मणिपुर में एक बार फिर हिंसा की लपटें भड़क उठी हैं। मैतेई कट्टरपंथी संगठन ‘अरम्बाई टेंगोल’ के नेता की कथित गिरफ्तारी के बाद इंफाल पूर्व और इंफाल पश्चिम जिलों में उग्र विरोध प्रदर्शन हुए। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने घाटी के पांच जिलों—इंफाल पश्चिम, इंफाल पूर्व, थोउबल, कछिंग और बिष्णुपुर—में इंटरनेट और मोबाइल डेटा सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया है। इस ताजा हिंसा ने मणिपुर की पहले से ही नाजुक स्थिति को और गंभीर कर दिया है, जहां पिछले कई महीनों से शांति स्थापित करने की कोशिशें नाकाम रही हैं।
कांग्रेस ने इस मुद्दे पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर मणिपुर की स्थिति को लेकर सरकार की नाकामी पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि मणिपुर के लोग दुख, पीड़ा और लाचारी का सामना कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार ने इसे अनदेखा किया है। रमेश ने बताया कि मई 2023 से शुरू हुई हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए, हजारों बेघर हुए और पूजा स्थलों को नष्ट किया गया। उन्होंने बीजेपी के शासन पर निशाना साधते हुए कहा कि 2022 के विधानसभा चुनाव में स्पष्ट जनादेश के बावजूद, सरकार ने मणिपुर को अराजकता में धकेल दिया।

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जयराम रमेश ने केंद्र सरकार द्वारा गठित तीन-सदस्यीय जांच आयोग की सुस्ती पर भी सवाल उठाए। इस आयोग की समय-सीमा को बार-बार बढ़ाया गया और अब नई डेडलाइन 20 नवंबर 2025 तय की गई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का हवाला देते हुए कहा कि मणिपुर में संवैधानिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर तंज कसते हुए कहा कि पीएम ने न तो मणिपुर का दौरा किया, न ही वहां के नेताओं या संगठनों से मुलाकात की। उन्होंने आरोप लगाया कि पीएम ने मणिपुर संकट को गृह मंत्रालय को सौंपकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लिया।
कांग्रेस ने शुरू से ही मणिपुर में राष्ट्रपति शासन की मांग की थी, लेकिन सरकार ने इसे तब तक नजरअंदाज किया, जब तक कांग्रेस ने विधानसभा सत्र में अविश्वास प्रस्ताव की घोषणा नहीं की। इसके बाद 13 फरवरी 2025 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ, लेकिन जमीनी स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। रमेश ने कहा कि राज्यपाल को भी सुरक्षा कारणों से हेलीकॉप्टर से यात्रा करनी पड़ रही है, जो राज्य में कानून-व्यवस्था की बदहाली को दर्शाता है।
प्रधानमंत्री पर हमला तेज करते हुए रमेश ने कहा कि वैश्विक मंचों पर सक्रिय रहने वाले पीएम मणिपुर के प्रति पूरी तरह असंवेदनशील रहे हैं। उन्होंने मणिपुर की अनदेखी को पूरे देश की पीड़ा करार दिया। मणिपुर की स्थिति न केवल उत्तर-पूर्व, बल्कि पूरे भारत के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। केंद्र सरकार से अपील है कि वह तत्काल प्रभावी कदम उठाए ताकि मणिपुर में शांति और स्थिरता बहाल हो सके।
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