November 17, 2025

उत्तराखंड में ब्रिटिश कालीन नाम बदलने पर बोले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में एक बड़ा निर्णय लेते हुए राज्य में ब्रिटिश काल के नामों को बदलने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले के तहत, राज्य के सभी सड़कों, स्थानों और भवनों के उन नामों की पहचान की जाएगी, जो उपनिवेशवाद के प्रतीक माने जाते हैं, और उन्हें बदलकर भारतीय संस्कृति और परंपरा से जुड़े नाम दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री का यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस पहल का हिस्सा है, जिसके तहत देशभर में उपनिवेशवाद के प्रतीकों को बदला जा रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का बयान

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हमारा देश एक स्वतंत्र राष्ट्र है, और अब समय आ गया है कि हम अपने गौरवशाली अतीत को सम्मान दें। उत्तराखंड में ऐसे कई स्थान हैं, जिनके नाम ब्रिटिश शासन के दौरान रखे गए थे। अब हमें उन नामों को बदलकर अपने देश के महापुरुषों, सांस्कृतिक धरोहरों और ऐतिहासिक स्थलों के नाम पर रखना चाहिए, जिससे हमारी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा मिले।”

उन्होंने सभी विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे उन सड़कों, भवनों और स्थानों की सूची तैयार करें, जिनके नाम उपनिवेशवाद के प्रतीक हैं, ताकि उन्हें बदला जा सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह निर्णय जनभावनाओं और भारतीय संस्कृति को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

बदले जाएंगे ब्रिटिश काल के नाम

उत्तराखंड सरकार इस अभियान के तहत ऐतिहासिक स्थानों, सरकारी इमारतों, प्रमुख मार्गों और पुलों के नाम बदलने पर विचार कर रही है। इनमें कई ऐसे नाम शामिल हैं, जो ब्रिटिश शासनकाल में रखे गए थे और आज भी प्रचलन में हैं।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि नए नाम भारतीय संस्कृति, ऐतिहासिक परंपराओं और समाज के उत्थान में योगदान देने वाले महापुरुषों से जुड़े हों।

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नाम बदलने की प्रक्रिया

सरकार ने सभी विभागों को यह निर्देश दिया है कि वे उन स्थानों की पहचान करें, जिनका नाम उपनिवेशवाद से जुड़ा हुआ है। इसके बाद, जनता की राय लेकर नए नाम तय किए जाएंगे। इस प्रक्रिया में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संदर्भों का विशेष ध्यान रखा जाएगा।

राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया

उत्तराखंड सरकार के इस फैसले को लेकर राज्य में विभिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। भाजपा के नेताओं और समर्थकों ने मुख्यमंत्री धामी के इस कदम की सराहना की है और इसे एक ऐतिहासिक पहल करार दिया है। उनका कहना है कि यह निर्णय भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवादी सोच को बढ़ावा देने वाला है।

वहीं, कुछ विपक्षी दलों ने इस फैसले की आलोचना करते हुए इसे जनहित के मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश बताया है। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने व्यंग्य करते हुए कहा कि अगर सरकार को नाम बदलने का इतना ही शौक है, तो उत्तराखंड का नाम भी बदलकर ‘यूपी-2’ कर देना चाहिए।

प्रधानमंत्री मोदी की पहल का हिस्सा

मुख्यमंत्री धामी का यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उस राष्ट्रवादी नीति का हिस्सा है, जिसके तहत भारत से औपनिवेशिक मानसिकता को समाप्त किया जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर में ऐसे स्थानों और प्रतीकों को बदलने की मुहिम चलाई है, जो ब्रिटिश शासनकाल की याद दिलाते हैं।

हाल ही में, दिल्ली में कर्तव्य पथ का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया था, वहीं अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप का नामकरण किया गया था। इसी कड़ी में उत्तराखंड भी अपनी ऐतिहासिक विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए ब्रिटिश कालीन नामों को हटाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।

स्थानीय जनता की राय

उत्तराखंड में रहने वाले लोगों ने इस पहल का समर्थन किया है। कई स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह निर्णय राज्य की पहचान को मजबूत करेगा और लोगों को अपनी सांस्कृतिक विरासत पर गर्व करने का अवसर देगा।

हालांकि, कुछ नागरिकों का मानना है कि नाम बदलने के साथ-साथ सरकार को राज्य के बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य सुविधाओं और शिक्षा व्यवस्था में सुधार करने पर भी ध्यान देना चाहिए।

उत्तराखंड में ब्रिटिश काल के नामों को बदलने का मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का निर्णय ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण है। यह कदम न केवल भारतीय पहचान को मजबूत करेगा, बल्कि लोगों को अपने गौरवशाली अतीत से जोड़ने में भी मदद करेगा। हालांकि, इस फैसले पर राजनीतिक और सामाजिक बहस जारी है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उत्तराखंड सरकार अपने राज्य को सांस्कृतिक रूप से और अधिक सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है।

आशा है कि यह निर्णय उत्तराखंड की जनता के लिए सकारात्मक बदलाव लाएगा और राज्य की ऐतिहासिक विरासत को पुनर्जीवित करेगा।

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