भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) जल्द ही 5G सेवा शुरू करने की तैयारी में है और हाल ही में एक फ्लैश सेल के तहत मात्र ₹1 में 1GB डेटा की पेशकश की थी। इसके बावजूद, कंपनी को एक बड़ा झटका मध्य प्रदेश से मिला है। MP पुलिस विभाग ने BSNL के लगभग 80,000 नंबरों को एयरटेल में पोर्ट करने का निर्णय लिया है। यह कदम BSNL की कमजोर नेटवर्क सेवाओं और धीमी डेटा स्पीड के कारण उठाया गया है।
3G नेटवर्क बना परेशानी की जड़
मध्य प्रदेश पुलिस के इस निर्णय की सबसे बड़ी वजह BSNL का पुराना 3G नेटवर्क और कई क्षेत्रों में नेटवर्क की अनुपलब्धता है। नए ‘भारतीय न्याय संहिता’ के तहत पुलिस को दस्तावेजों की डिजिटल रिकॉर्डिंग और ट्रांसफर जैसी जिम्मेदारियों को पूरा करना है, जिसके लिए मजबूत नेटवर्क की आवश्यकता होती है। BSNL की धीमी इंटरनेट स्पीड और कमजोर कवरेज इस कार्य में बड़ी बाधा बन रही है।
क्यों लिया गया यह बड़ा फैसला?
2009 में MP पुलिस ने यह सुनिश्चित करने के लिए BSNL के 9000 से अधिक सिम कार्ड लिए थे कि पुलिस अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर के बावजूद थाने के नंबर में कोई बदलाव न हो। समय के साथ जरूरत बढ़ने पर और 70,000 सिम कार्ड खरीदे गए, जिससे कुल संख्या 80,000 हो गई। लेकिन अब जब डिजिटल ट्रांसफर और लाइव डेटा रिकॉर्डिंग की जरूरत बढ़ी है, तो BSNL का नेटवर्क इस दबाव को झेल नहीं पा रहा।
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कैसे होगा पोर्टिंग का प्रोसेस?
भोपाल की डीसीपी श्रद्धा तिवारी द्वारा जारी किए गए निर्देशों के अनुसार:
- पहले सभी सरकारी कर्मचारियों को BSNL की सिम दी जाएगी।
- फिर हर कर्मचारी PORT<स्पेस>10 अंकों का नंबर टाइप कर 1900 पर SMS करेगा।
- UPC कोड मिलने के बाद, सिम नंबर, नाम और पदनाम की जानकारी के साथ यह डिटेल CUG डेस्क को 2-3 दिन के अंदर भेजनी होगी।
इस प्रक्रिया के पूरा होते ही BSNL के नंबर एयरटेल नेटवर्क में पोर्ट हो जाएंगे।
जनता पर भी पड़ेगा असर?
इस निर्णय से न केवल पुलिस विभाग पर असर पड़ेगा, बल्कि आम जनता की सोच पर भी। सरकार बार-बार BSNL को प्रमोट करने की कोशिश करती है, लेकिन जब खुद सरकारी विभाग BSNL को छोड़ने लगें, तो लोगों का भरोसा डगमगाना तय है।
BSNL की 5G लॉन्च की तैयारी और फ्लैश सेल जैसे प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन अगर नेटवर्क की मूल समस्याएं नहीं सुलझाई गईं, तो यूजर्स को जोड़ने की बजाय कंपनी उन्हें खोती ही रहेगी।
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