कांग्रेस सांसद और वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने हाल ही में पनामा में एक बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान भारत के आतंकवाद के प्रति कठोर रुख को स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया। भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए, थरूर ने भारत की आतंकवाद के खिलाफ प्रतिबद्धता को दोहराया और कहा कि देश अब महात्मा गांधी की ‘दूसरा गाल आगे करने’ की नीति को छोड़कर आतंकवाद का मुंहतोड़ जवाब देगा। यह बयान भारत की विदेश नीति में आए बदलाव को दर्शाता है, जहां अब निष्क्रिय सहनशीलता की जगह सक्रिय और कठोर कार्रवाई को प्राथमिकता दी जा रही है।
गांधीवादी सिद्धांतों का आधुनिक संदर्भ
थरूर ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी की शिक्षाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि गांधीजी ने हमें न केवल स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना सिखाया, बल्कि बिना डर के जीने और अपने अधिकारों की रक्षा करने का भी पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा, “महात्मा गांधी ने हमें सिखाया कि अपने मूल्यों और विश्वासों की रक्षा के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए। आज भारत उन दुष्ट ताकतों के खिलाफ लड़ रहा है, जिन्हें दुनिया आतंकवादी कहती है। ये लोग हमारे देश में घुसकर निर्दोष लोगों की जान लेते हैं, यह सोचकर कि वे किसी बड़े मकसद को हासिल कर लेंगे। लेकिन अब भारत ऐसी हरकतों को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करेगा।” थरूर ने स्पष्ट किया कि गांधीजी का अहिंसा का सिद्धांत कमजोरी का पर्याय नहीं है, बल्कि यह साहस और आत्मसम्मान के साथ अपने अधिकारों की रक्षा करने का आह्वान करता है।
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आतंकवाद के खिलाफ भारत की कार्रवाइयां
थरूर का यह बयान हाल के वर्षों में भारत द्वारा अपनाए गए आतंकवाद विरोधी कदमों के अनुरूप है। 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट हवाई हमले जैसे कदम भारत की आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दर्शाते हैं। थरूर ने कहा कि भारत अब किसी भी आतंकी हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने यह भी जोर दिया कि भारत की यह नीति न केवल देश की सुरक्षा के लिए, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है।
वैश्विक मंच पर भारत की अपील
पनामा में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए, थरूर ने वैश्विक मंचों पर भारत के दृष्टिकोण को प्रस्तुत किया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने की अपील की। थरूर ने कहा, “आतंकवाद न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए खतरा है। इसे खत्म करने के लिए सभी देशों को मिलकर काम करना होगा।” उन्होंने वैश्विक समुदाय से आतंकवाद के खिलाफ संयुक्त रणनीति और सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया।
आतंकवाद के खिलाफ साहस और संकल्प
थरूर ने अपने संबोधन में गांधीवादी सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में प्रस्तुत करते हुए कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ साहस और संकल्प के साथ खड़ा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि गांधीजी की अहिंसा और सत्य के सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं, लेकिन इनका मतलब कमजोरी नहीं है। भारत अब आतंकवाद के खिलाफ उसी साहस के साथ कार्रवाई करेगा, जो गांधीजी ने हमें सिखाया। थरूर का यह बयान न केवल भारत की नीति को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता का संदेश भी देता है।
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