5 से 7 सितंबर 2025 तक राजस्थान के जोधपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तीन दिवसीय समन्वय बैठक होने जा रही है। यह बैठक हर साल आयोजित होती है, लेकिन इस बार आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बीच संबंधों में आए बदलावों के कारण इसकी अहमियत बढ़ गई है। यह आयोजन संघ की स्थापना के 100 साल पूरे होने से ठीक एक महीने पहले हो रहा है, जो इसे और भी खास बनाता है। इस बैठक में आरएसएस के प्रमुख पदाधिकारी, सहयोगी संगठनों के प्रतिनिधि और बीजेपी के वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।
बीजेपी के लिए क्यों अहम है यह बैठक
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2025 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आरएसएस की खुलकर प्रशंसा की, जो पहले कभी नहीं देखा गया। राष्ट्रीय मंचों पर संघ का जिक्र करने से परहेज की परंपरा रही है, लेकिन इस बार पीएम मोदी ने इस परंपरा को तोड़ा। इसके बाद, उपराष्ट्रपति पद के लिए महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को उम्मीदवार बनाया गया, जो लंबे समय से आरएसएस से जुड़े हैं। ऐसे में जोधपुर में होने वाली यह बैठक बीजेपी और संघ के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
32 संगठनों की भागीदारी
इस समन्वय बैठक में आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य और कोऑर्डिनेटर हिस्सा लेंगे। सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले, छह सह सरकार्यवाह और अन्य प्रमुख पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। इसके अलावा, संघ से जुड़े 32 संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे, जिनमें विश्व हिंदू परिषद (VHP), अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP), राष्ट्र सेविका समिति, वनवासी कल्याण आश्रम, भारतीय किसान संघ, विद्या भारती और भारतीय मजदूर संघ जैसे संगठन शामिल हैं।
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बीजेपी के बड़े नेता होंगे शामिल
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा इस बैठक में शिरकत करेंगे। उनके साथ पार्टी के महासचिव (संगठन) बीएल संतोष, सुनील बंसल, शिवप्रकाश, सौदान सिंह और वी सतीश जैसे वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे। संगठन महासचिव का पद बीजेपी में अहम होता है, क्योंकि यह व्यक्ति संघ और पार्टी के बीच सेतु का काम करता है। इन नेताओं की उपस्थिति इस बैठक के महत्व को और बढ़ाती है।
नया राष्ट्रीय अध्यक्ष: दशहरे के बाद फैसला?
जेपी नड्डा की मौजूदगी इस बैठक को और खास बनाती है। 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान नड्डा के एक बयान ने आरएसएस कार्यकर्ताओं को निराश किया था, जिसमें उन्होंने बीजेपी की स्वतंत्रता की बात कही थी। विश्लेषकों का मानना है कि इस बयान के कारण बीजेपी को पूर्ण बहुमत के लिए टीडीपी और जेडीयू का सहारा लेना पड़ा। अब इस बैठक में नए बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन पर चर्चा हो सकती है। एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने संकेत दिया है कि दशहरे के बाद नए अध्यक्ष का ऐलान हो सकता है।
मोहन भागवत का 75 साल का नियम
हाल ही में मोहन भागवत ने 75 साल की उम्र में सार्वजनिक जीवन से संन्यास लेने की बात कही थी। यह बयान पीएम मोदी और भागवत दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों इस साल 75 वर्ष के हो रहे हैं। संघ की परंपरा के अनुसार, भागवत को भी अपना उत्तराधिकारी चुनना होगा, हालांकि यह फैसला शताब्दी वर्ष से पहले होने की संभावना कम है। यह बैठक बीजेपी और संघ के भविष्य की दिशा तय करने में अहम भूमिका निभा सकती है।
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