नशे के सौदागरों पर पुलिस की सख्ती, दो गिरफ्तार
आंध्र प्रदेश में नशे के खिलाफ चल रही मुहिम को एक और बड़ी सफलता मिली है। राज्य की आबकारी पुलिस ने एक साहसिक ऑपरेशन में करीब 1 करोड़ 20 लाख रुपये मूल्य के मादक पदार्थों का भंडाफोड़ किया। यह कार्रवाई न केवल अपराधियों को झकझोरने वाली है, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी भी। नशे का यह जखीरा, जो युवाओं की जिंदगियों को तबाह करने की क्षमता रखता था, अब पुलिस की हिरासत में है। इस सफलता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि कानून का हाथ लंबा है और अपराधी जहां भी छिपें, उन्हें पकड़ लिया जाएगा।
जब्त सामान: हशीश ऑयल और गांजे का विशालकाय स्टॉक
पुलिस ने इस ऑपरेशन के दौरान 30 किलोग्राम हशीश ऑयल और 11.5 किलोग्राम गांजा जब्त किया। ये मादक पदार्थ न केवल बाजार में बिक्री के लिए तैयार थे, बल्कि इनकी मात्रा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह एक संगठित गिरोह का हिस्सा था। हशीश ऑयल, जो एक अत्यंत शक्तिशाली नशीला पदार्थ है, युवाओं में तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। वहीं, गांजा पारंपरिक रूप से ग्रामीण इलाकों में फैलता रहा है। इन पदार्थों की कीमत सड़क पर 1 करोड़ 20 लाख रुपये आंकी गई है, जो बताता है कि नशे का कारोबार कितना फल-फूल रहा है। अगर यह जखीरा बाजार में पहुंच जाता, तो सैकड़ों युवाओं की जिंदगियां दांव पर लग जातीं। आंध्र प्रदेश पुलिस ने इस जब्ती को नशा मुक्ति अभियान का महत्वपूर्ण पड़ाव बताया है।
गिरफ्तार आरोपी: नाबालिग युवा की संलिप्तता चिंता का विषय
इस कार्रवाई में दो मुख्य आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। पहला है 35 वर्षीय कोर्रा सोमारा, जो संभवतः इस गिरोह का प्रमुख सदस्य रहा होगा। दूसरा आरोपी है मात्र 18 वर्षीय चंद्र खिल्लो, जिसकी उम्र देखकर हर कोई स्तब्ध है। एक नाबालिग के करीब का युवा इस घिनौने धंधे में कैसे फंस गया? यह सवाल समाज के हर जिम्मेदार नागरिक के मन में कौंध रहा है। युवा उम्र में नशे के कारोबार में कूद पड़ना न केवल कानूनी अपराध है, बल्कि सामाजिक विपदा का संकेत भी। पुलिस पूछताछ में इनसे कई राज उजागर हो रहे हैं, जो गिरोह के नेटवर्क को और स्पष्ट कर सकते हैं।
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फरार आरोपी: पुलिस की तलाश तेज
दो अन्य आरोपी—खिल्लो प्रसाद और कोर्रा लोकेश—अभी भी फरार हैं। पुलिस ने इन्हें जल्द गिरफ्तार करने के लिए विशेष टीमें गठित की हैं। राज्य भर में इनकी तलाश तेज कर दी गई है, और सीमावर्ती इलाकों पर नजर रखी जा रही है। आशंका है कि ये फरारियां गिरोह के बड़े नेटवर्क से जुड़ी हों। इस कार्रवाई के दौरान तीन मोटरसाइकिलें और दो मोबाइल फोन भी जब्त किए गए, जो अपराधियों के संचार और परिवहन के साधन थे। ये सामान जांच के बाद और अधिक सुराग दे सकते हैं। आंध्र प्रदेश पुलिस प्रमुख ने कहा कि नशे के खिलाफ यह जंग तब तक जारी रहेगी, जब तक हर अपराधी सलाखों के पीछे न पहुंच जाए।
नशे का खतरा: समाज के लिए एक सबक
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है—क्या हम नशे के खिलाफ इस जंग को उतनी ही गंभीरता से ले रहे हैं, जितनी जरूरी है? नशा केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि पूरी पीढ़ी को बर्बाद कर देता है। आंध्र प्रदेश जैसे राज्य, जहां युवा आबादी बहुत है, वहां नशे का प्रसार शिक्षा, रोजगार और परिवारों को चोट पहुंचाता है। सरकारी स्तर पर नशा मुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ाने, जागरूकता अभियानों को मजबूत करने और स्कूलों में काउंसलिंग की जरूरत है। लेकिन असली बदलाव तभी आएगा, जब समाज का हर वर्ग—माता-पिता, शिक्षक, पड़ोसी—सतर्क हो जाए। अगर कोई संदिग्ध गतिविधि दिखे, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें। नशा एक महामारी है, और इसे रोकने के लिए सामूहिक प्रयास ही एकमात्र हथियार है।
आगे की राह: मजबूत कदमों की आवश्यकता
आंध्र प्रदेश सरकार ने पहले भी नशे के खिलाफ सख्त नीतियां अपनाई हैं, जैसे विशेष आबकारी दस्तों का गठन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग। इस कार्रवाई से प्रेरणा लेते हुए, अन्य राज्यों को भी अपनी रणनीति मजबूत करनी चाहिए। याद रखें, हर जब्ती एक जिंदगी बचाती है। आइए, हम सब मिलकर नशामुक्त भारत का सपना साकार करें। यह केवल पुलिस की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सबकी साझा लड़ाई है।
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