November 18, 2025

बीसीसीआई अध्यक्ष रोजर बिन्नी के इस्तीफे के बाद बोर्ड में बड़ा बदलाव, राजीव शुक्ला संभालेंगे अंतरिम अध्यक्षता

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष रोजर बिन्नी ने बोर्ड अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। इस महत्वपूर्ण बदलाव के बाद बीसीसीआई के कार्यभार को संभालने की जिम्मेदारी अब वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासनिक नेता राजीव शुक्ला के कंधों पर आ गई है। वह आगामी चुनाव होने तक बीसीसीआई के प्रेसीडेंट के रूप में कार्य करेंगे। इस खबर की पुष्टि हिंदी अखबार दैनिक जागरण की रिपोर्ट में की गई है।

रोजर बिन्नी का इस्तीफा और इसका मतलब

रोजर बिन्नी, जो बीसीसीआई के अध्यक्ष के रूप में लंबे समय से कार्यरत थे, ने हाल ही में अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उनकी इस अचानक घोषणा ने क्रिकेट प्रशासन में एक बड़ा बदलाव ला दिया है। बीसीसीआई एक बेहद प्रभावशाली और शक्तिशाली संगठन है, जो भारतीय क्रिकेट का संचालन करता है और विश्व क्रिकेट के मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए अध्यक्ष पद पर इस तरह का बदलाव क्रिकेट की दुनिया में चर्चा का विषय बन गया है।बीसीसीआई के अध्यक्ष का पद केवल एक प्रशासनिक पद नहीं है, बल्कि भारतीय क्रिकेट की रणनीति, प्रायोजन, अंतरराष्ट्रीय संबंधों और खिलाड़ियों के हितों की रक्षा का केंद्र होता है। ऐसे में बिन्नी के इस्तीफे से संगठन में बड़े बदलाव और नई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

राजीव शुक्ला की अंतरिम अध्यक्षता

रोजर बिन्नी के इस्तीफे के बाद बोर्ड ने राजीव शुक्ला को बीसीसीआई अध्यक्ष की अंतरिम जिम्मेदारी सौंपी है। राजीव शुक्ला क्रिकेट प्रशासन में लंबे समय से सक्रिय हैं और उनके पास बीसीसीआई के कामकाज की गहरी समझ है। वह आगामी चुनाव होने तक बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर रहेंगे।शुक्ला की अध्यक्षता में बीसीसीआई ने बुधवार को एपेक्स काउंसिल की अहम बैठक भी बुलाई, जिसमें बोर्ड के भविष्य से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें चर्चा में आईं। इस बैठक का फोकस मुख्य रूप से ड्रीम11 के प्रायोजन अनुबंध की समाप्ति और नए प्रायोजक की तलाश पर था।

बीसीसीआई की एपेक्स काउंसिल की बैठक

बीसीसीआई की बुधवार को हुई एपेक्स काउंसिल की बैठक की अध्यक्षता राजीव शुक्ला ने की। इस बैठक का मुख्य एजेंडा था ड्रीम11 के साथ प्रायोजन अनुबंध की समाप्ति के बाद नए प्रायोजक की खोज।बैठक में यह माना गया कि ड्रीम11 का अनुबंध खत्म हो चुका है और बोर्ड को अगले ढाई साल के लिए नए प्रायोजक की आवश्यकता है, जो अक्टूबर-नवंबर 2027 तक वनडे विश्व कप के आयोजन तक बने रह सके।हालांकि, बोर्ड के सामने एक बड़ी चुनौती है कि एशिया कप 10 सितंबर से शुरू हो रहा है, और इतने कम समय में नया प्रायोजक ढूंढना आसान नहीं होगा। दैनिक जागरण की रिपोर्ट में स्रोत के हवाले से बताया गया है कि बीसीसीआई के पास दो सप्ताह से भी कम समय है, जबकि नया टेंडर जारी करने, चयन प्रक्रिया पूरी करने और नए प्रायोजक के साथ अनुबंध करने में काफी समय लगेगा।इसलिए, बीसीसीआई इस बात पर विचार कर रहा है कि वह केवल एशिया कप के लिए अल्पकालिक प्रायोजक ही नहीं बल्कि दीर्घकालिक समाधान भी निकाले, ताकि अगले ढाई साल के लिए स्थिरता बनी रहे।

