दुनिया भर में कीमोथेरेपी दवाओं की गुणवत्ता जांच में चौंकाने वाले परिणाम

द ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (TBIJ, www.tbij.com) की हालिया रिपोर्ट ने एक साबित कर दिया है कि दुनियाभर में इस्तेमाल की जाने वाली महत्वपूर्ण कीमोथेरेपी दवाएं गुणवत्ता परीक्षण में फेल हो गई हैं। इन दवाओं का उपयोग 100 से अधिक देशों में कैंसर के इलाज के लिए किया जा रहा है, लेकिन अब यह खुलासा हुआ कि कई मामलों में ये उपचार अप्रभावी हो सकते हैं या जानलेवा दुष्प्रभाव पैदा कर सकते हैं thebureauinvestigates.com+5thebureauinvestigates.com+5thebureauinvestigates.com+5


1. समस्या की गंभीरता: प्रभावहीनता या घातकता

TBIJ की रिपोर्ट अनुसार, जो कीमोथेरेपी दवाएं – विशेषकर ल्यूकेमिया जैसे आम कैंसर उपचारों की रीढ़ – उन्हें लेकर यह आशंका जताई गई है कि:

  • कुछ दवाओं में सक्रिय तत्व की मात्रा इतनी कम मिली कि फार्मासिस्ट्स के अनुसार, इन्हें देना मरीज़ को कुछ न देने के बराबर था ।
  • दूसरी ओर, कुछ दवाओं में बहुत अधिक सक्रिय तत्व पाया गया, जिससे अंगों को गंभीर नुकसान या मृत्यु का जोखिम हो सकता है ।

ब्रिटिश ऑन्कोलॉजी फार्मासिस्ट एसोसिएशन की उपाध्यक्ष शरीन नाभानी-गेबारा ने कहा:

“दोनों ही स्थितियां भयावह हैं। यह दिल तोड़ने वाला है।”


2. सबस्टैंडर्ड दवाओं का वैश्विक फैलाव

  • अध्ययन में 189 सैंपलों का विश्लेषण किया गया और लगभग 20% (एक‑पाँचवाँ हिस्से) ने गुणवत्ता परीक्षण फेल किया ewn.co.za
  • ये समस्याग्रस्त दवाएं समृद्ध और निम्न-आय वाले दोनों तरह के देशों में भेजी गईं – नेपाल, इथियोपिया, उत्तर कोरिया, अमेरिका, ब्रिटेन, सऊदी अरब सहित ।
  • सबसे खराब परिणाम “क्रायटा” नामक कंपनी — वीनस रेमेडीज़ के साइक्लोफॉस्फेमाइड ब्रांड के साथ आए जहाँ आठ नमूनों में से छह में आधे से भी कम सक्रिय तत्व पाया गया thebureauinvestigates.com+3ewn.co.za+3dawn.com+3

3. मुख्य कारण: निर्माण प्रक्रिया और लागत में कटौती

  • बड़ी संख्या में फेल दवाएं भारत में बनी बताई गईं — कुल 17 में से 16 कंपनियां भारत की हैं thebureauinvestigates.com+1ewn.co.za+1
  • पोर्टेबल दवा निर्माण में कीमत कम करने का दबाव था, जिससे कुछ निर्माता सक्रिय सामग्री घटा/बढ़ा रहे थे या पुराने उपकरणों का उपयोग कर रहे थे thebureauinvestigates.com
  • उदाहरण के लिए, Intas/Accord Healthcare के cisplatin और मेथोट्रेक्सेट के शेयर बढ़ने के दौरान कीमतें गिर गईं — बाद में उनके एक भारत स्थित संयंत्र में दस्तावेज़ फाड़ने तथा “गुणवत्ता नियंत्रण में विफलता” की रिपोर्ट आई thebureauinvestigates.com
  • भारत के साथ-साथ वैश्विक नियामक ढांचे (WHO, राष्ट्रीय नियामक) की निगरानी कमजोर है ।

4. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) एवं नियामक Agencies की चूक

