ईरानी राजदूत का बयान बना चर्चा का विषय, भारत की तटस्थता पर उठाए सवाल
ईरान और इजरायल के बीच जारी संघर्ष के बीच पाकिस्तान में ईरान के राजदूत रजा अमीरी मोघद्दम का बयान सुर्खियों में है। उन्होंने एक पाकिस्तानी टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में भारत सरकार की नीति पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि इजरायल के हमले के दौरान भारत सरकार ने ईरान का कोई समर्थन नहीं किया।
रजा अमीरी ने दावा किया कि भारत सरकार ने इस संघर्ष में खुद को तटस्थ दिखाने की कोशिश की और ईरान के समर्थन में किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर वोट नहीं दिया। उन्होंने यह भी कहा कि भारत और इजरायल के बीच मजबूत कूटनीतिक और रक्षा संबंध हैं, और भारत अक्सर अमेरिका के प्रभाव में काम करता है।
भारत की जनता और राजनीतिक दलों की तारीफ, लेकिन सरकार पर सवाल
हालांकि, ईरानी राजदूत ने भारत की आम जनता, राजनीतिक दलों और संस्थानों द्वारा ईरान के पक्ष में दिखाई गई संवेदनशीलता की खुले तौर पर सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत के कई वर्गों ने गाजा में इजरायल द्वारा की गई सैन्य कार्रवाई की आलोचना की और ईरान के साथ एकजुटता दिखाई। इसके बावजूद, भारत सरकार ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट स्टैंड नहीं लिया, यही कारण है कि राजदूत की टिप्पणी ने नई बहस को जन्म दिया है।
इससे पहले नई दिल्ली स्थित ईरानी दूतावास ने भी एक आधिकारिक पोस्ट में भारत की जनता और सामाजिक संगठनों को धन्यवाद दिया था, लेकिन उस बयान में भी भारत सरकार का कोई उल्लेख नहीं था।
भारत की स्थिति: शांति की अपील और तटस्थ रुख
भारत सरकार ने इजरायल-ईरान संघर्ष के दौरान दोनों पक्षों से संयम बरतने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की थी। भारत का रुख हमेशा से पश्चिम एशिया में स्थिरता बनाए रखने पर केंद्रित रहा है। हालांकि, कुछ अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे एससीओ (शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) में जब इजरायल की आलोचना करने का प्रस्ताव लाया गया, तो भारत ने उससे दूरी बनाए रखी। माना जा रहा है कि ईरानी राजदूत का इशारा इसी कूटनीतिक रुख की ओर था।
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डोनाल्ड ट्रंप और नेतन्याहू की संभावित मुलाकात
इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 7 जुलाई को इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की मेजबानी करेंगे। व्हाइट हाउस ने इस बैठक की पुष्टि की है। यह नेतन्याहू की व्हाइट हाउस की तीसरी यात्रा होगी, और इसका मुख्य उद्देश्य गाजा में युद्धविराम, बंधकों की रिहाई और ईरान की क्षेत्रीय गतिविधियों पर चर्चा करना है।
व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने कहा कि गाजा संघर्ष को समाप्त करना राष्ट्रपति ट्रंप की प्राथमिकताओं में सबसे ऊपर है। उन्होंने यह भी कहा कि दोनों पक्षों से आ रही हिंसा की तस्वीरें भयावह हैं और अमेरिका चाहता है कि यह युद्ध जल्द समाप्त हो।
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