दुनिया बदल चुकी है वह 1945 वाली दुनिया नहीं रही। आज की वैश्विक राजनीति में भारत सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति बन चुका है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत को स्थायी सीट और वेटो पावर देने की मांग अब सिर्फ एसिडि (aspirational) नहीं, बल्कि ज़रूरी हो गई है।
यूएनएससी सुधार की पृष्ठभूमि
संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद अभी भी 1945 की विश्व व्यवस्था के अनुसार काम कर रही है। उस समय सिर्फ पाँच देश — अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन — को स्थायी सदस्यता और वेटो अधिकार मिला। लेकिन अब वैश्विक शक्ति का नक्शा बदल चुका है। भारत, एक सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति, तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था और एक मजबूत राजनयिक आवाज़ के रूप में पूरी तरह से इस बदलती दुनिया का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार है।
फ्रांस का समर्थन बदलाव की मजबूत आवाज़
यूरोप की महत्वपूर्ण शक्ति फ्रांस ने खुले शब्दों में कहा है कि भारत को अब स्थायी सीट मिलनी चाहिए। केवल इतना ही नहीं — फ्रांस ने वेटो पावर देने की भी मांग की है। इसका मतलब साफ है: भारत का वैश्विक दबदबा न सिर्फ मान्य हो रहा है, बल्कि इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों में सम्मान देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
भारत की शक्ति और महत्व
- भारत दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक शक्ति है।
- भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है — वह वैश्विक आर्थिक विकास में एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन चुका है।
- भारत शांति सैनिकों को दुनिया भर में भेजता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय शांति में योगदान देता है।
- भारत की राजनयिक और कूटनीतिक आवाज़ बहुत प्रभावशाली है: वह वैश्विक मुद्दों जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद, विकास, गरीबी उन्मूलन पर जिम्मेदार भूमिका निभा रहा है।
- इन बिंदुओं की वजह से, भारत सिर्फ़ भाग लेने वाला देश नहीं है; वह निर्णय लेने वाला निर्णयकर्ता बनना चाहता है।
चुनौतियाँ और बाधाएँ
संघर्ष आसान नहीं है। यथास्थिति को बदलना किसी भी अंतरराष्ट्रीय संगठन में कठिन काम है। यूएन चार्टर में बदलाव तभी होगा जब सभी पाँच स्थायी सदस्य इसकी पुष्टि करें यानी अमेरिका, ब्रिटेन, रूस, फ्रांस, और सबसे बड़ी मुश्किल चीन।जहां कुछ देश भारत की दावेदारी को सकारात्मक देखते हैं, वही चीन और अन्य विरोधी इसकी राह में बाधा बन सकते हैं।
समय और निष्कर्ष
अब सवाल यह नहीं है कि क्या भारत यूएनएससी में शामिल होगा, बल्कि यह है कि दुनिया कब तक 140 करोड़ भारतीयों की आवाज़ को नज़रअंदाज़ करेगी? भारत बदलने के लिए तैयार है — और अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को भी अब बदलने का समय आ गया है।

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