जाले सभा: बिहार बदलाव यात्रा का नया अध्याय
बिहार की सियासत में तापमान बढ़ता जा रहा है, और इसके केंद्र में हैं जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर। 20 सितंबर 2025 को दरभंगा के जाले में ‘बिहार बदलाव सभा’ को संबोधित करते हुए किशोर ने जातिवाद, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार जैसे ज्वलंत मुद्दों पर खुलकर निशाना साधा। हजारों की भीड़ के बीच उन्होंने जनता से सीधे सवाल पूछे, नेताओं को घेरा और एक नई राजनीतिक सोच की वकालत की। यह सभा न केवल विपक्षी दलों के लिए चुनौती है, बल्कि बिहार के 2025 विधानसभा चुनावों में जन सुराज को मजबूत धक्का दे सकती है। किशोर की यह यात्रा, जो अक्टूबर 2022 से चल रही है, अब 5,000 किलोमीटर से अधिक तय कर चुकी है, जिसमें उन्होंने 5,500 से ज्यादा गांवों का दौरा किया है। जन सुराज ने सभी 243 सीटों पर स्वतंत्र रूप से लड़ने का ऐलान किया है, जो एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों के लिए खतरा बन सकता है।
जातिवाद पर करारा प्रहार: ‘वोट बच्चों के भविष्य के लिए’
किशोर ने सभा में जातिवाद को बिहार की सबसे बड़ी बर्बादी करार दिया। उन्होंने कहा, “पांच साल नर्क की जिंदगी जीने के बाद, जब वोट देने जाते हैं, तो जाति याद आ जाती है। नेता चोर हो, भ्रष्ट हो, लेकिन जाति का होने पर ही वोट जाता है।” मुसलमानों को संबोधित करते हुए उन्होंने चेताया, “भाजपा को हराने के चक्कर में अपने बच्चों की तालीम और भविष्य की चिंता भूल जाते हैं। धर्म, जाति या नाली-गली के नाम पर वोट देने से बिहार नहीं बदलेगा।” उनका आह्वान था, “इस बार वोट किसी जाति, धर्म, दल या नेता के लिए नहीं, बल्कि अपने बच्चों की पढ़ाई और रोजगार के लिए दीजिए।” यह बयान बिहार की वोटिंग पैटर्न को चुनौती देता है, जहां जाति कारक हमेशा हावी रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि किशोर का यह संदेश युवाओं और मध्यम वर्ग को आकर्षित कर सकता है, जो 2020 में तेजस्वी यादव के ’10 लाख नौकरियां’ वादे से निराश हैं।
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नेताओं पर तंज: लालू-नीतीश से तेजस्वी तक निशाने पर
प्रशांत किशोर ने बिहार के प्रमुख नेताओं पर तीखे तीर चलाए। लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा, “लालू जी का बेटा 9वीं पास नहीं, लेकिन पिता उसे बिहार का राजा बनाना चाहते हैं। दूसरी ओर, आपके बच्चे ग्रेजुएट होकर भी बेरोजगार घूम रहे हैं।” नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए उन्होंने परीक्षा पेपर लीक और पुलिस की लाठीचार्ज की घटनाओं का जिक्र किया, “सरकारी बंगलों में बैठे नेता पुलिस को छात्रों पर लाठी चलाने की छूट दे देते हैं।” नरेंद्र मोदी पर भी कटाक्ष किया, “15 साल से मोदी जी को वोट देते आए हैं, लेकिन रोजगार गुजरात भाग रहा है। वोट बिहार का, लेकिन फैक्ट्री गुजरात में क्यों लगती है?” उन्होंने भ्रष्टाचार पर कहा, “आरजेडी के नेता चोर हैं, लेकिन एनडीए के कुछ नेता उनसे भी ज्यादा भ्रष्ट हैं। जनता की सरकार बनेगी, तो सख्त कार्रवाई होगी।” किशोर ने चेतावनी दी कि आरजेडी सत्ता में आई तो अपहरण फिर उद्योग बन जाएगा।
भ्रष्टाचार और वोट की राजनीति: ‘पैसे ले लो, लेकिन वोट सोचो’
सभा में किशोर ने वोट की राजनीति पर व्यंग्य किया। “नेता चुनाव में पैसे बांटते हैं – वो आपका ही पैसा है, जो घूस और भ्रष्टाचार से कमाया। पैसा ले लो, लेकिन वोट सोच-समझकर दो।” उन्होंने कहा, “मैं वोट नहीं मांगता, क्योंकि सत्ता की कुर्सी मिली तो धोखा दे सकता हूं। मैं 15-20 मिनट में गरीबी से निकलने का समाधान दूंगा। अपनाओ, फिर वोट दो। नहीं हुआ तो मेरा गला पकड़ लो।” यह बयान उनकी रणनीति को दर्शाता है – समाधान-केंद्रित राजनीति। किशोर ने शिक्षा, रोजगार और शासन सुधार पर जोर दिया, जो बिहार के लिए सबसे बड़े मुद्दे हैं।
बिहार चुनाव 2025: जन सुराज की चुनौती और भविष्य
प्रशांत किशोर का यह भाषण न केवल राजनीतिक हमला है, बल्कि जनता से आत्ममंथन का आह्वान भी। जन सुराज को एनडीए और महागठबंधन दोनों से खतरा माना जा रहा है, खासकर जेडीयू और आरजेडी को। क्या बिहार अब जाति से ऊपर उठकर ‘बच्चों के भविष्य’ के लिए वोट देगा? चुनाव, जो अक्टूबर-नवंबर में होंगे, यह तय करेंगे। किशोर की लोकप्रियता बढ़ रही है, लेकिन चुनौतियां बाकी हैं – संगठन मजबूत करना और वोटरों का विश्वास जीतना। बिहार बदलाव की इस लहर में जन सुराज कितना पानी बांटेगी, आने वाले हफ्तों में साफ होगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह तीसरा मोर्चा दोनों गठबंधनों के वोट शेयर को चीर सकता है।

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