राम नवमी 2025 के पावन अवसर पर देशभर में धार्मिक उत्सवों की धूम रही, लेकिन पश्चिम बंगाल इस बार केवल भक्ति का केंद्र नहीं, बल्कि राजनीतिक बयानबाज़ी और शक्ति प्रदर्शन का भी मुख्य मंच बन गया। बंगाल में भारतीय जनता पार्टी (BJP) द्वारा निकाली गई मेगा शोभा यात्रा ने पूरे प्रदेश का ध्यान अपनी ओर खींचा, जिसमें हजारों की संख्या में कार्यकर्ता शामिल हुए।
शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में ऐतिहासिक यात्रा
इस भव्य शोभा यात्रा का नेतृत्व बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और वरिष्ठ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने किया। यात्रा कोलकाता समेत राज्य के विभिन्न हिस्सों से निकाली गई, जिसमें भगवा झंडों, राम धुन, तलवारबाजी के प्रदर्शन, और राम की झांकियों के साथ जनसैलाब उमड़ पड़ा।
राम भक्तों ने श्रीराम की प्रतिमाओं की पूजा की, और ‘जय श्री राम’ के नारों से सड़कों को गूंजा दिया। इस आयोजन को भाजपा ने ‘हिंदू अस्मिता और संस्कृति का पर्व’ बताते हुए एक सामाजिक और सांस्कृतिक जागरूकता का रूप दिया।
“हिंदू खतरे में है”: शुभेंदु का बड़ा बयान
शुभेंदु अधिकारी ने एक बड़ा और विवादित बयान देते हुए कहा:
“आज बंगाल में हिंदू बहुत परेशानी में है, हिंदू खतरे में है। हमारी आस्था पर हमला हो रहा है, हमारी पहचान मिटाई जा रही है। यह शोभा यात्रा सिर्फ जश्न नहीं, बल्कि जागरण और चेतावनी है।”
उनका यह बयान तुरंत ही राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया। भाजपा समर्थकों ने इसे हिंदू समाज की सुरक्षा और पहचान से जोड़ा, वहीं विरोधी दलों ने इसे “ध्रुवीकरण की सस्ती राजनीति” बताया।
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कोलकाता में उमड़ा भक्तों का सैलाब
राजधानी कोलकाता में शोभा यात्रा का माहौल पूरी तरह भक्ति और उत्साह से भर गया था। महिलाएं, युवा और बुज़ुर्ग सभी राम धुन पर झूमते हुए यात्रा में शामिल हुए। भगवा वस्त्र, केसरिया पताकाएं और भक्ति गीतों ने कोलकाता की सड़कों को राममय बना दिया।
श्रीराम की प्रतिमाएं सजी-धजी झांकियों में रखी गईं, जिनके आगे श्रद्धालुओं ने पुष्प अर्पित किए। जगह-जगह प्रसाद वितरण और भजन-कीर्तन के आयोजन भी हुए।
पूरे राज्य में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था
चूंकि पिछले वर्षों में बंगाल में राम नवमी के अवसर पर तनावपूर्ण घटनाएं हो चुकी हैं, इस बार सरकार ने पहले से ही सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए थे। पूरे राज्य में पुलिस बल को अलर्ट पर रखा गया, ड्रोन से निगरानी और संवेदनशील क्षेत्रों में RAF की तैनाती की गई।
राज्य सरकार ने स्पष्ट किया कि कानून व्यवस्था के साथ कोई समझौता नहीं होगा, चाहे कोई भी आयोजन हो।
टीएमसी का पलटवार: “धर्म के नाम पर राजनीति”
शुभेंदु अधिकारी के “हिंदू खतरे में है” बयान पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता ने कहा:
“भाजपा हर त्योहार को राजनीतिक रंग देने की कोशिश करती है। बंगाल हमेशा से धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सौहार्द की भूमि रही है। भाजपा लोगों को बांटने और भड़काने का काम कर रही है।”
टीएमसी का यह भी आरोप है कि भाजपा धार्मिक आयोजनों के जरिए वोट बैंक की राजनीति कर रही है, जबकि असली मुद्दों – जैसे रोजगार, महंगाई और शिक्षा – पर उसका कोई ध्यान नहीं है।
उत्तर भारत से समर्थन की आवाज़ें
बंगाल में राम नवमी पर निकली इस शोभा यात्रा को उत्तर भारत में भी व्यापक समर्थन मिला। अयोध्या, काशी, मथुरा जैसे धार्मिक शहरों में कई साधु-संतों और धार्मिक संगठनों ने भाजपा की पहल को ‘हिंदू जागरण का कदम’ बताया।
सोशल मीडिया पर कई हैशटैग्स ट्रेंड करने लगे जैसे – #जयश्रीराम, #RamNavamiBengal, और #HinduUnity – जिसमें हजारों यूज़र्स ने बंगाल की यात्रा की तस्वीरें साझा कीं।
राजनीति और आस्था की जंग
बंगाल में राम नवमी का आयोजन एक बार फिर यह साबित करता है कि जब धर्म और राजनीति का मेल होता है, तो सामाजिक प्रभाव गहरा होता है। भाजपा की शोभा यात्रा जहां हिंदू एकता और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक मानी जा रही है, वहीं विरोधी दल इसे राजनीतिक ध्रुवीकरण का माध्यम मान रहे हैं।
एक ओर श्रद्धालु श्रीराम की भक्ति में लीन हैं, तो दूसरी ओर सियासी दल इस अवसर को जनता तक अपना संदेश पहुंचाने का मंच बना रहे हैं। लेकिन सबसे अहम सवाल यही है — क्या धार्मिक उत्सवों को राजनीतिक रंग देना सही है? यह विचारणीय है।
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