लोकसभा में राहुल गांधी और अनुराग ठाकुर के बीच तीखी बहस: चीन और अमेरिकी टैरिफ पर आरोप-प्रत्यारोप

लोकसभा में शून्यकाल के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के बीच चीन और अमेरिकी टैरिफ को लेकर तीखी बहस हुई। राहुल गांधी ने विदेश सचिव द्वारा चीन के राजदूत के साथ केक काटने को लेकर सरकार को आड़े हाथों लिया, जबकि अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर चीन के साथ मिलीभगत के आरोप लगाए।

राहुल गांधी ने सरकार पर साधा निशाना

राहुल गांधी ने लोकसभा में केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि चीन ने 4000 किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है और 20 भारतीय जवान शहीद हो चुके हैं, लेकिन सरकार की प्रतिक्रिया चिंताजनक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति चीन को खत लिख रहे हैं, जबकि विदेश सचिव चीन के राजदूत के साथ केक काट रहे हैं। राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि यह जानकारी खुद चीन के राजदूत ने सार्वजनिक की है, जिससे यह साफ होता है कि सरकार की चीन नीति कमजोर है।

चीन के साथ भारत के संबंधों पर सवाल

राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि जब सीमा पर तनाव चरम पर है, तब विदेश सचिव को चीन के राजदूत के साथ केक काटने की क्या जरूरत थी? उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार चीन को लेकर पारदर्शिता नहीं बरत रही है और देश की सुरक्षा से खिलवाड़ कर रही है।

अमेरिकी टैरिफ को लेकर कांग्रेस की चिंता

राहुल गांधी ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए नए टैरिफ पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी टैरिफ से भारतीय अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा और सरकार को इस विषय पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने सरकार से पूछा कि वह अमेरिकी टैरिफ का सामना करने के लिए क्या कदम उठा रही है।

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अनुराग ठाकुर का पलटवार: अक्साई चिन किसने गंवाया?

राहुल गांधी के आरोपों पर जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अक्साई चिन का क्षेत्र कांग्रेस सरकार के दौरान चीन के कब्जे में गया था और तब ‘हिंदी-चीनी भाई-भाई’ का नारा दिया गया था, लेकिन बाद में चीन ने भारत की पीठ में छुरा घोंपा। उन्होंने राहुल गांधी से पूछा कि डोकलाम विवाद के समय कौन चीन के अधिकारियों के साथ चाइनीज सूप पी रहा था और सेना के समर्थन में क्यों नहीं खड़ा हुआ?

राजीव गांधी फाउंडेशन को लेकर आरोप

अनुराग ठाकुर ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राजीव गांधी फाउंडेशन को चीन से आर्थिक मदद मिली थी। उन्होंने पूछा कि कांग्रेस यह बताए कि राजीव गांधी फाउंडेशन ने चीन से पैसा क्यों लिया था? उन्होंने यह भी कहा कि डोकलाम विवाद के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री ने सीमा पर जाकर जवानों का हौसला बढ़ाया था और एक इंच भी जमीन चीन को नहीं दी गई।

सरकार की चीन नीति पर बहस जारी

राहुल गांधी और अनुराग ठाकुर के बीच यह बहस संसद में गर्मा गई। एक ओर राहुल गांधी सरकार पर चीन के प्रति नरम रवैया अपनाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अनुराग ठाकुर कांग्रेस पर चीन से फंड लेने और ऐतिहासिक गलतियों का दोष मढ़ रहे हैं।

यह बहस भारत-चीन संबंधों और अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर सरकार की रणनीति पर सवाल उठाती है। जहां एक ओर कांग्रेस सरकार को चीन के प्रति उसकी नीति को लेकर घेर रही है, वहीं सरकार कांग्रेस पर चीन के साथ पुराने संबंधों को लेकर सवाल उठा रही है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि इन आरोप-प्रत्यारोपों के बीच भारत की विदेश नीति और आर्थिक नीतियों में क्या बदलाव आता है।

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Title:- म्यांमार में 7.7 तीव्रता के भूकंप से भारी तबाही, मरने वालों की संख्या 3,085 के पार

म्यांमार में शुक्रवार को आए 7.7 तीव्रता के भूकंप ने देश में भारी तबाही मचा दी है। इसके बाद लगातार आफ्टरशॉक्स (भूकंप के बाद के झटके) महसूस किए जा रहे हैं, जिससे स्थिति और भयावह हो गई है। देश के मौसम विज्ञान और जल विज्ञान विभाग के अनुसार, गुरुवार सुबह तक 2.8 से 7.5 तीव्रता के 66 झटके दर्ज किए गए।

