सात साल बाद राहुल गांधी की इफ्तार पार्टी में उपस्थिति ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। क्या यह कांग्रेस की नई रणनीति का हिस्सा है? क्या इससे 2024 के चुनावी समीकरणों पर असर पड़ेगा? आइए इस घटनाक्रम पर गहराई से नज़र डालते हैं।
इफ्तार में कौन-कौन शामिल हुआ?
26 मार्च 2025 को कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे इमरान प्रतापगढ़ी की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए । इस मौके पर समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, जया बच्चन, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, टीएमसी की महुआ मोइत्रा, और एनसीपी की फौजिया खान जैसी प्रमुख हस्तियां भी मौजूद थीं।

राजनीतिक संदेश
इफ्तार पार्टी में संविधान की प्रति तोहफे में दी गई, जो कांग्रेस के संविधान-समर्थन के संदेश को दर्शाता है।इमरान प्रतापगढ़ी ने इसे आपसी भाईचारे और मोहब्बत का प्रतीक बताया।
इतिहास पर एक नजर
2018 में राहुल गांधी ने खुद कांग्रेस अध्यक्ष रहते हुए इफ्तार पार्टी का आयोजन किया था।2019 लोकसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद उन्होंने इफ्तार से दूरी बना ली थी।मल्लिकार्जुन खरगे के अध्यक्ष बनने के बाद भी कांग्रेस की ओर से इफ्तार पार्टी का आयोजन नहीं किया गया।
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क्या बदल रही है कांग्रेस की रणनीति?
कांग्रेस पर अक्सर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगते रहे हैं, जिससे पार्टी ने इस तरह के आयोजनों से दूरी बना ली थी।हाल ही में खरगे और सोनिया गांधी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की इफ्तार पार्टी में शामिल हुए थे।2024 के लोकसभा चुनाव के बाद राहुल गांधी और खरगे की यह मौजूदगी क्या कांग्रेस की रणनीति में बदलाव का संकेत है?
राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे की इस इफ्तार पार्टी में उपस्थिति को एक बड़े सियासी संकेत के रूप में देखा जा सकता है। कांग्रेस क्या अब खुलकर अल्पसंख्यकों के साथ अपने जुड़ाव को दर्शाएगी या यह केवल एक व्यक्तिगत उपस्थिति थी? इसका जवाब आने वाले समय में मिलेगा।
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