आतंकवाद से जुड़ी एक चौंकाने वाली खबर ने अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। पाकिस्तान के 20 वर्षीय युवक मुहम्मद शाहज़ेब खान, जिसे शाहज़ेब जदून के नाम से भी जाना जाता है, को कनाडा से अमेरिका प्रत्यर्पित किया गया है।उस पर आरोप है कि वो ISIS के समर्थन में न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन स्थित एक यहूदी सेंटर पर मैस शूटिंग की खौफनाक साजिश रच रहा था।
7 अक्टूबर को हमला करने की थी योजना
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के अनुसार, शाहज़ेब ने यह साजिश 7 अक्टूबर 2023 को अंजाम देने की योजना बनाई थी यानी उसी दिन, जब हमास ने इज़राइल पर घातक हमला किया था।उस दिन को प्रतीकात्मक मानते हुए, वह ब्रुकलिन में यहूदी समुदाय के खिलाफ हमला करना चाहता था।
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ऑनलाइन कट्टरता से शुरू हुई साजिश
FBI और अमेरिकी इंटेलिजेंस एजेंसियों के अनुसार, शाहज़ेब ने सोशल मीडिया, वीडियो और ऑनलाइन चैट्स के ज़रिए कट्टर इस्लामिक विचारधारा को अपनाया। धीरे-धीरे उसने हथियार जुटाने, लोकेशन तय करने और हमले की रणनीति पर काम शुरू किया।
कनाडा और अमेरिका की संयुक्त कार्रवाई
सितंबर 2023 में उसे कनाडा में गिरफ्तार किया गया था। तब से दोनों देशों की एजेंसियां मिलकर काम कर रही थीं। आखिरकार, अब उसे अमेरिका लाया गया है, जहां उस पर आतंकी साज़िश, हथियारों की प्लानिंग और धार्मिक हिंसा भड़काने जैसे गंभीर आरोपों में मुकदमा चलेगा।
एक बड़ा सवाल क्या सोशल मीडिया आतंकवाद का नया अड्डा?
इस केस ने एक बार फिर ये चिंता बढ़ा दी है क्या सोशल मीडिया और इंटरनेट अब आतंकवाद के नए अड्डे बन चुके हैं? क्या युवा दिमाग तेजी से कट्टरपंथ की गिरफ्त में आ रहे हैं? और क्या दुनिया को अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर निगरानी और सुरक्षा के नए तौर-तरीकों की ज़रूरत है?क्या आपको लगता है कि ऐसे मामलों में सबसे सख्त सज़ा मिलनी चाहिए? क्या डिजिटल कट्टरपंथ को रोकने के लिए नई नीतियां बननी चाहिए?
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