बिहार की राजनीति इन दिनों फिर एक बड़े विवाद के केंद्र में है। 2025 विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और राज्य में तैयारियां ज़ोरों पर चल रही हैं। लेकिन अब चुनावी प्रक्रियाओं को लेकर सवाल उठने लगे हैं—खासकर मतदाता सूची यानी वोटर लिस्ट को लेकर।
राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बिहार में मतदाता सूची में हो रहे बदलाव को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। तेजस्वी का कहना है कि यह पूरा अभियान एनडीए सरकार की एक “चालाक साजिश” है, जिससे राज्य के गरीब, वंचित और शोषित समुदायों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर किया जा सके।
तेजस्वी यादव के आरोप
तेजस्वी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मतदाता सूची में इस तरह की छंटनी लोकतंत्र की हत्या है। ऐसा लगता है जैसे जानबूझकर वंचित वर्गों के नाम लिस्ट से हटाए जा रहे हैं ताकि वे वोट न डाल सकें।”
उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग इतनी तेजी से यह प्रक्रिया क्यों कर रहा है, यह अपने आप में संदेहास्पद है। तेजस्वी ने याद दिलाया कि 2003 में जब देशभर में नई वोटर लिस्ट तैयार की गई थी, तब उसमें लगभग दो साल का समय लगा था। वहीं अब बिहार में यह कार्य सिर्फ 25 दिनों में पूरा करने की बात की जा रही है।
चुनाव आयोग पर सवाल
तेजस्वी यादव ने यह भी आरोप लगाया कि चुनाव आयोग पर एनडीए सरकार का दबाव है। उन्होंने पूछा कि इतनी जल्दी में काम क्यों किया जा रहा है और किसके कहने पर यह प्रक्रिया तेज की गई है? क्या यह सारा खेल चुनाव को प्रभावित करने के लिए हो रहा है?
उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठना लोकतंत्र के लिए खतरे की घंटी है। जब तक सभी मतदाताओं को बराबरी का हक़ नहीं मिलेगा, तब तक चुनाव की वैधता ही सवालों में घिर जाएगी।”
एनडीए की मंशा पर संदेह
तेजस्वी यादव का दावा है कि एनडीए को इस बात का डर है कि बिहार में उनके खिलाफ माहौल बन चुका है। इसलिए वे जानबूझकर वोटर लिस्ट में गड़बड़ी करवा रहे हैं, ताकि कमजोर वर्गों का वोट डिलीट कर चुनावी नतीजों को प्रभावित किया जा सके।
उन्होंने कहा कि अगर यह प्रक्रिया बिना पारदर्शिता के पूरी की गई, तो आरजेडी इसके खिलाफ आंदोलन छेड़ेगी और जरूरत पड़ी तो कोर्ट का भी दरवाज़ा खटखटाया जाएगा।
जनता की भूमिका और प्रतिक्रिया
अब सवाल उठता है कि क्या बिहार की जनता इस मुद्दे पर आवाज़ उठाएगी? क्या लोग अपने मताधिकार की रक्षा के लिए चुनाव आयोग से सवाल पूछेंगे? सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बहस शुरू हो चुकी है, और आरजेडी समर्थकों के साथ-साथ कई सामान्य नागरिक भी इस बदलाव को लेकर चिंता जता रहे हैं।
हालांकि, चुनाव आयोग की तरफ से इस पूरे मामले पर अब तक कोई विस्तृत बयान सामने नहीं आया है। अगर आयोग ने जल्द ही इस पर पारदर्शी तरीके से सफाई नहीं दी, तो यह मुद्दा आगामी विधानसभा चुनाव की दिशा और दशा दोनों बदल सकता है।
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