भूकंप से जान-माल का नुकसान

राज्य प्रशासन परिषद (एसएसी) की सूचना टीम के मुताबिक, इस भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 3,085 हो गई है, जबकि 4,715 लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा, 341 लोग अब भी लापता हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने हजारों घरों, सड़कों और बुनियादी ढांचे को तहस-नहस कर दिया है।

सरकार की राहत और पुनर्वास योजनाएँ

म्यांमार के सैन्य शासक और राज्य प्रशासन परिषद (एसएसी) के अध्यक्ष मिन आंग ह्लाइंग ने भूकंप राहत और पुनर्वास प्रयासों के लिए 500 अरब क्यात (लगभग 238.09 मिलियन डॉलर) आवंटित करने की घोषणा की है। सरकारी दैनिक ‘द ग्लोबल न्यू लाइट ऑफ म्यांमार’ के अनुसार, उन्होंने यह बयान मंगलवार को ने-पी-ताव में आयोजित एक नकद दान समारोह में दिया। इस कार्यक्रम में विभिन्न दानदाताओं ने 104.44 बिलियन क्यात (49.71 मिलियन डॉलर) नकद और 12.4 बिलियन क्यात (5.9 मिलियन डॉलर) मूल्य की गैर-नकद सहायता दान की।

अंतरराष्ट्रीय सहायता और राहत कार्य

भूकंप के बाद, म्यांमार सरकार ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मानवीय सहायता की अपील की। 31 मार्च तक, 16 देशों और क्षेत्रों से बचाव दल, डॉक्टर, नर्सें और मेडिकल सप्लाई म्यांमार पहुंच चुके हैं। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, भारत, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने भी म्यांमार में राहत और बचाव कार्यों में मदद के लिए सहायता भेजी है।

इतिहास में दूसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप

स्थानीय दैनिक ‘म्यांमा एलिन’ के अनुसार, म्यांमार में अब तक 18 बड़े भूकंप आ चुके हैं, और इस बार का 7.7 तीव्रता का भूकंप देश के इतिहास में दूसरा सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इससे पहले 1912 में म्यांमार में 8.0 तीव्रता का भूकंप आया था, जो अब तक का सबसे विनाशकारी भूकंप था।

बचाव कार्यों में आ रही कठिनाइयाँ

म्यांमार रेड क्रॉस सोसाइटी के अध्यक्ष म्यो न्युंट ने कहा कि वर्तमान बचाव अभियान में मुख्य चुनौती आपदा आकलन और रसद समन्वय है। उन्होंने कहा कि प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा संबंधी चिंताओं के कारण, बचाव दलों को सहायता वितरित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

भूकंप के कारण मुख्य समस्याएँ:

  1. बचाव कार्य में बाधाएँ: भारी मशीनरी की कमी के कारण मलबा हटाने और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने में कठिनाई हो रही है।
  2. सुरक्षा चिंताएँ: कुछ इलाकों में अस्थिर सुरक्षा स्थिति के कारण राहत कार्य बाधित हो रहे हैं।
  3. बिजली और जल आपूर्ति ठप: भूकंप के कारण कई क्षेत्रों में बिजली और पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
  4. संपर्क कटाव: कई दूर-दराज के क्षेत्रों में संचार सेवाएं बाधित हो गई हैं, जिससे बचाव कार्य और अधिक जटिल हो गए हैं।

एक सप्ताह का राष्ट्रीय शोक घोषित

म्यांमार सरकार ने सोमवार को भूकंप और उसके कारण हुए भारी विनाश के मद्देनजर एक सप्ताह के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की। इस दौरान सरकारी और निजी संस्थानों में विशेष प्रार्थना सभाएँ आयोजित की जाएंगी और राहत कार्यों को प्राथमिकता दी जाएगी।

भारत की मदद और क्षेत्रीय सहयोग

भारत ने म्यांमार के लिए तत्काल मानवीय सहायता भेजी है, जिसमें चिकित्सा आपूर्ति, बचाव दल और खाद्य सामग्री शामिल हैं। भारत ने इस संकट के समय में अपने पड़ोसी देश के प्रति संवेदना व्यक्त की है और हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया है।

म्यांमार में आए इस भीषण भूकंप ने देश को भारी क्षति पहुँचाई है। बचाव कार्य अभी भी जारी है, लेकिन चुनौतियाँ बहुत बड़ी हैं। सरकार और अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद, हजारों लोग अब भी सहायता के लिए इंतजार कर रहे हैं। यह आपदा एक बार फिर यह याद दिलाती है कि प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बेहतर बुनियादी ढांचे और त्वरित प्रतिक्रिया प्रणाली की आवश्यकता है।

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