डोनाल्ड ट्रंप की विश्वसनीयता पर सवाल: विवादों से घिरा दूसरा कार्यकाल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दूसरा कार्यकाल शुरू से ही विवादों में घिरा हुआ है। उनकी कारगुजारियों ने न केवल उनकी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया, बल्कि सुपर पावर अमेरिका की वैश्विक छवि को भी धूमिल किया है। ट्रंप के बयानों और फैसलों पर अब तुरंत भरोसा नहीं किया जा रहा। चाहे वह चीन के साथ व्यापार समझौते का दावा हो, भारत-पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की बात हो, या फिर करीबी मित्रों से रिश्तों में दरार, हर कदम पर सवाल उठ रहे हैं। आइए, इन कारणों पर एक-एक कर नजर डालते हैं।

चीन के साथ समझौते पर संदेह

ट्रंप ने हाल ही में दावा किया कि वाशिंगटन और बीजिंग के बीच व्यापार समझौता हो गया है, जिसमें चीन रेयर अर्थ मैग्नेट और दुर्लभ मृदा की आपूर्ति करेगा। हालांकि, चीन ने सावधानी बरतते हुए कहा कि केवल एक ‘ढांचे’ पर सहमति बनी है। लंदन में हुई बातचीत के बाद ट्रंप के इस दावे पर आलोचकों ने संदेह जताया है। एक आलोचक ने तंज कसते हुए कहा कि ट्रंप का दावा ऐसा है, जैसे कोई धावक कहे कि उसने मैराथन पूरा कर लिया, बस आखिरी 10 मील बाकी हैं। यह अधूरी जानकारी और अतिशयोक्ति ट्रंप की विश्वसनीयता को और कमजोर करती है।

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आप्रवासन नीति और लोकतंत्र पर खतरा

ट्रंप की आप्रवासन नीतियों ने अमेरिका में बड़े प्रदर्शन को जन्म दिया है। कैलिफोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम ने ट्रंप पर लॉस एंजिल्स में सैन्य बल भेजकर लोकतंत्र को खतरे में डालने का आरोप लगाया। न्यूसम ने इसे ‘लोकतंत्र के लिए खतरनाक लम्हा’ बताया और अमेरिकियों से ट्रंप के खिलाफ खड़े होने की अपील की। उन्होंने चेतावनी दी कि यह स्थिति कैलिफोर्निया तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि अन्य राज्यों तक फैल सकती है। ट्रंप की नीतियों ने अमेरिका के कानूनी मानदंडों और लोकतांत्रिक मूल्यों को चुनौती दी है।

एलन मस्क और ऑपरेशन सिंदूर विवाद

ट्रंप और उनके करीबी मित्र, टेस्ला व स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क के बीच भी रिश्ते बिगड़ गए हैं। ट्रंप ने साफ कहा कि अब मस्क के साथ उनका कोई रिश्ता नहीं रहा और उन्हें डेमोक्रेट्स का समर्थन करने पर ‘गंभीर परिणाम’ भुगतने की चेतावनी दी। इसके अलावा, ट्रंप ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर करवाने का दावा कर अपनी फजीहत कराई। सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में उमर अब्दुल्ला ने तंज कसते हुए कहा, “ट्रंप जो अपने दोस्त के साथ दोस्ती नहीं निभाते, हमारे साथ क्या निभाएंगे?” यह दावा उनकी अतिशयोक्ति की पुरानी आदत को दर्शाता है।

अल कायदा आतंकी से मुलाकात

ट्रंप के फैसले और बयान उनकी विश्वसनीयता को लगातार कमजोर कर रहे हैं। चाहे वह दोस्तों से तनातनी हो, अतिशयोक्तिपूर्ण दावे हों, या विवादास्पद मुलाकातें, हर कदम पर वह आलोचनाओं के घेरे में हैं। अमेरिका की वैश्विक छवि और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए ट्रंप को अपने फैसलों में पारदर्शिता और संतुलन लाने की जरूरत है। उनकी नीतियों और बयानों से उत्पन्न संदेह को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे, वरना अमेरिका की साख को और नुकसान पहुंच सकता है।

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