सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में 25 हजार से ज्यादा शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों की नौकरियों को रद्द करने का बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने इस मामले में 2024 में कोलकाता हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को सही ठहराया। हाई कोर्ट ने इस भर्ती प्रक्रिया को “भ्रष्टाचार से भरा” बताते हुए इसे अवैध करार दिया था।
क्या है पूरा मामला?
2016 में पश्चिम बंगाल स्टेट स्कूल सर्विस कमीशन (WBSSC) के माध्यम से शिक्षकों और स्कूल कर्मचारियों की भर्ती की गई थी। इस परीक्षा में 23 लाख से ज्यादा उम्मीदवारों ने भाग लिया था, लेकिन भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां सामने आईं। आरोप लगे कि भर्ती में अनियमितताएं बरती गईं और कई अयोग्य उम्मीदवारों को गलत तरीके से चयनित किया गया।
इस घोटाले के चलते कई याचिकाएं दायर की गईं और मामले की सुनवाई पहले हाई कोर्ट में हुई। अप्रैल 2024 में कोलकाता हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को अवैध घोषित करते हुए सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। इसके अलावा, हाई कोर्ट ने इन कर्मचारियों को दिए गए वेतन की वसूली का भी आदेश दिया था। इस फैसले के खिलाफ पश्चिम बंगाल सरकार और प्रभावित कर्मचारी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए भर्ती प्रक्रिया को “धोखाधड़ी और जोड़-तोड़” से भरा बताया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने मानवीय आधार पर यह राहत दी कि नौकरी कर चुके कर्मचारियों को वेतन लौटाने की जरूरत नहीं होगी।
इसके साथ ही, कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को तीन महीने के भीतर एक नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जो उम्मीदवार निष्पक्ष रूप से परीक्षा में शामिल हुए थे और जिनका चयन सही प्रक्रिया के तहत हुआ था, उन्हें नई भर्ती प्रक्रिया में कुछ रियायत दी जा सकती है।
दिव्यांग कर्मचारियों के लिए राहत
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में एक दिव्यांग कर्मचारी को नौकरी जारी रखने की अनुमति दी है। साथ ही, बाकी दिव्यांग उम्मीदवारों को भी नई भर्ती प्रक्रिया में कुछ विशेष छूट देने का निर्देश दिया गया है।
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CBI जांच का पहलू
हाई कोर्ट ने इस भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच के भी आदेश दिए थे, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट इस पहलू पर 4 अप्रैल को सुनवाई करेगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ बड़ा कदम
यह फैसला भारत में सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। पश्चिम बंगाल में इस भर्ती घोटाले को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा था और यह मुद्दा राजनीतिक बहस का भी केंद्र बना हुआ था। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सख्त रुख अपनाया है, तो इससे अन्य राज्यों में भी सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
प्रभावित उम्मीदवारों की दुविधा
इस फैसले से प्रभावित उम्मीदवारों के लिए यह समय काफी कठिन हो सकता है। हजारों शिक्षक और स्कूल कर्मचारी, जो वर्षों से अपनी नौकरी कर रहे थे, अब अनिश्चितता की स्थिति में हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई नई भर्ती प्रक्रिया में राहत की संभावना उन उम्मीदवारों के लिए उम्मीद जगाती है जो योग्य थे लेकिन गलत तरीके से बाहर कर दिए गए थे।
आगे क्या होगा?
- पश्चिम बंगाल सरकार को 3 महीने के भीतर नई भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
- पुरानी भर्ती प्रक्रिया के योग्य उम्मीदवारों को रियायत मिल सकती है।
- सुप्रीम कोर्ट 4 अप्रैल को सीबीआई जांच के पहलू पर सुनवाई करेगा।
- दिव्यांग उम्मीदवारों को विशेष छूट दी जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला पश्चिम बंगाल में शिक्षा प्रणाली को सुधारने और सरकारी भर्तियों में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, इससे हजारों शिक्षकों और कर्मचारियों को परेशानी झेलनी पड़ेगी, लेकिन दीर्घकालिक रूप से यह न्याय और निष्पक्षता की जीत के रूप में देखा जा रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पश्चिम बंगाल सरकार इस फैसले को कैसे लागू करती है और नई भर्ती प्रक्रिया को कितनी पारदर्शिता के साथ पूरा किया जाता है।
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