हैदराबाद यूनिवर्सिटी में एक बार फिर विरोध प्रदर्शन तेज हो गया है। छात्रों ने यूनिवर्सिटी के बगल की जमीन पर हो रही तोड़फोड़ के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैंपस से सटे क्षेत्र में जब प्रशासन द्वारा बुलडोजर चलाया गया, तो छात्रों में आक्रोश फैल गया। उनका कहना है कि इस भूमि पर अवैध निर्माण नहीं था, फिर भी इसे जबरन गिराया जा रहा है।
क्या है पूरा मामला?
हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास की जमीन को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि यह सरकारी जमीन है और इस पर अवैध कब्जा किया गया था, जिसे हटाने के लिए बुलडोजर चलाए गए। लेकिन छात्रों और कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि इस क्षेत्र का इस्तेमाल सालों से किया जा रहा था और अचानक इसे तोड़ने का फैसला बिना किसी पूर्व सूचना के लिया गया।
छात्रों का आरोप है कि इस कार्रवाई के लिए कोई ठोस कारण नहीं दिया गया और यह विश्वविद्यालय प्रशासन व छात्रों से बिना चर्चा किए किया गया। इससे छात्रों में गहरी नाराजगी फैल गई और उन्होंने कैंपस में मार्च निकालकर विरोध जताया।
छात्रों का गुस्सा और मांगे
छात्र संगठनों ने प्रशासन से कई सवाल उठाए हैं:
- क्या बुलडोजर चलाने से पहले यूनिवर्सिटी प्रशासन को सूचना दी गई थी?
- क्या छात्रों से इस मामले पर चर्चा की गई?
- क्या इस जमीन पर कोई वैध निर्माण था जिसे बिना उचित प्रक्रिया के गिराया गया?
छात्रों ने मांग की है कि इस मामले में स्पष्टता लाई जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन को छात्रों के साथ संवाद करना चाहिए।
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प्रशासन का पक्ष
हैदराबाद नगर प्रशासन के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने केवल सरकारी आदेशों का पालन किया है। अधिकारियों के मुताबिक, यह जमीन सरकारी संपत्ति थी और इसे खाली कराना जरूरी था। उन्होंने छात्रों को आश्वासन दिया है कि इस कार्रवाई का यूनिवर्सिटी की गतिविधियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया दी है और छात्रों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उनका कहना है कि वे मामले की जांच करेंगे और उचित कदम उठाएंगे।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग भी पकड़ता जा रहा है। कई छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों ने प्रशासन के इस कदम की आलोचना की है। विपक्षी दलों का कहना है कि बुलडोजर राजनीति अब शिक्षा संस्थानों तक पहुंच गई है, जो कि चिंताजनक है।
कुछ स्थानीय नेताओं ने छात्रों के साथ एकजुटता दिखाते हुए सरकार से इस कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग की है।
सोशल मीडिया पर आक्रोश
जैसे ही यह खबर फैली, सोशल मीडिया पर भी लोगों ने अपनी राय रखनी शुरू कर दी। ट्विटर (अब X) और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर #HyderabadUniversityProtest ट्रेंड करने लगा।
कई छात्रों और कार्यकर्ताओं ने इसे “छात्र अधिकारों पर हमला” करार दिया, जबकि कुछ ने प्रशासन के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि अवैध निर्माण को हटाना जरूरी था।
आगे क्या होगा?
फिलहाल, यूनिवर्सिटी प्रशासन छात्रों को शांत करने की कोशिश कर रहा है और यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का क्या समाधान निकलता है। यदि प्रशासन और छात्रों के बीच कोई समझौता नहीं होता, तो यह विरोध प्रदर्शन और भी उग्र हो सकता है।
हैदराबाद यूनिवर्सिटी में बुलडोजर की यह कार्रवाई केवल एक जमीन विवाद नहीं है, बल्कि यह प्रशासन और छात्रों के बीच विश्वास की कमी को भी दिखाता है। इस तरह के मामलों में पारदर्शिता और संवाद जरूरी है ताकि छात्रों का गुस्सा भड़कने के बजाय सही दिशा में जाए। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि क्या प्रशासन छात्रों की मांगों को गंभीरता से लेता है या फिर यह मामला और ज्यादा तूल पकड़ता है।
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