भारत ने पूरी दुनिया को योग, ध्यान और साधना जैसे अद्भुत उपहार दिए हैं, जो केवल शारीरिक व्यायाम नहीं बल्कि शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन का मार्ग हैं। योग भारत की प्राचीनतम और समृद्ध सांस्कृतिक विरासतों में से एक है, जो विश्वभर में शांति, स्वास्थ्य और आध्यात्मिक जागरूकता का प्रतीक बन चुका है।
योग: भारत की प्राचीनतम धरोहर
योग का शाब्दिक अर्थ है ‘जोड़ना’ या आत्मा का परमात्मा से मिलन। योग की परंपराएं वेदों से शुरू होकर उपनिषदों जैसे श्वेताश्वतर, कठोपनिषद और मुण्डक उपनिषद में विस्तार से वर्णित हैं। महर्षि पतंजलि ने योग को सबसे व्यवस्थित रूप में प्रस्तुत किया, जिसे आज हम अष्टांग योग या राजयोग के नाम से जानते हैं। यह योग का वह रूप है जिसे पूरी दुनिया में अपनाया जा रहा है और जिसकी लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योग का वैश्विक मंच
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को वैश्विक पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। 21 जून को मनाया जाने वाला यह दिवस योग के महत्व को विश्व के सामने प्रस्तुत करता है। पीएम मोदी खुद भी योग के अभ्यास के आदर्श हैं, वे नियमित रूप से प्राणायाम और योगासन का अभ्यास करते हैं। उनके इस प्रयास से योग अब केवल भारत की सांस्कृतिक विरासत नहीं रह गया, बल्कि यह एक वैश्विक स्वास्थ्य और मानसिक शांति का स्रोत बन गया है।
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योग और प्रकृति के बीच गहरा संबंध
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस सूर्य के उत्तरायण की चरम स्थिति पर मनाया जाता है, जो प्रकृति और मानव जीवन के बीच गहरे संबंध को दर्शाता है। यह दिवस पूरे विश्व को एक साथ जोड़ता है, जहां लोग एकजुट होकर शांति, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन की साधना करते हैं। इस प्रकार योग केवल एक शारीरिक अभ्यास नहीं, बल्कि आत्मा, मन और प्रकृति के बीच संतुलन की एक सार्वभौमिक विधा बन गया है।
योग: भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान
योग दिवस का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति पाना भारत के सांस्कृतिक गौरव का परिचायक है। यह साबित करता है कि भारत की प्राचीन परंपराएं आज भी वैश्विक परिप्रेक्ष्य में प्रासंगिक हैं। योग ने भारतीय संस्कृति को विश्व मंच पर मजबूती दी है और इसे ‘गुरु राष्ट्र’ के रूप में स्थापित किया है। भगवद्गीता में योग को विशेष महत्व दिया गया है, और भारत के कई राज्यों जैसे उत्तर प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली ने योग को शिक्षा के पाठ्यक्रम में अनिवार्य कर दिया है। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भी योग को शामिल किया गया है, जो इसके महत्व को और बढ़ाता है।
योग से भारत की वैश्विक छवि में सुधार
योग ने भारत की छवि को न केवल सांस्कृतिक बल्कि बौद्धिक और आध्यात्मिक रूप से भी मजबूत किया है। UNESCO ने दिसंबर 2016 में योग को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ के रूप में मान्यता दी, जिससे भारत को एक विश्व गुरु के रूप में सम्मान मिला। योग ने न केवल भारत के सांस्कृतिक प्रभाव को बढ़ाया बल्कि आयुर्वेद, ध्यान और प्राच्य दर्शन जैसे अन्य गूढ़ विषयों की ओर भी वैश्विक रुचि जगाई है।
योग: आधुनिक समय की जरूरत
आज जब दुनिया तनाव, प्रदूषण, और रोगों से जूझ रही है, तब योग शांति, स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन का सबसे प्रभावी साधन बनकर उभरा है। योग के माध्यम से व्यक्ति न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहता है, बल्कि मानसिक रूप से भी सशक्त और स्थिर बनता है। यही वजह है कि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस सिर्फ एक दिवस नहीं, बल्कि एक जागरूकता और स्वास्थ्य क्रांति का प्रतीक बन चुका है।
योग: भारत की सांस्कृतिक कूटनीति का माध्यम
योग ने वैश्विक स्तर पर भारत की सांस्कृतिक कूटनीति को नई दिशा दी है। यह केवल स्वास्थ्य या फिटनेस का विषय नहीं, बल्कि भारत की सनातन परंपराओं और सार्वभौमिक कल्याण की भावना का उत्सव है। योग के माध्यम से भारत ने विश्व के सामने अपनी ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की सोच को मजबूती से रखा है, जिससे वह एक सशक्त और आध्यात्मिक विश्व गुरु के रूप में उभर रहा है।
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