अवामी लीग पर प्रतिबंध, जमात-ए-इस्लामी को मिली चुनावी छूट, शेख हसीना पर केस दर्ज

बांग्लादेश में शेख हसीना के सत्ता से हटते ही सियासी भूचाल आ गया है। देश की राजनीति अब एक नए मोड़ पर पहुंच गई है, जहां एक ओर अंतरिम प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की अगुआई में सरकार चल रही है, वहीं दूसरी ओर बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) और कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी जैसे दल फिर से उभरते नजर आ रहे हैं।

शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जबकि लंबे समय से प्रतिबंधित कट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी को फिर से चुनाव लड़ने की अनुमति मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमात पर से प्रतिबंध हटाए जाने के बाद राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल गए हैं।

जमात-ए-इस्लामी की वापसी

जमात-ए-इस्लामी अब बांग्लादेश की राजनीति में पूरी तरह से वापसी कर रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पार्टी के नेताओं पर दर्ज मुकदमों में ढील दी जा रही है। कई प्रमुख नेता जल्द ही जेल से रिहा हो सकते हैं। यह वही पार्टी है जो 1971 के मुक्ति संग्राम के समय पाकिस्तान का समर्थन करती थी और जिसे बांग्लादेश में कई वर्षों तक राजनीतिक मंच से दूर रखा गया था।

अवामी लीग पर कठोर कार्रवाई

इसके विपरीत, शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग पर न सिर्फ कानूनी कार्रवाई की जा रही है, बल्कि उसके सभी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म भी ब्लॉक कर दिए गए हैं। पार्टी की वेबसाइट को भी बंद कर दिया गया है, जिससे समर्थकों को आधिकारिक जानकारी तक पहुंचने में मुश्किल हो रही है।

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शेख हसीना पर आरोप और चार्जशीट

सबसे चौंकाने वाला कदम यह है कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर छात्र आंदोलन को दबाने का आदेश देने का आरोप लगाया गया है। इस आदेश के तहत सेना की कार्रवाई में कई छात्रों की मौत हुई थी। इस मामले में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने शेख हसीना, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान और पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी मामून के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है।

इस मुकदमे की सुनवाई अब बांग्लादेश टेलीविजन पर लाइव प्रसारित की जा रही है, जिससे पूरा देश इसे देख रहा है और इसकी प्रतिक्रिया दे रहा है।

चुनाव की तैयारी में जुटे राजनीतिक दल

BNP ने अंतरिम सरकार से जल्द आम चुनाव कराने की मांग की है। जबकि जमात-ए-इस्लामी अब खुलकर चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। इससे यह संकेत मिलते हैं कि बांग्लादेश की राजनीति अब पूरी तरह से नया स्वरूप लेने जा रही है, जिसमें पुराने सत्ता समीकरण टूट रहे हैं और नए समीकरण बन रहे हैं।

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