केंद्र सरकार ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 2034 तक पूरे देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने की तैयारी है। इसके लिए सरकार संविधान में संशोधन करने जा रही है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ बिल पर गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के प्रमुख और राजस्थान के पाली से बीजेपी सांसद पीपी चौधरी ने बताया कि 2029 के बाद जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे, उनका कार्यकाल कम किया जा सकता है। इसका उद्देश्य 2034 में होने वाले लोकसभा चुनाव के साथ सभी राज्यों के विधानसभा चुनावों को समन्वित करना है।
2029 से शुरू होगी चुनावी प्रक्रिया
उदाहरण के तौर पर, उत्तर प्रदेश में 2027 के बाद 2032 में विधानसभा चुनाव होने हैं। लेकिन, ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ को लागू करने के लिए इस विधानसभा का कार्यकाल केवल दो साल का हो सकता है, ताकि 2034 में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें। संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 में एक साथ चुनाव कराने के प्रावधान शामिल हैं। इनके तहत राष्ट्रपति लोकसभा चुनाव के बाद पहली बैठक की तारीख पर एक अधिसूचना जारी कर सकते हैं, जिसमें अगले आम चुनाव की तारीख तय होगी। संभवतः यह 2029 में हो सकता है। इसके बाद सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पांच साल के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा।
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चुनाव चक्र में एकरूपता
यदि लोकसभा या किसी राज्य की विधानसभा पांच साल से पहले भंग होती है, तो बचे हुए समय के लिए ही चुनाव कराए जाएंगे। यह सुनिश्चित करेगा कि अगला चुनाव अगले आम चुनाव चक्र के साथ हो। जिन राज्यों में पहले से चुनाव होने हैं, वहां भी विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ समन्वित होंगे। हालांकि, अगर चुनाव आयोग को लगता है कि किसी राज्य में एक साथ चुनाव संभव नहीं है, तो वह राष्ट्रपति को सिफारिश कर सकता है, जो उस राज्य में बाद में चुनाव की अनुमति दे सकते हैं।
जेपीसी की भूमिका और कार्यकाल
जेपीसी के कार्यकाल को बढ़ाया जा सकता है, क्योंकि यह समिति सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का दौरा कर हितधारकों से राय ले रही है। अभी तक जेपीसी ने महाराष्ट्र और उत्तराखंड का दौरा किया है। इन विधेयकों को दिसंबर 2024 में लोकसभा में पेश किया गया था और जेपीसी को सौंपा गया था। समिति सभी पक्षों की राय लेकर अपनी अंतिम सिफारिशें देगी।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के फायदे
इस पहल से बार-बार चुनावों का खर्च बचेगा और सरकार को विकास कार्यों पर ध्यान देने का समय मिलेगा। हालांकि, इसके लिए संविधान में बदलाव और सभी राजनीतिक दलों की सहमति जरूरी है। यह एक जटिल प्रक्रिया है, लेकिन सरकार इसे लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ देश के लिए एक ऐतिहासिक कदम हो सकता है, जो प्रशासनिक और आर्थिक दृष्टिकोण से लाभकारी होगा।
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