वक्फ संशोधन एक्ट के खिलाफ हैदराबाद में बड़ा प्रदर्शन: कांग्रेस सांसद इमरान मसूद का तीखा बयान

वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर देशभर में चल रही बहस अब सड़क पर आ चुकी है। हैदराबाद में इस कानून के खिलाफ भारी विरोध प्रदर्शन देखने को मिला, जिसमें हजारों की संख्या में लोग शामिल हुए। इस प्रदर्शन में विशेष रूप से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद इमरान मसूद की उपस्थिति और उनका सख्त बयान सुर्खियों में है।

क्या है वक्फ संशोधन एक्ट?

वक्फ एक्ट, 1995 को केंद्र सरकार संशोधित करने की तैयारी में है। बताया जा रहा है कि संशोधन के ज़रिये वक्फ बोर्ड की संपत्तियों और शक्तियों की समीक्षा की जाएगी, और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि वक्फ की संपत्तियों का उपयोग पारदर्शी और न्यायसंगत तरीके से हो।

लेकिन विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों का कहना है कि यह संशोधन मुस्लिम समुदाय के अधिकारों में कटौती और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण पाने की एक सोची-समझी साजिश है।

हैदराबाद में उमड़ा विरोध का सैलाब

हैदराबाद में हुए विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में मुस्लिम संगठनों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और आम नागरिकों ने हिस्सा लिया। प्रदर्शनकारियों के हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था –
“हमारे वक्फ की हिफाजत करो”, “हम संविधान के साथ हैं”, “वोट से चुनी सरकार, हक नहीं छीन सकती”।

प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहा, लेकिन जनसमूह का जोश और नाराज़गी साफ़ देखी जा सकती थी।

इमरान मसूद का तीखा हमला

इस प्रदर्शन में कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने जिस अंदाज़ में सरकार पर हमला बोला, वह अब पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है। उन्होंने कहा:

“यह कानून मुसलमानों को दूसरे दर्जे का नागरिक बनाने की कोशिश है। संविधान ने जो हक हमें दिए, उन पर अब बुलडोजर चलाया जा रहा है।”

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार इस कानून के जरिए सिर्फ वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है।

“यह बिल केवल एक ‘लैंड ग्रैब पॉलिसी’ है। इसमें कहीं भी पसमांदा मुसलमानों, महिलाओं या अनाथ बच्चों के कल्याण की कोई बात नहीं की गई है।” – इमरान मसूद

उन्होंने तेलंगाना के मुख्यमंत्री से अपील की कि वे राज्य में इस कानून को लागू न करें और इस पर राज्यसभा में विरोध दर्ज कराएं।

भाजपा की प्रतिक्रिया

बीजेपी ने इमरान मसूद के बयानों को “भ्रामक और भड़काऊ” बताया है। पार्टी नेताओं का कहना है कि वक्फ एक्ट का संशोधन किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि सिस्टम को पारदर्शी बनाने के लिए है। भाजपा प्रवक्ताओं ने कहा कि कई मामलों में वक्फ बोर्ड पर मनमानी और संपत्तियों के दुरुपयोग के आरोप लगे हैं, जिन्हें रोकना सरकार की ज़िम्मेदारी है।

उत्तर भारत में भी बढ़ता असर

हालांकि विरोध प्रदर्शन हैदराबाद में हुआ, लेकिन इसकी गूंज अब उत्तर भारत तक पहुंच रही है। उत्तर प्रदेश, बिहार, दिल्ली और हरियाणा के मुस्लिम इलाकों में इस मुद्दे पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। कई जगहों पर छोटे-छोटे संगठन लोकल मीटिंग्स और जागरूकता अभियान चला रहे हैं।

कुछ धार्मिक और सामाजिक संगठन भी इस मुद्दे पर राजनीतिक दलों से रुख साफ़ करने की मांग कर रहे हैं। खासकर पसमांदा समाज से जुड़े मुस्लिम समुदाय में यह सवाल उठ रहा है कि अगर वक्फ बोर्ड का पैसा और संपत्ति उनके कल्याण पर खर्च नहीं हो रही, तो फिर इसका फायदा किसे हो रहा है?

वक्फ संशोधन एक्ट को लेकर जो विरोध और बयानबाज़ी शुरू हुई है, वह यह दर्शाती है कि मामला केवल कानून का नहीं, बल्कि आस्था, हक और पहचान से जुड़ा है। इमरान मसूद जैसे नेताओं के तीखे बयानों से यह साफ़ है कि कांग्रेस इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से भुनाने की तैयारी में है, जबकि भाजपा इसे सुधार और पारदर्शिता की दिशा में एक कदम बता रही है।

अब देखना होगा कि क्या केंद्र सरकार इस मसले पर मौलिक बदलावों के साथ आगे बढ़ती है, या फिर विरोध के दबाव में आकर कुछ संशोधन करती है। फिलहाल इतना तो तय है कि वक्फ एक्ट की यह लड़ाई सियासत का बड़ा मुद्दा बन चुकी है।

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