ईरान-इजरायल युद्ध के बीच वैश्विक तनाव के माहौल में भारत ने अपनी सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना को अत्याधुनिक हथियारों से लैस करने की योजना पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सेना को त्वरित खरीद के अधिकार दिए हैं, ताकि सेना तेजी से आधुनिक हथियारों की खरीद कर सके। इससे पाकिस्तान और चीन जैसे देशों की चिंता बढ़ना तय है।
भारतीय सेना ने देश में बनी तकनीक और उपकरणों पर भरोसा जताते हुए, स्वदेशी कंपनियों से ड्रोन, लोइटरिंग म्यूनिशन, काउंटर-ड्रोन सिस्टम, एयर डिफेंस और निगरानी उपकरणों की खरीद का फैसला किया है। सेना की इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य सीमाओं की रक्षा को और मजबूत बनाना और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बढ़त हासिल करना है।
नागस्त्र 1R से LOC पर दुश्मनों को जवाब
भारतीय सेना ने नागपुर की सोलर इंडस्ट्रीज से 158 करोड़ रुपये का ऑर्डर देकर 450 नागस्त्र 1R एडवांस्ड लोइटरिंग म्यूनिशन सिस्टम की खरीद का निर्णय लिया है। यह सिस्टम दुश्मनों के ठिकानों को नष्ट करने और घुसपैठियों को मार गिराने में सक्षम है। सेना पहले से इस हथियार का इस्तेमाल कर रही है और अब इसकी संख्या बढ़ाई जा रही है। कंपनी को यह डिलीवरी 12 महीनों के अंदर पूरी करनी होगी।
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हाईब्रिड मिनी UAV से मिलेगी खुफिया ताकत
सेना ने खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और निगरानी के लिए हाईब्रिड मिनी UAV भी खरीदे हैं। यह फिक्स्ड विंग VTOL तकनीक से लैस है, जिससे यह ड्रोन बिना रनवे के सीधे ऊपर उड़ान भर सकता है और उतर सकता है। यह तकनीक सेना को सीमावर्ती क्षेत्रों में खतरों का पहले से पता लगाने में मदद करती है। खास बात यह है कि इस UAV के हर हिस्से की जांच की गई कि कहीं इसमें चीन निर्मित पुर्जे तो नहीं हैं, ताकि डेटा की सुरक्षा बनी रहे।
44,000 करोड़ के रक्षा सौदे पाइपलाइन में
सेना ने आने वाले समय में करीब 44,000 करोड़ रुपये के हथियारों की खरीद की योजना बनाई है। इनमें लॉन्ग रेंज वेपन्स, स्मार्ट गोला-बारूद, जैमर, कम ऊंचाई वाले रडार और एडवांस एयर डिफेंस सिस्टम शामिल हैं। सेना ‘न्यू नॉर्मल वॉरफेयर’ की रणनीति पर काम कर रही है, जिसमें तेजी से प्रतिक्रिया, लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता और पूरी तरह से नेटवर्क-सक्षम सिस्टम शामिल है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद बढ़ी तैयारी
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान ड्रोन हमलों से निपटने में भारतीय सेना ने नई रणनीतियों को अपनाया था। अब सेना उसी अनुभव के आधार पर एयर डिफेंस नेटवर्क को और मजबूत करना चाहती है। काउंटर-ड्रोन सिस्टम और रडार की खरीद से यह नेटवर्क और प्रभावी बनेगा। यह सिस्टम सीमाओं पर निगरानी के साथ-साथ आतंकी ठिकानों की पहचान और नष्ट करने में भी मदद करेगा।
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