October 15, 2025

बिहार सियासत में तीखी भिड़ंत: अमित शाह vs प्रशांत किशोर, मुद्दे बनाम बयानबाजी

पटना में अमित शाह का तीखा प्रहार: लालू परिवार पर विकास का आरोप

बिहार की राजनीति में सियासी तापमान तेजी से चढ़ रहा है। 18 सितंबर 2025 को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पटना में एक विशाल सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और लालू प्रसाद यादव के परिवार पर सीधा हमला बोला। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद, राबड़ी देवी या तेजस्वी यादव—कोई भी बिहार का विकास नहीं कर सकता। शाह ने चारा घोटाले से लेकर ‘नौकरी के बदले जमीन’ जैसे मामलों का जिक्र किया, इन्हें ‘जंगल राज’ का प्रतीक बताते हुए। उन्होंने दावा किया कि आरजेडी का शासन रंगदारी और हत्या की संस्कृति पर टिका था, जिससे बिहार की समृद्धि कभी नहीं आ सकती। सभा में शाह ने युवाओं से अपील की कि विकास के रास्ते पर चलने के लिए एनडीए को मजबूत करें, ताकि 80 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल हो। यह बयान बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से ठीक पहले आया है, जहां एनडीए (बीजेपी-जेडीयू) सत्ता बरकरार रखने की जंग लड़ रही है।

राहुल की यात्रा पर तंज: ‘घुसपैठियों को बचाने का अभियान’

अमित शाह ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ को निशाना बनाते हुए इसे ‘घुसपैठियों को बचाने का अभियान’ करार दिया। उन्होंने कहा कि यह यात्रा वास्तव में बंगladeshi घुसपैठियों को संरक्षण देने की साजिश है, जो बिहार के युवाओं की नौकरियों को छीन रही है। शाह ने एनडीए सरकार की उपलब्धियों का बखान किया—मुफ्त बिजली, पेंशन स्कीम, और मोदी सरकार की ईमानदारी। उन्होंने कहा कि डबल-इंजन सरकार बिहार को नई ऊंचाइयों पर ले जा रही है, जहां किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य मिल रहा है और महिलाओं को सशक्तिकरण योजनाओं का लाभ। यह बयान विपक्ष के वोट बैंक पॉलिटिक्स पर सीधा प्रहार था, खासकर जब चुनाव आयोग की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पर विवाद चल रहा है। विपक्ष इसे वोटर लिस्ट से नाम कटवाने की साजिश बता रहा है, जबकि एनडीए इसे पारदर्शिता का कदम। शाह की सभा ने एनडीए कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया, लेकिन विपक्ष ने इसे घृणा फैलाने वाला बताया।

सारण में प्रशांत किशोर का पलटवार: पलायन और फैक्टरियों पर बड़ा सवाल

उधर, जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सारण जिले में सभा आयोजित कर अमित शाह के दौरे का जवाब दिया। किशोर ने तंज कसते हुए कहा कि गुजरात में फैक्टरियां लगाने की बात करके बिहार के वोट नहीं जीते जा सकते। उन्होंने सवाल उठाया—’बिहार से पलायन कब रुकेगा? यहां फैक्टरियां कब लगेंगी?’ किशोर ने जोर देकर कहा कि बिहार की जनता अब नेताओं को जमीन पर उतार आई है। मोदी, राहुल या शाह—सबको बिहार आकर जवाब देना पड़ रहा है। उन्होंने जन सुराज की सरकार आने पर बड़े वादे किए: 60 वर्ष से ऊपर के बुजुर्गों को 2000 रुपये मासिक पेंशन, गरीब बच्चों की निजी स्कूलों में फीस सरकार भरेगी, और छठ पूजा 2025 के बाद पलायन रोकने के लिए 50 लाख युवाओं को स्थानीय रोजगार। किशोर ने बिहार के उच्च घनत्व और लैंडलॉक्ड होने का हवाला देते हुए कहा कि बड़े इंडस्ट्रियल पार्क संभव नहीं, लेकिन छोटे-मोटे उद्योगों से रोजगार पैदा किया जा सकता है। उनकी सभा ने युवाओं और प्रवासी मजदूरों को आकर्षित किया, जो बिहार के 13 करोड़ की आबादी में पलायन की समस्या से जूझ रहे हैं।

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बिहार चुनाव 2025: एनडीए, आरजेडी और जन सुराज की त्रिकोणीय जंग

बिहार विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने हैं, और यह त्रिकोणीय मुकाबला बन चुका है। एनडीए (बीजेपी-जेडीयू-एलजेपी) विकास और कल्याण योजनाओं पर दांव लगा रही है, जबकि महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस-वामपंथी) जाति समीकरणों और बेरोजगारी पर फोकस कर रहा है। जन सुराज, जो सभी 243 सीटों पर लड़ेगी, शिक्षा (‘स्कूल बैग’ सिंबल) और स्वास्थ्य को वोट का आधार बता रही है। एक हालिया ओपिनियन पोल के मुताबिक, एनडीए को 136 सीटें मिल सकती हैं, महागठबंधन को 75, और जन सुराज को लेफ्ट बेस्टीयनों में सरप्राइज। बीजेपी जन सुराज को ‘केजरीवाल 2.0’ बता रही है, जबकि आरजेडी इसके फंडिंग पर सवाल उठा रही। लेकिन बिहार के हाल के उपचुनावों में एनडीए की झाड़ूगण चलने से सत्ता पक्ष का मनोबल ऊंचा है।

असली मुद्दे दबे या उभरे? पलायन, रोजगार और शिक्षा पर बहस

अब बड़ा सवाल यही है—क्या बिहार में असली मुद्दों पर बात हो रही है? अमित शाह के घोटाले-घुसपैठिए वाले बयानों से विकास के सवाल दब रहे हैं या नहीं? प्रशांत किशोर वही सवाल उठा रहे हैं जो विपक्ष को उठाने चाहिए थे—रोजगार कहां? शिक्षा का स्तर क्या? युवाओं का भविष्य सुरक्षित कैसे? बिहार में बेरोजगारी राष्ट्रीय औसत से ऊपर (3.9%) है, और प्रति वर्ष करोड़ों युवा पलायन को मजबूर हैं। एनडीए महिलाओं को 10,000 रुपये की सहायता का वादा कर रही है, जन सुराज ‘परिवार लाभ कार्ड’ बांट रही है, तो कांग्रेस ‘चेकबुक’ स्टाइल में वादे कर रही है। लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि जाति से ऊपर उठकर शिक्षा-रोजगार पर फोकस ही चुनाव बदलेगा। जन सुराज का दावा है कि यह आखिरी पीढ़ी है जो मजदूरी के लिए बाहर जाएगी।

आगे की राह: विकास जीतेगा या बयानबाजी?

बिहार का चुनाव अभी दूर है, लेकिन बहस तेज हो चुकी है। नेता मंचों पर हैं, लेकिन मुद्दे अब जनता के बीच हैं। एनडीए सत्ता के बल पर योजनाओं का दम भर रही है, आरजेडी ‘जंगल राज’ के आरोपों से उबरने को बेताब, तो जन सुराज तीसरा विकल्प बनने की कोशिश में। देखना यह है कि चुनाव में विकास की जीत होगी या बयानबाजी की। बिहार की जनता, जो लंबे समय से उपेक्षित रही, अब बदलाव की मांग कर रही है। अगर मुद्दों पर फोकस रहा, तो 2025 का चुनाव ऐतिहासिक होगा। आखिरकार, बिहार का भविष्य वोट से तय होगा—पलायन खत्म करने का वादा कब पूरा होगा?

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