प्रायोजन के महत्व और वर्तमान स्थिति

बीसीसीआई की आर्थिक स्थिति और क्रिकेट की विश्वसनीयता के लिए प्रायोजन अत्यंत महत्वपूर्ण है। ड्रीम11 के साथ पिछले अनुबंध ने बोर्ड को अच्छी आर्थिक सहायता दी है, लेकिन अब नए अनुबंध के लिए नयी शर्तें और बेहतर साझेदार की तलाश जारी है।प्रायोजन अनुबंधों से मिलने वाली आय बीसीसीआई को भारतीय क्रिकेट के विकास, घरेलू टूर्नामेंटों, खिलाड़ियों के वेतन, और स्टेडियम की सुविधाओं में सुधार के लिए आवश्यक होती है। इसलिए इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पूरा करना बीसीसीआई के लिए प्राथमिकता बनी हुई है।

आगामी बीसीसीआई चुनाव और नई खेल नीति

बीसीसीआई को अगले महीने चुनाव कराने हैं, जिसमें बोर्ड के नए अध्यक्ष का चयन होगा। यह चुनाव नई खेल नीति के बावजूद समय पर आयोजित किया जाएगा। नई खेल नीति को अभी लागू होने में चार-पांच महीने का समय लग सकता है, इसलिए चुनाव स्थगित नहीं किए जा सकते।वर्तमान में बीसीसीआई सुप्रीम कोर्ट की लोढ़ा समिति की सिफारिशों पर आधारित संविधान के तहत संचालित हो रहा है। यह संविधान बोर्ड के प्रशासन में पारदर्शिता, जवाबदेही और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित करता है।नई खेल नीति लागू होने के बाद बोर्ड के कामकाज में कुछ बदलाव आएंगे, लेकिन फिलहाल संविधान के नियमों के अनुसार चुनाव कराना जरूरी है।

बीसीसीआई के सामने अन्य चुनौतियां और भविष्य की संभावनाएं

बीसीसीआई को कई अन्य चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। इनमें कोविड-19 महामारी के बाद क्रिकेट गतिविधियों को सामान्य करना, घरेलू क्रिकेट की मजबूती, अंतरराष्ट्रीय मैचों की व्यवस्था, खिलाड़ियों की फिटनेस और प्रायोजकों के साथ स्थिर रिश्ते बनाए रखना शामिल हैं।इसके अलावा, भारतीय क्रिकेट को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए युवा खिलाड़ियों का विकास और घरेलू क्रिकेट को सशक्त करना भी प्राथमिकता है।राजीव शुक्ला के नेतृत्व में बीसीसीआई इन चुनौतियों से निपटने के लिए योजनाएं बना रहा है, ताकि आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट की स्थिति मजबूत हो।रोजर बिन्नी के इस्तीफे के बाद बीसीसीआई में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। राजीव शुक्ला की अंतरिम अध्यक्षता में बोर्ड ने प्रायोजन और आगामी चुनावों को लेकर रणनीति बनाई है। ड्रीम11 के प्रायोजन अनुबंध की समाप्ति के बाद नए प्रायोजक की तलाश बीसीसीआई के लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है, खासकर 10 सितंबर से शुरू हो रहे एशिया कप को देखते हुए।नई खेल नीति के लागू होने में विलंब के बावजूद आगामी चुनाव समय पर आयोजित किए जाएंगे, जो बीसीसीआई के प्रशासनिक सुधारों और क्रिकेट के बेहतर भविष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।भारतीय क्रिकेट का यह प्रशासनिक दौर चुनौतियों से भरा है, लेकिन सही नेतृत्व और प्रभावी प्रबंधन से बीसीसीआई निश्चित ही इन सभी मुश्किलों को पार करेगा और भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।

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