August 28, 2025

नीतीश कुमार का टोपी वाला दांव: बिहार मदरसा बोर्ड के 100वें स्थापना दिवस पर चर्चा में सीएम

नीतीश कुमार की अनोखी शैली

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर अपनी अनोखी शैली के कारण सुर्खियों में हैं। हाल ही में पटना में आयोजित बिहार मदरसा बोर्ड के 100वें स्थापना दिवस समारोह में नीतीश कुमार ने एक ऐसा कदम उठाया, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में नीतीश कुमार को उनके कैबिनेट के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री जमा खान को टोपी पहनाते हुए देखा जा सकता है। दरअसल, जब किसी ने नीतीश को टोपी पहनाने की कोशिश की, तो उन्होंने मुस्कुराते हुए उसे उठाकर तुरंत जमा खान को पहना दिया। यह पहली बार नहीं है जब नीतीश ने ऐसा किया हो। पहले भी कई मौकों पर, जब कोई उन्हें माला या अन्य चीजें भेंट करता है, तो वे उसे वापस भेंट करने वाले को ही दे देते हैं। इस घटना ने एक बार फिर उनकी सहज और अनौपचारिक शैली को उजागर किया।

पहले भी चर्चा में रही ऐसी घटनाएं

नीतीश कुमार की ऐसी हरकतें पहले भी लोगों का ध्यान खींच चुकी हैं। मई 2025 में पटना के ललित नारायण मिश्र संस्थान में आयोजित एक कार्यक्रम में आईएएस अधिकारी डॉ. एस सिद्धार्थ ने उन्हें एक गमला भेंट किया था। नीतीश ने तुरंत उस गमले को वापस डॉ. सिद्धार्थ के सिर पर रख दिया, जिसे देखकर वहां मौजूद लोग हैरान रह गए। मुस्कुराते हुए डॉ. सिद्धार्थ ने गमला लिया और उसे पास खड़े कर्मचारी को सौंप दिया। इस बार भी, मदरसा बोर्ड के कार्यक्रम में नीतीश ने टोपी को जमा खान को पहनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा। उनकी यह शैली न केवल उनकी सादगी को दर्शाती है, बल्कि लोगों के बीच उनकी पहुंच को भी बढ़ाती है।

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मदरसा बोर्ड के 100वें स्थापना दिवस का आयोजन

नीतीश कुमार इस समारोह में बिहार मदरसा बोर्ड की 100वीं वर्षगांठ के अवसर पर पहुंचे थे। इस मौके पर उन्होंने मुस्लिम समुदाय के लोगों को संबोधित किया और अपनी सरकार के कार्यों का बखान किया। उन्होंने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि 2005 से पहले मुस्लिम समुदाय की स्थिति काफी खराब थी और कोई ठोस काम नहीं हुआ। नीतीश ने अपनी सरकार के प्रयासों को रेखांकित करते हुए बताया कि उनकी सरकार ने कब्रिस्तान की घेराबंदी, मदरसा शिक्षकों को समान वेतन, और भागलपुर दंगे के पीड़ितों को मुआवजा जैसे कई कदम उठाए हैं।

मुस्लिम कल्याण के लिए किए गए कार्य

नीतीश कुमार ने अपनी सरकार की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने कब्रिस्तान की घेराबंदी सुनिश्चित की और मदरसा शिक्षकों को सरकारी शिक्षकों के समान वेतन देने की शुरुआत की। उन्होंने 1989 के भागलपुर दंगे का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी सरकार ने इस मामले में जांच करवाकर दोषियों को सजा दिलाई और पीड़ितों को मुआवजा प्रदान किया। नीतीश ने जोर देकर कहा कि उनकी सरकार ने हमेशा अल्पसंख्यक समुदाय के कल्याण के लिए काम किया है। इस आयोजन में बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग मौजूद थे, जिन्होंने नीतीश के भाषण को ध्यान से सुना।

सोशल मीडिया पर मिली-जुली प्रतिक्रिया

नीतीश कुमार के इस टोपी वाले दांव ने सोशल मीडिया पर खूब चर्चा बटोरी। कुछ लोग इसे उनकी सादगी और सहजता का प्रतीक मान रहे हैं, तो कुछ का कहना है कि उन्होंने टोपी पहनने से इनकार किया। हालांकि, नीतीश की पुरानी घटनाओं को देखते हुए यह स्पष्ट है कि यह उनकी आदत का हिस्सा है। उनकी यह शैली न केवल लोगों को आश्चर्यचकित करती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व को और भी रोचक बनाती है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि नीतीश कुमार अपनी अनोखी शैली और नीतियों के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं।

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