भारत में धार्मिक गुरु और आध्यात्मिक नेताओं की छवि हमेशा से भक्तों के लिए पूजनीय रही है। लेकिन जब यही धार्मिक नेता अपराधों में लिप्त पाए जाते हैं, तो समाज में गहरी निराशा उत्पन्न होती है। ऐसा ही मामला सामने आया है पादरी बजिंदर सिंह का, जिन्हें मोहाली की पॉक्सो कोर्ट ने बलात्कार के गंभीर अपराध में दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
यह केस 2018 का है, जब एक महिला ने उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और बलात्कार का आरोप लगाया था। लंबे समय तक चली सुनवाई के बाद, अदालत ने बजिंदर सिंह को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 376(छिहत्तर) (बलात्कार), 323 (चोट पहुंचाने के लिए सजा) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषी करार दिया। अदालत ने साफ कहा कि ऐसे अपराध समाज के लिए खतरा हैं और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए।
पादरी बजिंदर सिंह कौन हैं?
बजिंदर सिंह खुद को एक आध्यात्मिक गुरु बताते थे और उनका दावा था कि वे लोगों की समस्याओं को चमत्कारों से हल कर सकते हैं। उनका चर्च उत्तर भारत में काफी लोकप्रिय था, और उनके अनुयायियों की संख्या भी हजारों में थी। वे अक्सर प्रार्थना सभाओं और सत्संगों का आयोजन करते थे, जहां लोग चमत्कारी इलाज और आशीर्वाद की उम्मीद लेकर आते थे।
हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब पादरी बजिंदर सिंह किसी विवाद में फंसे हैं। पहले भी उन पर कई आरोप लग चुके हैं, लेकिन इस बार कोर्ट ने सबूतों के आधार पर उन्हें दोषी ठहरा दिया है।
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2018 का मामला: कैसे हुआ खुलासा?
यह मामला तब सामने आया जब एक महिला ने पंजाब पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि पादरी ने उसके साथ यौन उत्पीड़न किया और धमकाया। पीड़िता के अनुसार, उसे किसी धार्मिक कार्यक्रम के दौरान बहाने से बुलाया गया और फिर उसके साथ जबरदस्ती की गई।
जांच के दौरान कई सबूत सामने आए, जिनमें पीड़िता के बयान, मेडिकल रिपोर्ट, गवाहों की गवाही और अन्य फोरेंसिक प्रमाण शामिल थे। इन सबूतों के आधार पर, अदालत ने बजिंदर सिंह को दोषी पाया और उम्रकैद की सजा सुनाई।
कोर्ट का सख्त रुख
मोहाली की पॉक्सो कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि:
“कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी बड़ा धार्मिक गुरु क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के लिए सख्त सजा जरूरी है, ताकि समाज में सही संदेश जाए।”
कोर्ट ने यह भी कहा कि धार्मिक आस्था के नाम पर महिलाओं का शोषण कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
समर्थकों की प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया पर हंगामा
इस फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भारी बहस छिड़ गई है।
- कुछ लोग इस फैसले से संतुष्ट हैं और इसे न्याय की जीत बता रहे हैं।
- वहीं, बजिंदर सिंह के कुछ कट्टर समर्थक अभी भी कोर्ट के फैसले पर सवाल उठा रहे हैं और इसे एक साजिश करार दे रहे हैं।
- सोशल मीडिया पर #JusticeForVictim और #BajinderSinghCase जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
क्या धार्मिक नेताओं पर से उठ रहा है लोगों का भरोसा?
पिछले कुछ वर्षों में भारत में कई धार्मिक गुरुओं पर गंभीर अपराधों के आरोप लगे हैं। कुछ चर्चित मामलों पर नजर डालें:
- गुरमीत राम रहीम सिंह (डेरा सच्चा सौदा प्रमुख) – बलात्कार और हत्या के मामलों में उम्रकैद।
- आसाराम बापू – बलात्कार के आरोप में जेल।
- स्वामी नित्यानंद – यौन शोषण के आरोप लगे, विदेश भागे।
ये घटनाएं साबित करती हैं कि धार्मिक चोला पहनने से कोई व्यक्ति पवित्र नहीं हो जाता।
क्या इस फैसले से समाज में बदलाव आएगा?
यह फैसला महिलाओं के अधिकारों और न्याय व्यवस्था में विश्वास को मजबूत करता है। यह दिखाता है कि कानून से कोई भी ऊपर नहीं है, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली क्यों न हो।
सरकार और न्यायपालिका को चाहिए कि वे:
ऐसे मामलों की तेजी से जांच करें और दोषियों को सख्त सजा दें।
महिलाओं को शिक्षित करें कि वे ऐसे धोखेबाजों से बचें।
धार्मिक संगठनों की सख्त मॉनिटरिंग की जाए, ताकि कोई भी इस तरह के अपराध ना कर सके।
पादरी बजिंदर सिंह को बलात्कार जैसे गंभीर अपराध में उम्रकैद की सजा मिलना न्याय का एक बड़ा उदाहरण है। यह दिखाता है कि भारत में न्यायिक व्यवस्था मजबूत है और धोखेबाज धार्मिक गुरुओं को बचने नहीं दिया जाएगा।
अब वक्त आ गया है कि लोग धर्म के नाम पर अंधविश्वास छोड़कर सच को समझें और किसी भी धार्मिक नेता पर आंख मूंदकर विश्वास करने से पहले सोचें।
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