रेयर अर्थ मैग्नेट क्या हैं?
रेयर अर्थ मैग्नेट सबसे शक्तिशाली स्थायी चुम्बक होते हैं, जो अपनी उच्च चुम्बकीय शक्ति और टिकाऊपन के लिए जाने जाते हैं। ये नियोडिमियम, प्रेजोडिमियम और डिस्प्रोसियम जैसे रेयर अर्थ तत्वों से बनते हैं, जो इन्हें अत्यधिक प्रभावी बनाते हैं। इनका उपयोग उन उपकरणों में होता है, जहां कम वजन और छोटा आकार जरूरी होता है। नियोडिमियम-आयरन-बोरॉन मैग्नेट सबसे ज्यादा उपयोग होने वाला रेयर अर्थ मैग्नेट है। ये ऑटोमोबाइल, रिन्यूएबल एनर्जी, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, एयरोस्पेस और हेल्थकेयर जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनकी ऊर्जा-बचत और उच्च तापमान सहने की क्षमता इन्हें विशेष बनाती है।
चीन का रेयर अर्थ मैग्नेट में दबदबा
वैश्विक स्तर पर रेयर अर्थ धातुओं की खनन का लगभग 70% और रेयर अर्थ मैग्नेट का 90% उत्पादन चीन में होता है। चीन की इस क्षेत्र में मजबूत स्थिति का कारण उसका पूरी आपूर्ति श्रृंखला पर नियंत्रण है। इसमें खनन, तत्वों को अलग करना, रिफाइनिंग और मैग्नेट निर्माण शामिल है। यह प्रक्रिया जटिल और पर्यावरण के लिए हानिकारक होती है, जिसे चीन ने कुशलता से प्रबंधित किया है। पिछले कुछ वर्षों में रेयर अर्थ मैग्नेट की मांग में तेजी आई है, क्योंकि ये हल्के, छोटे और अत्यधिक प्रभावी होते हैं। भारत को 2025-26 तक लगभग 3,600 टन रेयर अर्थ मैग्नेट की जरूरत होगी, जिसमें से 870 टन ऑटो इंडस्ट्री के लिए होंगे।
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चीन की रोक से प्रभावित क्षेत्र
चीन द्वारा रेयर अर्थ मैग्नेट के निर्यात पर लगाई गई रोक से भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। ये मैग्नेट इंटरनल कम्बशन इंजन (ICE) वाहनों और इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) में स्पीडोमीटर, इलेक्ट्रिक मोटर्स, सेंसर, स्पीकर और इग्निशन कॉइल जैसे घटकों में उपयोग होते हैं। रोक के कारण आयात प्रक्रिया जटिल हो गई थी, जिससे कंपनियों को उत्पादन रोकने और लॉन्च में देरी की चेतावनी देनी पड़ी। अब चीन द्वारा रोक हटाने से खासकर त्योहारी सीजन में बढ़ती मांग को पूरा करने में राहत मिलेगी।
भारत की आत्मनिर्भरता की रणनीति
भारत रेयर अर्थ मैग्नेट के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रयासरत है। सरकार और कंपनियां लोकल माइनिंग, प्रोसेसिंग और मैग्नेट उत्पादन को बढ़ावा देने की योजना बना रही हैं। इसके लिए वियतनाम, ब्राजील और रूस जैसे देशों से आयात को प्रोत्साहित किया जा रहा है। लंबी अवधि में, भारत को तीन से पांच साल में एक मजबूत घरेलू वैल्यू चेन विकसित करनी होगी। इसके लिए हाई-टेक्नोलॉजी निवेश, वित्तीय प्रोत्साहन और नीतिगत समर्थन जरूरी है।
भविष्य की योजनाएं
रेयर अर्थ मैग्नेट के उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए सरकार को लोकल माइनिंग और प्रोसेसिंग सुविधाओं को बढ़ावा देना होगा। पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्यम से मैग्नेट उत्पादन क्लस्टर स्थापित किए जा सकते हैं। यह न केवल चीन पर निर्भरता कम करेगा, बल्कि भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में मजबूत स्थिति प्रदान करेगा।
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