October 15, 2025

अमेरिका में गुजराती परिवारों पर हमले मेहनत और सुरक्षा के बीच बड़ा संकट

अमेरिका जहाँ भारतीय मेहनत और लगन से अपना नाम बनाते हैं, वहीं एक चिंता की लहर उठ रही है। गुजराती समुदाय, खासकर पटेल परिवार, पूरे अमेरिका में मोटल, पेट्रोल पंप और सुविधा स्टोर जैसे व्यवसाय के मालिक हैं। वर्षों की मेहनत और लगन ने उन्हें प्रतिष्ठा और पहचान दी, लेकिन हाल के वर्षों में यह समुदाय अपराधियों का निशाना बनता जा रहा है।

आक्रमण और मौतों का बढ़ता पैटर्न

सिर्फ इस साल, अमेरिका में मोटल चलाने वाले या व्यवसायी रहे कम से कम 7 गुजराती परिवारों के सदस्यों की हत्या हो चुकी है। ये हमले अक्सर सीधी गोली मारने जैसी हिंसक घटनाओं के रूप में सामने आए हैं। सबसे ताज़ा घटना पेन्सिलवेनिया के एलेघेनी काउंटी में हुई, जहां सूरत निवासी राकेश पटेल (50 साल) को उनके मोटल के पास गोली मार दी गई।इतना ही नहीं, 5 अक्टूबर को उत्तरी कैरोलिना में अनिल पटेल और पंकज पटेल की भी गोली मारकर हत्या कर दी गई। कुछ महीने पहले दक्षिण कैरोलिना में एक गुजराती महिला और उनके पिता की भी डकैती के दौरान हत्या हुई थी।

क्यों बन रहा है गुजराती समुदाय अपराधियों का निशाना?

रिपोर्टों के अनुसार, ज्यादातर हमले मोटल, पेट्रोल पंप और स्टोर पर हुए हैं। ये वही व्यवसाय हैं जिन पर गुजराती समुदाय का दबदबा है। ऐसे हमले न केवल आर्थिक नुकसान करते हैं, बल्कि समुदाय में डर और असुरक्षा की भावना भी पैदा करते हैं।

सरकार और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल

हर नई हत्या यह सवाल उठाती है कि क्या अमेरिकी सरकार और स्थानीय सुरक्षा एजेंसियां गुजराती समुदाय को सुरक्षा प्रदान कर पाएंगी? क्या मेहनत से बनाई गई कमाई अब हर दिन मौत के जोखिम का सामना करेगी? यह स्थिति समुदाय के लिए चिंता और असुरक्षा दोनों पैदा कर रही है।

समाज और समुदाय पर असर

गुजराती परिवारों में डर का माहौल बन गया है। लोग अब अपने व्यवसाय और सुरक्षा को लेकर सतर्क हैं। बच्चों और बुज़ुर्गों के लिए यह खतरा और अधिक गंभीर हो गया है। अमेरिका में मेहनत से बनाई पहचान अब अपराधियों के निशाने पर है, और समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी बन गया है।गुजराती समुदाय ने अमेरिका में वर्षों की मेहनत से पहचान बनाई है, लेकिन हाल की हिंसक घटनाओं ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या उनकी सुरक्षा के लिए पर्याप्त कदम उठाए जा रहे हैं। यह समय है कि सरकार, समुदाय और सुरक्षा एजेंसियां मिलकर इस संकट का समाधान खोजें, ताकि मेहनत और लगन से बनाई पहचान अब डर और मौत के खतरे का सामना न करे।

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