कि पिछले साल मोहन भागवत ने कहा था कि मंदिर-मस्जिद के नए विवाद खड़े करके कोई नेता बनने की कोशिश न करे। उन्होंने यह भी जोड़ा था कि भारत को दुनिया को दिखाना चाहिए कि सभी समुदाय एक साथ रह सकते हैं।

ओवैसी ने भागवत के इस बयान को खोखला बताते हुए कहा कि यह केवल शब्दों का खेल है। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऐसी बयानबाजी से कोई सकारात्मक बदलाव नहीं आता। इसके साथ ही, ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की लगातार चुनावी जीत के कारणों पर भी चर्चा की। उन्होंने बीजेपी की सफलता को विपक्ष की विफलता और हिंदू मतदाताओं के एकजुट होने का परिणाम बताया। ओवैसी ने स्पष्ट किया कि उन पर मोदी विरोधी मतों में सेंध लगाने का आरोप लगाना पूरी तरह गलत है।

उन्होंने सवाल उठाया कि अगर वह 2024 के लोकसभा चुनाव में हैदराबाद, औरंगाबाद, किशनगंज और कुछ अन्य सीटों पर चुनाव लड़ते हैं और बीजेपी को 240 सीटें मिलती हैं, तो क्या इसके लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया जा सकता है? ओवैसी ने कहा, “बीजेपी सत्ता में इसलिए आ रही है क्योंकि विपक्ष नाकाम रहा है। बीजेपी ने लगभग 50 प्रतिशत हिंदू मतों को अपने पक्ष में कर लिया है।” उन्होंने विपक्षी दलों पर मुस्लिम वोटों को केवल चुनावी लाभ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।

ओवैसी ने विपक्षी दलों की उस मानसिकता पर भी निशाना साधा, जो उनकी पार्टी को बीजेपी की “बी-टीम” कहती है। उन्होंने इसे विपक्ष की उनकी पार्टी के प्रति नफरत का परिणाम बताया, क्योंकि एआईएमआईएम मुख्य रूप से मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करती है। ओवैसी ने कहा कि विपक्षी दल मुस्लिम वोटों को केवल एक वोट बैंक के रूप में देखते हैं, लेकिन उनके वास्तविक मुद्दों जैसे शिक्षा, नौकरी और सामाजिक उत्थान पर ध्यान नहीं देते।

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, “यादव नेता होंगे, ऊंची जाति के लोग नेता होंगे, लेकिन मुसलमान भिखारी होंगे। यह कैसे उचित है?” ओवैसी ने सवाल किया कि जब समाज के हर वर्ग को राजनीतिक नेतृत्व मिल सकता है, तो मुस्लिम समुदाय को क्यों नहीं? उन्होंने कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी (बसपा), समाजवादी पार्टी (सपा) सहित सभी विपक्षी दलों की इस सोच पर सवाल उठाए।

ओवैसी ने भारत के संस्थापक नेताओं के सहभागी लोकतंत्र के सपने का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम समुदाय की भागीदारी के बिना यह सपना अधूरा है। उन्होंने चेतावनी दी कि भारत इतने बड़े समुदाय को हाशिए पर रखकर 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल नहीं कर सकता। ओवैसी ने राजनीतिक दलों से आग्रह किया कि वे मुस्लिम समुदाय को केवल वोट बैंक के रूप में देखना बंद करें। इसके बजाय, उनकी शिक्षा, रोजगार, और सामाजिक विकास के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

इस साक्षात्कार में ओवैसी ने न केवल आरएसएस और बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाए, बल्कि विपक्षी दलों की रणनीति और सोच को भी कठघरे में खड़ा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि मुस्लिम समुदाय के हितों की रक्षा और उनकी आवाज को बुलंद करना उनकी पार्टी का प्रमुख लक्ष्य है।

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