December 8, 2025

असम विधानसभा ने बहुविवाह पर लगाई सख्ती: 10 साल जेल और जुर्माना, UCC की ओर पहला कदम

असम विधानसभा ने 27 नवंबर 2025 को ऐतिहासिक कदम उठाते हुए ‘असम बहुविवाह निषेध विधेयक, 2025’ को पारित कर दिया। यह विधेयक बहुविवाह को अपराध घोषित करता है, जिसमें दोषी को अधिकतम 7 साल की जेल और जुर्माने की सजा हो सकती है। अगर कोई अपनी पहली शादी छिपाकर दूसरी करता है, तो सजा 10 साल तक बढ़ सकती है। पीड़ित महिलाओं के लिए 1 लाख रुपये तक का मुआवजा और कानूनी संरक्षण का प्रावधान भी है। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे महिलाओं के अधिकारों की रक्षा का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने की दिशा में पहला कदम है। लेकिन क्या यह विधेयक वाकई सामाजिक न्याय लाएगा या सियासी रंग ले लेगा?

विधेयक की मुख्य विशेषताएं: सख्त सजाएं और महिलाओं का संरक्षण

असम बहुविवाह निषेध विधेयक बहुविवाह को पूरी तरह प्रतिबंधित करता है। इसके तहत पहली शादी के दौरान दूसरी शादी करने वाले को 7 साल की कैद और जुर्माना। अगर विवाह के समय मौजूदा शादी छिपाई जाती है, तो सजा 10 साल तक हो सकती है। दोबारा अपराध करने पर सजा दोगुनी। विधेयक में काजी, गांव के मुखिया या अभिभावक जो ऐसी शादी में सहयोग करते हैं, उन्हें 2 साल की जेल और 1 लाख रुपये जुर्माना। काजी को 1.5 लाख रुपये का जुर्माना भी। पीड़ित महिलाओं को मुआवजा और कानूनी सहायता मिलेगी। दोषी सरकारी नौकरी के लिए अयोग्य होंगे और स्थानीय चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। विधेयक राज्य भर में लागू होगा, लेकिन अनुसूचित जनजाति (ST) सदस्यों और छठी अनुसूची क्षेत्रों को छूट दी गई है, जहां कुछ जनजातीय रीति-रिवाज बहुविवाह की अनुमति देते हैं।

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विधानसभा में चर्चा: सरमा का दावा, ‘यह इस्लाम विरोधी नहीं’

विधेयक पेश करने से पहले 25 नवंबर को चर्चा हुई। सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा, “यह विधेयक इस्लाम के खिलाफ नहीं है। असली मुसलमान इसका स्वागत करेंगे। तुर्की, पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में भी बहुविवाह प्रतिबंधित है।” उन्होंने UCC का वादा दोहराया, “अगर 2026 चुनाव में दोबारा सत्ता आती है, तो पहले सत्र में UCC लाएंगे।” विपक्षी दलों – कांग्रेस, AIUDF, CPI(M) – ने वॉकआउट किया। AIUDF के अमिनुल इस्लाम ने कहा, “यह संविधान के कुछ अनुच्छेदों का उल्लंघन है।” सरमा ने स्पष्ट किया कि हिंदू, मुस्लिम, ईसाई सभी पर लागू होगा। विधेयक पारित होने के बाद सरमा ने ट्वीट किया, “महिलाओं के अधिकारों पर कोई समझौता नहीं। यह नारी शक्ति को मजबूत करेगा।”

UCC की ओर कदम: सामाजिक सुधार या चुनावी रणनीति?

यह विधेयक UCC लागू करने की दिशा में महत्वपूर्ण है। UCC में बाल विवाह रोक, बहुविवाह प्रतिबंध, उत्तराधिकार कानून और लिव-इन रिलेशनशिप पंजीकरण शामिल हैं। असम के बाद उत्तराखंड UCC लागू हो चुका है। सरमा ने कहा, “बहुविवाह निषेध UCC का पहला चरण है।” लेकिन आलोचक इसे 2026 विधानसभा चुनाव से जोड़कर देख रहे हैं। मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में BJP की सियासी रणनीति का आरोप लग रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह महिलाओं को सशक्त बनाएगा, लेकिन जनजातीय छूट से असमानता पैदा हो सकती है। असम में बहुविवाह दर पहले से कम है, लेकिन विधेयक से सामाजिक जागरूकता बढ़ेगी।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: स्वागत और विरोध की ध्रुवीकरण

विधेयक के पारित होने पर BJP समर्थकों ने सराहना की। विपक्ष ने इसे ‘मुस्लिम विरोधी’ बताया। AIUDF ने कहा कि यह धार्मिक स्वतंत्रता का हनन है। लेकिन सरमा ने तर्क दिया कि असम के मुस्लिम समुदाय ने ही बहुविवाह का विरोध किया। राष्ट्रीय स्तर पर इसे UCC बहस को गति देने वाला माना जा रहा। महिलाओं के संगठनों ने स्वागत किया, कहा कि यह लिंग समानता सुनिश्चित करेगा। अब विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा। क्या यह असम में सामाजिक परिवर्तन लाएगा? जनता की नजरें सरकार पर टिकी हैं।

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