Ram Navami 2025: बंगाल में राम नवमी पर सियासी संग्राम, मिथुन चक्रवर्ती का टीएमसी पर तीखा प्रहार

भारत में राम नवमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जनभावनाओं और आस्था का जीवंत उत्सव है। यह दिन भगवान श्रीराम के जन्म का प्रतीक है और देशभर में श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ मनाया जाता है। लेकिन 2025 की राम नवमी खासतौर पर पश्चिम बंगाल में धार्मिक रंग के साथ-साथ राजनीतिक घमासान का कारण भी बनी।

राम नवमी पर एकता की बात, पर राजनीति गरम

राम नवमी के दिन भाजपा नेता और अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने कोलकाता में आयोजित एक धार्मिक जुलूस में भाग लिया और मंच से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,

“आज राम नवमी के अवसर पर सभी सनातनी एक छत के नीचे इकट्ठा हुए हैं, यही सबसे बड़ी खुशी की बात है। यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक चेतना है।”

मिथुन चक्रवर्ती ने इस अवसर पर कहा कि भाजपा पर हिंसा फैलाने का आरोप लगाने वाली TMC खुद लोगों को डराने और बांटने का काम कर रही है। उन्होंने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के मॉडल को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इसे पूरे देश को देखना चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।

“भाजपा हिंसा नहीं, आस्था लाती है”

टीएमसी की तरफ से भाजपा पर राम नवमी के कार्यक्रमों के बहाने सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के आरोप लगाए गए थे। इसके जवाब में मिथुन ने कहा,

“भाजपा किसी भी प्रकार की हिंसा में विश्वास नहीं रखती। हम रामलला की मर्यादा में रहकर कार्य करते हैं। जो भी हिंसा फैलाता है, वह राम का भक्त हो ही नहीं सकता।”

उन्होंने कहा कि राम नवमी के बहाने सनातन संस्कृति को एक बार फिर जीवित किया जा रहा है, और ये आयोजन आने वाली पीढ़ियों को हमारी जड़ों से जोड़ने का एक माध्यम बन रहे हैं।

“रामलला से प्रार्थना – सबको सुमति दें”

मिथुन चक्रवर्ती ने अपने भाषण के अंत में भगवान राम से प्रार्थना करते हुए कहा,

“हे रामलला, इस देश को सुमति दो। सभी को विवेक, शांति और एकता का मार्ग दिखाओ। राजनीति में चाहे मतभेद हों, लेकिन राम का नाम जोड़ने का काम करता है, तोड़ने का नहीं।”

उनकी इस अपील को सुनकर वहां मौजूद हजारों श्रद्धालुओं ने ‘जय श्री राम’ के नारों के साथ समर्थन जताया।

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बंगाल में राम नवमी: उत्सव या उग्रता?

हाल के वर्षों में पश्चिम बंगाल में राम नवमी का पर्व एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन बनता जा रहा है। खासकर भाजपा और टीएमसी के बीच धार्मिक प्रतीकों के इस्तेमाल को लेकर जुबानी जंग आम हो चुकी है। जहां एक ओर भाजपा इसे सनातन संस्कृति और अस्मिता से जोड़ती है, वहीं टीएमसी इसे ध्रुवीकरण की राजनीति का हथियार बताती है।

इस वर्ष भी बंगाल के विभिन्न जिलों में भव्य जुलूस निकाले गए, जिनमें भगवा झंडों, शंखध्वनि और धार्मिक जयकारों के साथ युवाओं ने तलवारबाजी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का प्रदर्शन किया। हालांकि, कुछ जगहों पर कानून-व्यवस्था को लेकर तनाव की खबरें भी आईं, जिससे माहौल कुछ समय के लिए तनावपूर्ण हो गया।

TMC की प्रतिक्रिया

टीएमसी नेताओं ने भाजपा पर धार्मिक आयोजनों के जरिए राजनीतिक एजेंडा चलाने का आरोप लगाया। पार्टी प्रवक्ताओं ने कहा कि भाजपा “राम के नाम पर राजनीति कर रही है” और बंगाल की गंगा-जमुनी तहज़ीब को नुकसान पहुंचा रही है। हालांकि, भाजपा नेताओं ने इसे ‘हिंदू विरोधी मानसिकता’ करार देते हुए खारिज कर दिया।

उत्तर भारत से भी समर्थन की लहर

राम नवमी के दिन उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों – खासकर अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज और हरिद्वार में – भव्य शोभायात्राएं निकाली गईं। ऐसे में जब बंगाल से जुड़े घटनाक्रम सामने आए, तो उत्तर भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स और नेताओं ने भी मिथुन चक्रवर्ती के बयानों को सराहा। कई लोगों ने ट्वीट करते हुए लिखा –

“बंगाल में राम नाम की लौ जलती रहे, यही शुभकामना है।”

राम नवमी जैसे पावन पर्व पर जब देशभर में श्रद्धा और उत्सव का माहौल होता है, तो राजनीति की गर्माहट इस रंग में कुछ खटास भी घोल देती है। लेकिन मिथुन चक्रवर्ती जैसे नेताओं के जरिए जब एकता, विवेक और आस्था की बातें होती हैं, तो यह समाज को एक दिशा देती हैं।

आशा है कि आने वाले समय में राम नवमी सिर्फ राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और आध्यात्मिक एकता का पर्व बनकर उभरे — जैसा कि भगवान श्रीराम के आदर्शों से अपेक्षित है।

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