अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का क्रेडिट लेने की कोशिश की है। शुक्रवार (30 मई) को ओवल ऑफिस में टेस्ला प्रमुख एलन मस्क के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने कहा हमने भारत और पाकिस्तान को युद्ध से रोका। मुझे लगता है कि यह न्यूक्लियर वॉर बन सकता था।
न्यूक्लियर वॉर टलने का दावा
ट्रंप ने कहा कि वह भारत और पाकिस्तान के नेताओं को धन्यवाद देना चाहते हैं कि उन्होंने ‘समझदारी’ दिखाई और युद्ध से पीछे हटे। उन्होंने कहा हम उन देशों के साथ व्यापार नहीं कर सकते जो एक-दूसरे पर गोली चला रहे हैं और परमाणु हथियार इस्तेमाल करने की धमकी दे रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों ने अमेरिका की सलाह मानी और संघर्ष को रोका।
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भारत का पक्ष पहले भी किया था ट्रंप के दावे का खंडन
यह पहला मौका नहीं है जब डोनाल्ड ट्रंप ने ऐसा दावा किया हो। इससे पहले भी उन्होंने अपने कार्यकाल में कई बार कहा था कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता कर सकते हैं या कर चुके हैं। लेकिन भारत सरकार ने हमेशा इन दावों को स्पष्ट रूप से खारिज किया है। विदेश मंत्रालय की ओर से बार-बार कहा गया है कि भारत-पाक मुद्दे द्विपक्षीय हैं और किसी तीसरे पक्ष की जरूरत नहीं है।
ट्रंप का ‘व्यापार से दबाव‘ वाला तर्क
ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी कहा कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान से कहा जब तक आप गोली चलाना बंद नहीं करेंगे, हम व्यापार पर बात नहीं कर सकते। उनके मुताबिक, इसी दबाव के चलते दोनों देशों ने तनाव कम करने की दिशा में कदम उठाया। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप इस तरह के दावे कर के अपनी कूटनीतिक छवि को मजबूत करना चाहते हैं, खासतौर पर 2024 के अमेरिकी चुनावों के बाद अपनी अंतरराष्ट्रीय भूमिका को फिर से सामने लाने की कोशिश में हैं। क्या आपको लगता है कि अमेरिका जैसी ताकतें भारत-पाक जैसे संवेदनशील मुद्दों में निष्पक्ष भूमिका निभा सकती हैं? जहां एक ओर डोनाल्ड ट्रंप खुद को शांति का सूत्रधार साबित करने में लगे हैं, वहीं भारत बार-बार यह स्पष्ट कर चुका है कि देश की सुरक्षा और विदेश नीति पर फैसले केवल दिल्ली से ही होंगे वॉशिंगटन से नहीं।
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