पप्पू यादव का केंद्र पर हमला: ‘टैक्स से जनता की कमर टूटी’

संसद के बजट सत्र के दौरान जन अधिकार पार्टी के नेता और पूर्व सांसद पप्पू यादव ने केंद्र सरकार की टैक्स नीति पर तीखा हमला बोला। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि देश की जनता पहले ही महंगाई की मार झेल रही है और अब सरकार हर चीज़ पर टैक्स लगाकर आम लोगों की आर्थिक स्थिति को और कमजोर कर रही है। उनका कहना था कि पेट्रोल-डीजल से लेकर रोजमर्रा की चीज़ों तक, हर चीज़ महंगी होती जा रही है, और अब तो ऐसा लग रहा है कि सरकार आसमान से लेकर ज़मीन तक हर जगह टैक्स वसूलने में लगी हुई है।

महंगाई और टैक्स: आम जनता की बढ़ती मुश्किलें

आज देश में जीएसटी (GST) लागू होने के बावजूद कई अन्य तरह के टैक्स वसूले जा रहे हैं। सरकार लगातार यह कहती रही है कि जीएसटी से टैक्स प्रणाली सरल हुई है, लेकिन आम जनता को इसका असर महंगाई के रूप में झेलना पड़ रहा है।

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1. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें

  • पेट्रोल और डीजल पर लगातार अतिरिक्त टैक्स लगाया जा रहा है, जिससे परिवहन खर्च बढ़ जाता है और इसका सीधा असर अन्य वस्तुओं की कीमतों पर पड़ता है।
  • पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे राज्यों द्वारा लगाए गए अतिरिक्त कर से जनता की जेब पर और भार पड़ रहा है।

2. रोजमर्रा की वस्तुएं भी महंगी

  • खाने-पीने की वस्तुएं जैसे आटा, दाल, चावल, दूध, तेल, नमक आदि पर अप्रत्यक्ष कर लगाने से गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों की मुश्किलें बढ़ रही हैं।
  • कई ज़रूरी वस्तुओं पर 5% से 18% तक जीएसटी लगाया गया है, जिससे लोगों के बजट पर सीधा असर पड़ रहा है।

3. बिजली-पानी पर बढ़ते शुल्क

  • घरेलू बिजली और पानी की दरों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
  • टोल टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स, रोड टैक्स जैसे कई अन्य शुल्कों के कारण आम नागरिक की आय का एक बड़ा हिस्सा सरकारी करों में चला जाता है।

पप्पू यादव का बयान: जनता को कितनी बार हलाल करिएगा?

संसद में बहस के दौरान पप्पू यादव ने सरकार की वन नेशन, वन टैक्स नीति पर भी सवाल उठाए और कहा कि यह केवल एक प्रचारात्मक नारा बनकर रह गया है। उन्होंने कहा: “सरकार ज़मीन पर भी टैक्स, आसमान पर भी टैक्स…आख़िर जनता को कितनी बार हलाल करिएगा?”
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अमीरों और कॉर्पोरेट कंपनियों को फायदा पहुंचा रही है जबकि गरीब और मध्यम वर्ग को अधिक करों का बोझ उठाना पड़ रहा है।

विपक्ष ने किया समर्थन, भाजपा का जवाब

  • कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने पप्पू यादव के बयान को सही ठहराते हुए कहा कि सरकार जनता पर आर्थिक बोझ डाल रही है।
  • वामपंथी दलों ने भी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा कि अप्रत्यक्ष करों के जरिए गरीबों और मध्यम वर्ग को निशाना बनाया जा रहा है।
  • भाजपा नेताओं ने इस बयान को मात्र एक राजनीतिक स्टंट बताया और कहा कि सरकार की आर्थिक नीतियां देश के विकास के लिए बनाई गई हैं।

वन नेशन, वन टैक्स: कितना सफल?

सरकार ने 2017 में वन नेशन, वन टैक्स यानी जीएसटी लागू किया था, ताकि देशभर में एक समान कर प्रणाली बनाई जा सके। लेकिन इसके बावजूद कई जगह अलग-अलग टैक्स वसूले जा रहे हैं।

  • कई आवश्यक वस्तुओं पर 5% से 28% तक जीएसटी लगाया गया है।
  • छोटे व्यापारी और मध्यम वर्ग के लोग अभी भी अतिरिक्त करों के कारण परेशान हैं।
  • पेट्रोल-डीजल और शराब को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे इनकी कीमतों में बढ़ोतरी जारी है।

जनता की क्या मांग है?

  • जीएसटी स्लैब को पुनः संशोधित किया जाए, ताकि रोजमर्रा की ज़रूरी वस्तुओं पर कर की दरें कम की जा सकें।
  • पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाया जाए, जिससे राज्यों द्वारा लगाए जाने वाले अतिरिक्त करों से राहत मिले।
  • छोटे व्यापारियों और मध्यम वर्ग के लिए टैक्स छूट की व्यवस्था की जाए।

सरकारी सेवाओं और बिजली-पानी पर करों को कम किया जाए, ताकि आम जनता को राहत मिले।

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