पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में भारत द्वारा किए गए सटीक सैन्य हमलों की पुष्टि की, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के नाम से जाना जा रहा है। यह कार्रवाई 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में की गई, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी। भारतीय अधिकारियों ने इस हमले के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकवादी समूहों को जिम्मेदार ठहराया था और जवाबी कार्रवाई की कसम खाई थी।
7 मई की सुबह, पाकिस्तान के प्रमुख एयरबेसों पर भारत ने सटीक हमले किए। शहबाज शरीफ ने इस्लामाबाद में संवाददाताओं को बताया कि सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने उन्हें सुबह 2:30 बजे फोन करके इन हमलों की जानकारी दी। शरीफ ने इस घटना को गंभीर चिंता का विषय बताया। उन्होंने शुक्रवार को पाकिस्तान स्मारक पर आयोजित एक समारोह में इस तनातनी के बारे में पहली बार सार्वजनिक रूप से बात की, जो चार दिनों तक चली।
भारत के इस ऑपरेशन की साहस और दक्षता की प्रशंसा करते हुए, भाजपा के राष्ट्रीय आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर एक वीडियो साझा किया। उन्होंने लिखा, “पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने स्वीकार किया कि जनरल मुनीर ने उन्हें रात 2:30 बजे फोन करके बताया कि भारत ने नूर खान एयर बेस सहित कई स्थानों पर बमबारी की। यह ऑपरेशन सिंदूर के पैमाने, सटीकता और साहस को दर्शाता है।” मालवीय ने इसे भारत की सैन्य ताकत और रणनीतिक क्षमता का प्रतीक बताया।

पाकिस्तान ने शुरू में दावा किया था कि उसके JF-17 लड़ाकू विमानों ने पंजाब के आदमपुर एयरबेस पर भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को नष्ट कर दिया। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अचानक बेस पर पहुंच ने पाकिस्तान के इस दुष्प्रचार को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया। भारत ने इस कार्रवाई को कश्मीर हमले का नपी-तुला जवाब बताया, जिसने न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की दृढ़ता को दिखाया, बल्कि उसकी सैन्य तैयारी को भी उजागर किया।
अगले तीन दिनों में, पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को जवाबी ड्रोन और मिसाइल हमलों के जरिए भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की। भारत ने इन हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया और भारी गोलाबारी के साथ कई पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों को नष्ट किया। भारतीय सेना ने इसे “नपी-तुली लेकिन निर्णायक जवाबी कार्रवाई” करार दिया। चार दिनों की इस तनातनी के बाद, 10 मई को दोनों देशों के बीच सैन्य टकराव को समाप्त करने के लिए सहमति बनी।
ऑपरेशन सिंदूर ने भारत की रणनीतिक और सैन्य क्षमताओं को विश्व स्तर पर प्रदर्शित किया। यह कार्रवाई न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की जीरो टॉलरेंस नीति को दर्शाती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि भारत अपनी संप्रभुता और सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। इस ऑपरेशन ने एक बार फिर भारत की सैन्य शक्ति और तकनीकी दक्षता को रेखांकित किया, जिसने पड़ोसी देश को अपनी रक्षा तैयारियों पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया।
यह घटना भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखी जा रही है। जहां भारत ने अपनी सैन्य और कूटनीतिक ताकत का प्रदर्शन किया, वहीं पाकिस्तान को अपनी रणनीति और दावों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने पड़े। ऑपरेशन सिंदूर ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अपनी सुरक्षा और नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए त्वरित और प्रभावी कदम उठाने में सक्षम है।

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