गुरुवार को राज्यसभा में आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भारत में अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक की एंट्री और अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर लगाए गए टैरिफ को लेकर सवाल उठाए। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, डाटा गोपनीयता और इसके संभावित दुरुपयोग जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया।
राघव चड्ढा ने कहा कि भारत ने हमेशा अमेरिका के प्रति अपनी दोस्ती और वफादारी निभाई है। उन्होंने इक्विलाइजेशन लेवी हटाने से हुए नुकसान का भी जिक्र किया, जिससे अमेरिकी कंपनियों जैसे मेटा, अमेज़न और गूगल को सीधा फायदा मिला, जबकि भारत को लगभग 3000 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ।
अब, ट्रंप प्रशासन द्वारा भारतीय सामानों पर 26% टैरिफ लगाने के फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। चड्ढा ने भारत-अमेरिका के रिश्तों पर तंज कसते हुए कहा, “हमने अमेरिका का दिल जीतने के लिए सब कुछ किया, लेकिन बदले में अमेरिका ने 26% टैरिफ लगाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका दिया।” उन्होंने व्यंग्यात्मक अंदाज में कहा, “अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का।”
क्या है यह टैरिफ विवाद?
अमेरिका ने हाल ही में भारतीय स्टील, एल्युमीनियम, टेक्सटाइल और कई अन्य उत्पादों पर भारी टैरिफ लगा दिया है, जिससे भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान झेलना पड़ सकता है। भारत सरकार इस मुद्दे पर उचित जवाब देने और संभावित कूटनीतिक हल निकालने की कोशिश कर रही है।
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भारतीय उद्योगों पर प्रभाव
- मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर – भारतीय निर्माताओं को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।
- आईटी और टेक सेक्टर – बड़ी टेक कंपनियों के भारत में ऑपरेशन से फायदा उठाने के बावजूद, अमेरिकी टैरिफ भारतीय आईटी इंडस्ट्री को प्रभावित कर सकते हैं।
- निर्यात में गिरावट – उच्च टैरिफ के कारण भारतीय उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे उनकी मांग में कमी आ सकती है।
भारत की रणनीति क्या होनी चाहिए?
- व्यापार वार्ता को प्राथमिकता देना – अमेरिका से बातचीत करके टैरिफ को कम करने की कोशिश करनी चाहिए।
- नए बाजारों की तलाश – भारत को अन्य देशों में निर्यात बढ़ाने के विकल्प तलाशने चाहिए।
- स्थानीय उद्योगों को सशक्त बनाना – घरेलू मैन्युफैक्चरिंग और आत्मनिर्भर भारत अभियान को और अधिक मजबूती देने की जरूरत है।
राघव चड्ढा का यह बयान भारत-अमेरिका के मौजूदा व्यापारिक संबंधों पर एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत सरकार इस मुद्दे को कैसे सुलझाती है।
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