देश में बड़े उद्योगपतियों और व्यापारियों द्वारा भारी लोन लेकर विदेश भागने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इस मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव गुट) की नेता और राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने केंद्र सरकार को घेरते हुए कड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि सरकार की लचर नीतियों और ढीले प्रशासनिक रवैये के कारण घोटालेबाज आसानी से देश छोड़कर फरार हो जाते हैं, जिससे आम जनता के विश्वास को गहरा धक्का पहुंचता है।
प्रियंका चतुर्वेदी का बयान
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हर साल बैंकों से हजारों करोड़ रुपये लेकर बड़े कारोबारी विदेश भाग जाते हैं । लेकिन सरकार सिर्फ तमाशा देखती रहती है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा जब आम आदमी छोटा सा लोन नहीं चुका पातातो उसे बैंक और वसूली एजेंसियां मानसिक रूप से प्रताड़ित करने लगती हैं लेकिन बड़े घोटालेबाजों के लिए सभी दरवाजे खुले होते हैं।
उन्होंने सरकार से सवाल किया कि आखिर क्यों विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी और कई अन्य लोन डिफॉल्टरों को देश छोड़कर भागने का मौका दिया गया? क्या सरकार इन आर्थिक अपराधियों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई करेगी या सिर्फ दिखावटी जांच होती रहेगी?
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सरकार पर तंज
प्रियंका चतुर्वेदी ने सरकार की नीति पर सवाल उठाते हुए कहा कि बैंक घोटालों और लोन डिफॉल्ट मामलों में पारदर्शिता का अभाव है। उन्होंने कहा सरकार बड़े उद्योगपतियों को बचाने में लगी है, जबकि किसानों और मध्यम वर्गीय लोगों को राहत देने के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जाता है।
उन्होंने मांग की कि सरकार को जल्द से जल्द एक कड़ा कानून बनाकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी लोन डिफॉल्टर देश छोड़कर भाग न सके। इसके लिए बैंकों को भी जवाबदेह बनाया जाए और घोटालों पर सख्त कार्रवाई हो।
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ
प्रियंका चतुर्वेदी के इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। कई लोगों ने सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं और इस मुद्दे को गंभीरता से लेने की मांग की है।
विपक्षी दलों ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि यदि आम आदमी का लोन चुकाना अनिवार्य है। तो बड़े उद्योगपतियों को भी कानून के दायरे में लाया जाए। देश में बढ़ते बैंक घोटालों और लोन डिफॉल्ट के मामलों को देखते हुए यह आवश्यक हो गया है कि सरकार इस मुद्दे पर सख्त कदम उठाए। प्रियंका चतुर्वेदी की मांग न केवल विपक्ष की आवाज है। बल्कि जनता की भी प्रमुख चिंता बन गई है। यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो यह आर्थिक अपराध देश की बैंकिंग प्रणाली पर गहरा असर डाल सकता है।
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