शशि थरूर का पीएम मोदी पर बयान: कांग्रेस के लिए चुनौती या नई सियासी दिशा?

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है। उन्होंने पीएम मोदी को “भारत की सबसे बड़ी वैश्विक पूंजी (Prime Asset)” करार दिया है। यह टिप्पणी उन्होंने एक लेख में की, जो 24 जून को ‘The Hindu’ में प्रकाशित हुआ।

थरूर के इस बयान ने एक ओर जहां बीजेपी को एक नया राजनीतिक हथियार दे दिया है, वहीं कांग्रेस को असहज स्थिति में डाल दिया है। आइए जानते हैं कि शशि थरूर ने क्या कहा, इस बयान के मायने क्या हैं और इसके पीछे की राजनीति क्या इशारा कर रही है।

क्या कहा शशि थरूर ने?

शशि थरूर ने लिखा कि प्रधानमंत्री मोदी की वैश्विक सक्रियता, उनकी विदेश यात्राएं और संवाद की इच्छा भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को मजबूती देती हैं। थरूर के अनुसार, “पीएम मोदी की ऊर्जा और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उपस्थिति भारत के लिए एक प्रमुख संपत्ति बन चुकी है। यह गुण नजरअंदाज नहीं किया जा सकता और इसे समर्थन मिलना चाहिए।”

उन्होंने यह भी जोड़ा कि दुनिया में भारत की स्वीकार्यता को मजबूत करने में मोदी सरकार की विदेश नीति की अहम भूमिका रही है।

विदेश नीति और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की भूमिका

थरूर हाल ही में भारत के बहुपक्षीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे, जिसे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद 32 देशों के दौरे पर भेजा गया था। इस मिशन का उद्देश्य था: भारत की आतंकवाद विरोधी नीति पर दुनिया के नेताओं को एकजुट संदेश देना। थरूर ने इसे “राष्ट्रीय संकल्प और प्रभावी संवाद” का प्रतीक बताया।

बीजेपी का पलटवार और थरूर की तारीफ

बीजेपी ने थरूर के इस बयान को तुरंत लपक लिया। पार्टी प्रवक्ताओं ने इसे कांग्रेस के ‘भीतर से आई सच्चाई’ बताया और सोशल मीडिया पर इसे जमकर प्रचारित किया। कुछ बीजेपी नेताओं ने ट्वीट किया— “अब कांग्रेस के नेता भी मान गए कि मोदी हैं तो मुमकिन है!”

कांग्रेस की चुप्पी और असहजता

जहां बीजेपी इस बयान को अपने पक्ष में भुना रही है, वहीं कांग्रेस अभी तक इस पर आधिकारिक प्रतिक्रिया देने से बचती दिख रही है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह टिप्पणी कांग्रेस के भीतर विचारधारा की टकराहट को उजागर करती है। थरूर पहले भी पार्टी लाइन से हटकर बयान देने के लिए जाने जाते रहे हैं।

राजनीतिक विश्लेषण: क्या यह नई दिशा का संकेत है?

  1. क्या थरूर बीजेपी के करीब जा रहे हैं?
    यह सवाल इसलिए उठता है क्योंकि हाल के वर्षों में उन्होंने कई बार पीएम मोदी की विदेश नीति की तारीफ की है।
  2. क्या कांग्रेस नेतृत्व थरूर को रोक पाएगा?
    पार्टी के भीतर फ्री स्पीच बनाम पार्टी लाइन की बहस को यह बयान और हवा दे सकता है।
  3. क्या इससे कांग्रेस कमजोर दिख रही है?
    जहां एक ओर कांग्रेस पीएम मोदी की आलोचना करती है, वहीं पार्टी का ही एक वरिष्ठ नेता उनकी तारीफ करता है — यह विरोधाभास पार्टी की छवि पर असर डाल सकता है।
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