दिल्ली-एनसीआर में सांस लेना मुश्किल हो गया है, तो इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने अपना 6 साल पुराना सोशल मीडिया पोस्ट दोबारा शेयर कर विडंबना पर तंज कसा। 2019 में थरूर ने एक फोटो पोस्ट की थी, जिसमें लिखा था – “कब तक जिंदगी काटोगे सिगरेट, बीड़ी और सिगार में, कुछ दिन तो गुजारो दिल्ली-एनसीआर में।” इसे दोबारा शेयर करते हुए थरूर ने लिखा, “छह साल की उदासीनता के बाद भी, यह पोस्ट दुखद और निराशाजनक रूप से अभी भी प्रासंगिक है।” दो दिन पहले भी उन्होंने AQI 371 की तस्वीर शेयर की थी। थरूर की यह टिप्पणी सरकारी लापरवाही पर सीधी चोट है, जो प्रदूषण के मौसमी संकट को उजागर करती है। सोशल मीडिया पर यह पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है, जहां लोग इसे हास्य के साथ गंभीर चेतावनी मान रहे हैं। थरूर ने पहले भी दिल्ली के वायु प्रदूषण पर राउंड टेबल आयोजित किए हैं, लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है।
AQI का हाई अलर्ट: 655 तक पहुंचा, ‘हैजर्डस’ कैटेगरी में दिल्ली
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, 8 नवंबर 2025 सुबह 9 बजे दिल्ली का औसत AQI 335 था, लेकिन सुबह 7:15 बजे यह 655 तक पहुंच गया, जो ‘हैजर्डस’ श्रेणी में आता है। कुछ इलाकों में तो यह 400 के पार चला गया – बवाना में 403, आनंद विहार में 368, रोहिणी में 371, अशोक विहार में 372, ITO में 380। NCR शहरों में भी हाल बेहाल: नोएडा 289, गुरुgram 288, गाजियाबाद 296, फरीदाबाद 295। PM2.5 प्रमुख प्रदूषक बना रहा, जो फेफड़ों को सीधा नुकसान पहुंचाता है। दिवाली के बाद AQI लगातार ‘खराब’ से ‘गंभीर’ के बीच झूल रहा है। तापमान 11 डिग्री सेल्सियस पर लुढ़क गया, जो मौसमी औसत से 3 डिग्री कम है। इससे स्मॉग की परत और गाढ़ी हो गई, विजिबिलिटी घटकर 100 मीटर रह गई। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी कि बच्चे, बुजुर्ग और अस्थमा रोगी घर से बाहर न निकलें।
सर्दियों का दंश: पराली जलाना और ठंड ने बढ़ाई मुसीबत
नवंबर का महीना आगे बढ़ने के साथ दिल्लीवासियों के फेफड़ों पर बोझ बढ़ रहा है। पराली जलाने की घटनाएं पंजाब-हरियाणा में सैकड़ों में दर्ज हो रही हैं, जो दिल्ली के AQI में 21.5% योगदान दे रही हैं। ठंडी हवाओं ने प्रदूषकों को नीचे धकेल दिया, जिससे सतह पर स्मॉग की मोटी चादर बिछ गई। परिवहन से 15% PM2.5 आ रहा है, जबकि उद्योग और कंस्ट्रक्शन भी जिम्मेदार। पिछले 24 घंटों में AQI 175 से उछलकर 653 तक पहुंचा। 2022-2024 में 2 लाख से ज्यादा लोग प्रदूषण से अस्पताल पहुंचे। मौसम विभाग का अनुमान है कि 10-12 नवंबर तक ‘बहुत खराब’ श्रेणी बनी रहेगी। सूरज की रोशनी कम होने से विंटर पॉल्यूशन और तीव्र हो जाता है। यह चक्र हर साल दोहराया जा रहा है, लेकिन स्थायी समाधान की कमी से समस्या गंभीर बनी हुई है।
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सरकारी कदम: ऑफिस टाइमिंग बदली, लेकिन क्या काफी?
प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर दिल्ली सरकार ने कदम उठाए। 15 नवंबर से 15 फरवरी तक सरकारी दफ्तरों का समय 10 AM से 6:30 PM और MCD का 8:30 AM से 5 PM कर दिया गया, ताकि ट्रैफिक कम हो। GRAP (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) के तहत निर्माण कार्य रुके, पुराने वाहनों पर पाबंदी लगी। लेकिन आलोचक कहते हैं कि ये अस्थायी उपाय हैं। थरूर जैसे नेता उदासीनता पर सवाल उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पहले भी सख्ती बरतने को कहा था। अब जरूरत है पराली जलाने पर वैकल्पिक तकनीक, इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और अंतरराज्यीय समन्वय की। अस्पतालों में सांस की बीमारियों से मरीजों की संख्या बढ़ गई है। क्या इस बार सर्दी के अंत तक सुधार होगा?

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