अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच बढ़ते टैरिफ युद्ध के बीच गुरुवार को व्हाइट हाउस में एक अहम मुलाकात हुई। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की यह बैठक न सिर्फ द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने की दिशा में मानी जा रही है, बल्कि इससे यूरोपीय संघ (EU) के साथ अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में संभावित सुधार के संकेत भी मिले हैं।
टैरिफ पॉलिसी के बीच मेलोनी की यात्रा का महत्व
डोनाल्ड ट्रंप की सख्त टैरिफ नीतियों के चलते अमेरिका और यूरोपीय देशों के बीच व्यापारिक रिश्तों में खटास आ चुकी है। ट्रंप प्रशासन ने हाल ही में यूरोपीय संघ से आयात होने वाले उत्पादों पर 20 प्रतिशत टैरिफ लगाने का निर्णय लिया था, जिससे यूरोप में खलबली मच गई। इस फैसले के बाद किसी भी यूरोपीय नेता का यह पहला आधिकारिक अमेरिकी दौरा था, जिससे इसके राजनीतिक और आर्थिक मायनों को लेकर वैश्विक स्तर पर चर्चाएं तेज हैं।
ट्रंप का बयान: “समझौता 100% होगा, लेकिन निष्पक्ष होगा”
मुलाकात के दौरान ट्रंप ने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार समझौता “100 प्रतिशत” संभव है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि वह किसी भी समझौते के लिए जल्दबाजी नहीं करेंगे। उन्होंने दो टूक कहा कि “अगर समझौता अमेरिका के हितों को नुकसान पहुंचाने वाला हुआ, तो हम उसे स्वीकार नहीं करेंगे।”
ट्रंप ने यह भी जोड़ा, “मैं टैरिफ खत्म करने की जल्दी में नहीं हूं। हर कोई समझौता चाहता है, और अगर वे नहीं चाहते तो हम उनके लिए समझौता करेंगे।”
मेलोनी का संदेश: “पश्चिम को फिर से महान बनाना है”
इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने इस मुलाकात के दौरान काफी संतुलित रुख अपनाया। उन्होंने माना कि अमेरिका और यूरोपीय संघ के बीच मतभेद हैं, लेकिन यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि दोनों पक्ष मिलकर समाधान तलाशें।
मेलोनी ने ट्रंप से कहा, “हमारा उद्देश्य पश्चिम को फिर से महान बनाना है, और हमें लगता है कि यह केवल साथ मिलकर ही संभव है।”
मेलोनी ने ट्रंप को रोम आने का न्योता भी दिया, जिसे ट्रंप ने स्वीकार करने का संकेत दिया।
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EU में बेचैनी, एकता पर सवाल
मेलोनी की ट्रंप से मुलाकात ने यूरोपीय संघ के भीतर हलचल पैदा कर दी है। कई यूरोपीय नेताओं को लगता है कि यह यात्रा EU की एकता के लिए नुकसानदेह हो सकती है। टैरिफ के मुद्दे पर सभी यूरोपीय देशों का एक साथ खड़ा रहना जरूरी माना जा रहा था, लेकिन इटली की यह पहल एक “सोलो डिप्लोमेसी” की तरह देखी जा रही है।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि मेलोनी की यह यात्रा यूरोपीय संघ की प्रमुख उर्सुला वॉन डेर लेयेन और ट्रंप के बीच संवाद स्थापित करने का रास्ता तैयार कर सकती है, जो दीर्घकालीन हितों के लिए जरूरी हो सकता है।
इटली की भूमिका और हित
इटली दुनिया का चौथा सबसे बड़ा निर्यातक देश है और उसका 10 प्रतिशत निर्यात अकेले अमेरिका को होता है। ऐसे में टैरिफ के चलते इटली की अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता था। मेलोनी की यह यात्रा ना सिर्फ कूटनीतिक दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी इटली के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है।
क्या होगा आगे?
- 90 दिनों की राहत: ट्रंप ने EU पर लगाए गए 20% टैरिफ को 90 दिनों के लिए स्थगित कर दिया है। यह यूरोप को बातचीत के लिए समय देने जैसा कदम माना जा रहा है।
- EU की प्रतिक्रिया: अब देखने वाली बात यह होगी कि यूरोपीय संघ की अध्यक्ष उर्सुला वॉन इस पहल का क्या जवाब देती हैं और क्या वे ट्रंप से सीधा संवाद स्थापित करेंगी।
- भारत पर प्रभाव: अमेरिका-यूरोप व्यापार संबंधों में आई दरार या संभावित सुलह का असर भारत पर भी पड़ सकता है। अगर टैरिफ विवाद सुलझता है, तो वैश्विक व्यापार माहौल स्थिर हो सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप और जॉर्जिया मेलोनी की यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब अमेरिका और यूरोपीय संघ के रिश्ते बेहद तनावपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं। मेलोनी की यात्रा जहां एक तरफ इटली के हितों की सुरक्षा की पहल है, वहीं यह EU और अमेरिका के बीच जमी बर्फ को पिघलाने की कोशिश भी मानी जा रही है। अब दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि यह कूटनीतिक संवाद आगे क्या रंग लाता है।
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