अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका बयान जिसमें उन्होंने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया संघर्ष विराम समझौता उनकी सरकार की “सफल कूटनीति” का नतीजा है। रियाद (सऊदी अरब) में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा कुछ दिन पहले मेरे प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए ऐतिहासिक युद्धविराम समझौता कराया। मैंने दोनों देशों से कहा – ‘दोस्त, आओ डील करते हैं। न्यूक्लियर मिसाइल नहीं चलाते हैं, कुछ बिजनेस करते हैं। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के नेताओं को शक्तिशाली, मजबूत और स्मार्ट बताते हुए कहा कि उन्हें उम्मीद है कि यह संघर्षविराम आगे भी जारी रहेगा। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया कि अमेरिका की कूटनीति दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में “जमी बर्फ को पिघला” सकती है।
भारत ने अमेरिका के इस दावे को साफ तौर पर खारिज कर दिया है
विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह की बातचीत या समझौते में कोई तीसरी पार्टी शामिल नहीं है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि संघर्षविराम को लेकर निर्णय सीधे दोनों देशों के बीच हुआ है।
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भारत की स्थिति साफ है
भारत लंबे समय से इस बात पर अड़ा हुआ है । कि पाकिस्तान के साथ किसी भी मुद्दे पर बातचीत द्विपक्षीय ढंग से ही होगी किसी तीसरे देश की भूमिका स्वीकार नहीं की जाएगी चाहे वो अमेरिका ही क्यों न हो।
ट्रंप के बयान के पीछे राजनीति?
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप के इस बयान के पीछे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय राजनीति हो सकती है। अमेरिका में चुनावी माहौल तेज़ हो रहा है और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अपनी उपलब्धियों को गिनवाना ट्रंप की पुरानी रणनीति रही है।
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