भारत और चीन के बीच हाल के वर्षों में तनाव के बाद अब रिश्तों में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। चीनी उप विदेश मंत्री सुन वेईडोंग इस सप्ताह दो दिवसीय भारत दौरे पर आ सकते हैं। यह इस साल दोनों देशों के बीच दूसरी उच्च-स्तरीय यात्रा होगी। जनवरी में भारत के विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बीजिंग का दौरा किया था, जहां दोनों पक्षों ने रिश्तों को सामान्य करने के लिए कई मुद्दों पर सहमति जताई थी। सुन वेईडोंग का दौरा इस दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। खासकर, पूर्वी लद्दाख में सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद यह यात्रा रिश्तों को और मजबूत करने की उम्मीद जगाती है।
सुन वेईडोंग की भारत यात्रा का एजेंडा
रिपोर्ट के अनुसार, सुन वेईडोंग गुरुवार को भारत पहुंच सकते हैं। इस दौरान उनकी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल और विदेश सचिव स्तर पर वार्ता होने की संभावना है। यह दौरा गलवान घाटी की घटना के बाद बिगड़े रिश्तों को सुधारने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की रूस में मुलाकात के बाद से दोनों देशों के बीच विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता फिर से शुरू हुई है। इस साल के अंत में चीनी विदेश मंत्री वांग यी भी भारत आ सकते हैं, जो विशेष प्रतिनिधि वार्ता के अगले दौर की मेजबानी करेंगे।
यह भी पढ़ें : हाउसफुल 5 ने मंगलवार को की शानदार कमाई, 100 करोड़ क्लब में शामिल
ऑपरेशन सिंदूर और चीन का रवैया
हाल के पहलगाम हमले के बाद भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान द्वारा चीनी हथियारों के इस्तेमाल ने भारत-चीन रिश्तों पर सवाल उठाए हैं। चीन का पाकिस्तान समर्थक रवैया दोनों देशों के बीच विश्वास की कमी को दर्शाता है। ऐसे में सुन वेईडोंग की यात्रा इस विश्वास को बहाल करने का एक महत्वपूर्ण अवसर हो सकती है। दोनों देशों के बीच रिश्तों को सामान्य करने के लिए जनवरी में शुरू किए गए कदमों की समीक्षा भी इस दौरे का हिस्सा होगी।
द्विपक्षीय सहयोग में प्रगति
जनवरी की वार्ता में दोनों देश कैलाश मानसरोवर यात्रा-2025 को फिर से शुरू करने पर सहमत हुए थे, जो भारत की लंबे समय से मांग थी। इसके अलावा, सीमा पार नदियों पर सहयोग में भी प्रगति हुई है। हालांकि, सीधी हवाई सेवाओं को शुरू करने पर अभी काम चल रहा है, जिसे जल्द लागू करने की कोशिश हो रही है। ये कदम दोनों देशों के बीच व्यापार और लोगों के आवागमन को बढ़ावा देंगे, जिससे क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बल मिलेगा।
विश्वास बहाली की चुनौती
भारत और चीन के बीच रिश्तों में सुधार की प्रक्रिया सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है, लेकिन पाकिस्तान के मुद्दे पर चीन का रवैया एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। सुन वेईडोंग की यात्रा से यह स्पष्ट होगा कि दोनों देश कितनी गंभीरता से विश्वास बहाली और सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार हैं। यह दौरा न केवल द्विपक्षीय रिश्तों, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी महत्वपूर्ण है। दोनों देशों को बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाने और विकास के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है।
संबंधित पोस्ट
डोनाल्ड ट्रंप की विश्वसनीयता पर सवाल: विवादों से घिरा दूसरा कार्यकाल
दुनिया की टॉप 10 सबसे मूल्यवान कंपनियां और अरबपतियों की सूची
भारत-पाकिस्तान तनाव में चीन की भूमिका: शशि थरूर