  • WHO को पहले भी asparaginase जैसी महत्वपूर्ण दवाओं में गुणवत्ता की कमी के बारे सूचित किया जा चुका था thebureauinvestigates.com+4thebureauinvestigates.com+4statnews.com+4
  • लेकिन, सालों तक कोई मेडिकल अलर्ट जारी नहीं किया गया और कई देशों ने कार्रवाई नहीं की statnews.com+1ewn.co.za+1
  • WHO की यह प्रतिक्रिया भी रही कि “पूरी जांच में समय लग सकता है” एवं कुछ देशों ने “कोई समस्या पाई नहीं” जैसी रिपोर्ट दी ।

5. रोगियों पर प्रभाव और स्वास्थ्य परिणाम

  • फार्मासिस्टों और चिकित्सकों ने बताया कि कुछ मरीजों का इलाज रोकना पड़ा क्योंकि दवा काम नहीं कर रही, जबकि कुछ में बनावट / असामान्य दुष्प्रभाव जैसे अत्यधिक विषाक्तता देखी गई ।
  • अफ्रीका के एक फार्मासिस्ट ने कहा कि अगर दवा असर ही न करे, तो उपचार का विश्वास टूट जाता है ।
  • निम्न-आय वाले देशों में, जहाँ कैंसर उपचार की लागत पहले से ही अत्यधिक होती है, अगर गलत दवा से प्रभाव नहीं होता, तो मरीज़ के पास पुनः खरीदने के संसाधन नहीं होते — जहां एक गलत दवा एक दु:खद त्रासदी बन जाती है ।

6. समाधान की राह: त्वरित परीक्षण उपकरण और सख्त निगरानी

  • यूनिवर्सिटी ऑफ़ नॉट्रे डेम के प्रोफेसर मैर्या लिएकरमैन की टीम ने “chemoPAD” नामक त्वरित किट विकसित की है जो 2 डॉलर प्रति उपकरण से कम में परीक्षण कर सकती है ।
  • यह उपकरण africa सहित कई देशों में फील्ड‑टेस्ट किए गए हैं और cisplatin जैसे कीमो दवाओं में कमी पाए जाने में सक्षम रहे ।
  • इस श्रेणी के त्वरित परीक्षण को लागू करने से दवा बाजार में फेल दवाओं को जल्दी पहचानकर निकाला जा सकता है और गुणवत्ता नियंत्रण बढ़ाया जा सकता है।

7. आगे की रणनीतियाँ और सिफारिशें

  1. राष्ट्रीय और वैश्विक अलर्ट सिस्टम को सुदृढ़ करना—WHO, यूएन एवं मानवाधिकार निकायों की भागीदारी आवश्यक।
  2. रिफीलिब्रेशन और कार्यवाही दोषपूर्ण बैच की त्वरित रिकॉल और निर्माता पर कठोर जुर्माना/अनुशासन।
  3. निर्माता कार्मिकों को जवाबदेह बनाना कंपनियों या क़ानूनी संस्थाओं से जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
  4. गुणवत्ता नियोजन और परीक्षण सुविधा LMIC देशों में विश्वसनीय लैब्स और निगरानी उपकरण स्थापित करें।
  5. महाविद्यालय, नागरिक समाज और मरीज़ संगठनों को सशक्त बनाना—इन्हें मामलों की सतर्कता और सूचना देने में सक्षम बनाएं।
  6. TBIJ की यह रिपोर्ट एक स्पष्ट चेतावनी है कि महत्वपूर्ण कीमोथेरेपी दवाओं की गुणवत्ता एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुकी है। अगर सक्रिय नियामक कार्रवाई, त्वरित परीक्षण, वैश्विक सहयोग, और जिम्मेदार निर्माण प्रणाली लागू न की गई, तो लगातार बढ़ती संख्या में कैंसर मरीजों का इलाज प्रभावहीन या घातक हो सकता है।इसलिए, सरकारें, चिकित्सा संस्थान, निर्माता और अंतरराष्ट्रीय निकाय, सभी को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा, ताकि कैंसर उपचार सुरक्षित, प्रभावशाली और भरोसेमंद बने रहें।

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