महाराष्ट्र में हिंदुत्व की जंग तेज़: उद्धव ठाकरे का BJP को रामराज्य का संदेश

महाराष्ट्र की सियासत इन दिनों हिंदुत्व की परिभाषा को लेकर गरमा गई है। आगामी नगर निगम चुनावों (Civic Polls) को लेकर सभी प्रमुख दलों ने अपनी रणनीति तेज़ कर दी है, और अब यह लड़ाई केवल सीटों की नहीं, सिद्धांतों और विचारधाराओं की भी बनती जा रही है।

इस संघर्ष के केंद्र में हैं – भारतीय जनता पार्टी (BJP) और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे गुट), यानी Team Uddhav।

राम नवमी पर उद्धव ठाकरे का बीजेपी पर वार

राम नवमी 2025 के मौके पर जब देशभर में भक्ति और उत्सव का माहौल था, तब महाराष्ट्र में इस अवसर ने एक राजनीतिक मोड़ ले लिया। शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस दिन को राजनीतिक और नैतिक संदेश देने का माध्यम बनाया। उन्होंने सीधे तौर पर BJP पर निशाना साधते हुए कहा:

“अगर आप सच में राम का नाम लेते हैं, तो रामराज्य की कल्पना को अपनाइए, जो न्याय, धर्म और सबके कल्याण पर आधारित है – न कि केवल राजनीति करने के लिए भगवान राम का नाम लीजिए।”

उद्धव ठाकरे का यह बयान न केवल भाजपा की हिंदुत्व राजनीति को चुनौती देता है, बल्कि यह महाराष्ट्र में एक वैकल्पिक हिंदुत्व की अवधारणा भी प्रस्तुत करता है – जो आक्रामक नहीं, बल्कि समावेशी और मर्यादित हो।

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“रामराज्य” बनाम “राजनीतिक हिंदुत्व”

उद्धव ठाकरे ने अपने संबोधन में यह भी स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी हिंदुत्व की असली भावना को आगे बढ़ा रही है, न कि वोट बैंक के लिए धर्म का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा:

“हमारे लिए रामराज्य का मतलब है – सच्चाई की जीत, लोगों की सेवा और सामाजिक न्याय। BJP केवल सत्ता के लिए भगवान का नाम ले रही है।”

इस बयान ने भाजपा को कटघरे में खड़ा कर दिया, क्योंकि ठाकरे गुट अब यह दिखाने की कोशिश कर रहा है कि वो भी हिंदुत्व की विरासत के दावेदार हैं, और शायद उससे भी अधिक नैतिक और विचारशील।

बीजेपी का पलटवार: “हमें रामराज्य न सिखाएं”

BJP नेताओं ने उद्धव ठाकरे के बयान को खारिज करते हुए कहा कि उद्धव अब खुद को बचाने के लिए नैतिकता की बातें कर रहे हैं, जबकि उन्होंने सत्ता में रहते हुए राम मंदिर आंदोलन से दूरी बनाए रखी।

एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा:

“रामराज्य की बात वही लोग कर रहे हैं जिन्होंने कांग्रेस और NCP के साथ गठबंधन करके हिंदुत्व की पीठ में छुरा घोंपा।”

भाजपा की ओर से यह भी कहा गया कि ठाकरे गुट अब राजनीतिक अस्तित्व बचाने के लिए राम का सहारा ले रहा है, जबकि असली राम भक्त वही हैं जिन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण में योगदान दिया।

नगर निगम चुनाव: हिंदुत्व ही बनेगा मुद्दा?

महाराष्ट्र के कई बड़े शहरों – जैसे मुंबई, पुणे, नासिक, ठाणे – में नगर निकाय चुनाव होने हैं। ये चुनाव केवल स्थानीय प्रशासन के नहीं, बल्कि राजनीतिक ताकत के प्रतीक माने जा रहे हैं। भाजपा और शिवसेना (UBT) दोनों के लिए ये चुनाव 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा चुनावों की तैयारी का मैदान बन गए हैं।

ऐसे में हिंदुत्व, रामराज्य, और नैतिकता जैसे मुद्दे केवल धार्मिक भावनाओं तक सीमित नहीं रह गए, बल्कि ये राजनीतिक अस्त्र बन चुके हैं।

उत्तर भारत में भी दिखा असर

हालांकि यह विवाद महाराष्ट्र केंद्रित है, लेकिन इसका गूंज उत्तर भारत तक सुनाई दे रहा है। अयोध्या, वाराणसी और मथुरा जैसे धार्मिक शहरों में ठाकरे के बयान की चर्चा सोशल मीडिया पर छाई रही। कुछ ने इसे सच्चे हिंदुत्व की आवाज बताया, तो कुछ ने इसे राजनीतिक पाखंड करार दिया।

सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहे हैशटैग जैसे #RamRajyaPolitics, #UddhavVsBJP, और #HindutvaDebate यह दिखाते हैं कि राम नवमी अब केवल पर्व नहीं, बल्कि राजनीतिक विमर्श का केंद्र भी बन चुका है।

राम के नाम पर वैचारिक लड़ाई

महाराष्ट्र की राजनीति में आज राम के नाम पर दो हिंदुत्व आमने-सामने खड़े हैं। एक ओर भाजपा है, जो खुद को राम मंदिर के निर्माता के रूप में प्रस्तुत करती है, वहीं दूसरी ओर उद्धव ठाकरे हैं, जो रामराज्य के मूल्य और सिद्धांत की बात कर रहे हैं।

आगामी नगर निगम चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस ‘राम’ को चुनती है – मंदिर वाले राम, या मर्यादा वाले राम?

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