तेलंगाना: पति की किडनी फेल, महिला ने नवजात की हत्या

हैदराबाद के मैलारदेवपल्ली इलाके से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक महिला ने अपनी दो सप्ताह की नवजात बच्ची को पानी से भरी बाल्टी में डुबोकर मार डाला। पुलिस के अनुसार, यह महिला मूल रूप से तमिलनाडु की रहने वाली थी और अपने परिवार के साथ तेलंगाना में आकर बसी थी। वह शहर के कटेदन इंडस्ट्रियल एरिया में एक रसोईघर में काम करती थी।

घटना कैसे घटी?

पुलिस की जांच के अनुसार, महिला के पति की किडनी फेल हो चुकी थी, जिसके चलते परिवार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था। पति के इलाज और घर खर्च के बोझ ने महिला को मानसिक रूप से परेशान कर दिया था। इस तनाव के चलते उसने यह खौफनाक कदम उठाया।

घटना के दिन, महिला ने अपनी दो सप्ताह की बच्ची को पानी भरी बाल्टी में डाल दिया और उसे डूबा दिया। हालांकि, उसने अपने बड़े बेटे को जीवित रखा। इस घटना का खुलासा तब हुआ जब पड़ोसियों ने घर से रोने-चीखने की आवाजें सुनीं और पुलिस को सूचना दी।

पुलिस की कार्रवाई और जांच

घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और महिला को हिरासत में ले लिया। शुरुआती पूछताछ में महिला ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। पुलिस अब इस मामले की गहराई से जांच कर रही है और यह समझने की कोशिश कर रही है कि महिला ने यह कदम मानसिक दबाव में उठाया या इसके पीछे कोई और वजह थी।

पुलिस अधिकारी ने बताया, “हम महिला के मानसिक स्वास्थ्य और पारिवारिक स्थिति की जांच कर रहे हैं। शुरुआती जांच में आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव ही इस अपराध के प्रमुख कारण नजर आ रहे हैं।”

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आर्थिक तंगी और मानसिक तनाव की मार

यह घटना भारतीय समाज में बढ़ते आर्थिक संकट और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता को उजागर करती है। जब कोई परिवार आर्थिक तंगी का सामना करता है, तो सबसे ज्यादा असर महिलाओं और बच्चों पर पड़ता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसी घटनाएं सिर्फ आर्थिक कठिनाइयों के कारण नहीं होतीं, बल्कि मानसिक तनाव और अवसाद भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। अगर समय रहते परिवार को काउंसलिंग और आर्थिक मदद मिल जाए, तो शायद ऐसी दुखद घटनाओं को रोका जा सकता है।

समाज की जिम्मेदारी क्या है?

  • मानसिक स्वास्थ्य पर जागरूकता: इस घटना से यह साफ हो जाता है कि मानसिक स्वास्थ्य को गंभीरता से लेने की जरूरत है। सरकार और सामाजिक संस्थाओं को इस पर ध्यान देना चाहिए और काउंसलिंग सेवाएं सुलभ करानी चाहिए।
  • आर्थिक सहायता: ऐसे जरूरतमंद परिवारों के लिए सरकार को आर्थिक सहायता योजनाओं को प्रभावी तरीके से लागू करना चाहिए ताकि वे चरम पर पहुंचने से पहले ही मदद पा सकें।
  • समुदाय की भागीदारी: पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी सतर्क रहना चाहिए और यदि किसी परिवार में गंभीर तनाव या आर्थिक संकट दिखे, तो उनकी सहायता करनी चाहिए।

निष्कर्ष

हैदराबाद की यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि हमें मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक कठिनाइयों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। जब तक सरकार, समाज और परिवार मिलकर इन समस्याओं का समाधान नहीं ढूंढते, तब तक ऐसी दुखद घटनाएं होती रहेंगी।

इस घटना ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं – क्या इस महिला को पहले ही मदद नहीं मिल सकती थी? क्या हमारी सामाजिक व्यवस्था इतनी कमजोर हो गई है कि आर्थिक तंगी के चलते कोई इतना बड़ा कदम उठाने को मजबूर हो जाए? इन सवालों के जवाब ढूंढना अब हमारी सामूहिक जिम्मेदारी बन जाती है।

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