अमेरिका में पढ़ाई कर रहे एक भारतीय छात्र ने वहां के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन की नीतियों के खिलाफ बड़ा कानूनी कदम उठाया है। यह छात्र मिशिगन की एक पब्लिक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहा है और तीन अन्य अंतरराष्ट्रीय छात्रों के साथ मिलकर अमेरिकी होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट पर मुकदमा दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि उनके डिपोर्टेशन (निर्वासन) की आशंका बढ़ गई है, जो न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि उनके भविष्य को भी खतरे में डाल रही है।
क्या है पूरा मामला?
यह मुकदमा मिशिगन की एक फेडरल कोर्ट में दर्ज किया गया है। चारों छात्रों का आरोप है कि अमेरिका के इमिग्रेशन नियमों में अचानक किए गए बदलावों से उनकी शैक्षणिक स्थिति खतरे में पड़ गई है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें बिना पर्याप्त सूचना या उचित प्रक्रिया के डिपोर्ट करने की योजना बनाई जा रही है, जो उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
भारतीय छात्र, जो इस याचिका का एक प्रमुख चेहरा है, ने बताया कि उन्होंने सभी नियमों का पालन किया है, समय पर फीस दी है और सही वीज़ा प्रक्रिया से अमेरिका आए हैं। लेकिन अब ट्रंप प्रशासन द्वारा लागू की गई नीतियों के कारण उन्हें अनावश्यक रूप से निशाना बनाया जा रहा है।
ट्रंप प्रशासन की कड़ी इमिग्रेशन नीति
पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में इमिग्रेशन को लेकर कई कड़े फैसले लिए गए। विशेष रूप से स्टूडेंट वीज़ा धारकों के लिए नियम सख्त किए गए। COVID-19 महामारी के दौरान, ऑनलाइन पढ़ाई करने वाले छात्रों को भी अमेरिका से बाहर निकालने की चेतावनी दी गई थी।
हालांकि, ट्रंप अब सत्ता में नहीं हैं, लेकिन उनकी बनाई गई कुछ नीतियां अब भी प्रभाव में हैं और कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अनिश्चितता का कारण बनी हुई हैं।
क्या है छात्रों की मांग?
छात्रों की याचिका में मांग की गई है कि:
- अमेरिकी सरकार उन्हें जबरन देश से बाहर न निकाले।
- शिक्षा के अधिकार और कानूनी प्रक्रिया का सम्मान किया जाए।
- इमिग्रेशन नीतियों को पारदर्शी और न्यायसंगत बनाया जाए।
वे यह भी चाहते हैं कि अदालत यह स्पष्ट करे कि शिक्षा प्राप्त करने आए छात्रों को अपराधियों की तरह ट्रीट न किया जाए।
भारतीय छात्रों की बढ़ती चिंताएं
भारत से हर साल लाखों छात्र अमेरिका पढ़ाई के लिए जाते हैं। अमेरिका की यूनिवर्सिटीज़ में भारतीय छात्र दूसरे सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय छात्र समुदाय हैं। ऐसे में इस तरह की घटनाएं भारतीय अभिभावकों और छात्रों में डर और असमंजस पैदा कर रही हैं।
छात्रों का कहना है कि वे भारी फीस देकर, अपने भविष्य के सपने लेकर अमेरिका आते हैं। लेकिन अचानक बदलते नियम और वीज़ा की अनिश्चितता उनके पूरे करियर को संकट में डाल देते हैं।
भारत सरकार की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
अब तक इस मामले में भारत सरकार की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन भारतीय दूतावासों द्वारा छात्रों को सलाह दी जा रही है कि वे अपनी कानूनी स्थिति स्पष्ट रखें और किसी भी सरकारी कार्रवाई के खिलाफ उचित दस्तावेज तैयार रखें।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय में हलचल
यह मामला केवल भारत तक सीमित नहीं है। चीन, ब्राजील और नाइजीरिया जैसे देशों के छात्र भी अमेरिका की कठोर इमिग्रेशन नीतियों से प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए इस याचिका को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी देखा जा रहा है।
यह मुकदमा केवल चार छात्रों की कानूनी लड़ाई नहीं है, बल्कि यह वैश्विक शिक्षा और इमिग्रेशन व्यवस्था की पारदर्शिता और न्याय के लिए एक अहम कदम है। भारतीय छात्र की इस पहल ने दुनिया भर के छात्रों को आवाज़ दी है कि वे अपने अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं।
अब देखना यह है कि अमेरिका की अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है, और क्या यह याचिका उन लाखों छात्रों के लिए राहत लेकर आएगी जो दूर देश में अपने सपनों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
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