बिहार चुनाव में अब कांग्रेस की शीर्ष टीम मैदान में उतर चुकी है। राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी वाड्रा ने महागठबंधन के समर्थन में मोर्चा संभाल लिया है। तेजस्वी यादव के साथ मिलकर राहुल गांधी 12 बड़ी रैलियाँ करेंगे, जिनमें बेरोजगारी, महंगाई और विकास के मुद्दे गूंजने वाले हैं। आइए जानते हैं—कांग्रेस की इस रणनीति से बिहार की राजनीति में क्या बदलाव आ सकता है।
बिहार चुनाव में कांग्रेस का ‘फुल फोर्स’ मिशन
बिहार चुनाव 2025 का माहौल पूरी तरह गर्म हो चुका है। एक तरफ NDA अपने ‘डबल इंजन सरकार’ मॉडल को प्रचारित करने में लगी है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस और महागठबंधन (INDIA Bloc) ने पूरी ताकत झोंकने का फैसला किया है।
राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे – ये तीनों बड़े चेहरे अब बिहार की धरती पर उतर चुके हैं।
राहुल गांधी 29 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर जिले के सकरा से अपनी पहली चुनावी रैली शुरू करेंगे, जिसमें तेजस्वी यादव भी मंच साझा करेंगे। इस रैली को महागठबंधन की एकता का प्रतीक माना जा रहा है।
‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के बाद राहुल की दमदार वापसी
‘भारत जोड़ो यात्रा’ और ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ के बाद राहुल गांधी अब सीधे बिहार की सियासत में उतर रहे हैं।
पहले चरण में वे 7 नवंबर तक कुल 12 चुनावी रैलियाँ करेंगे। कांग्रेस का कहना है कि राहुल इस बार “बेरोजगारी, महंगाई और युवाओं के पलायन” जैसे मुद्दों पर NDA को घेरेंगे। उनका फोकस यह दिखाने पर होगा कि “डबल इंजन सरकार” ने बिहार को विकास नहीं, बल्कि निराशा दी है।
तेजस्वी और राहुल की जोड़ी – विपक्ष की एकता का संकेत
राहुल गांधी की कई रैलियाँ तेजस्वी यादव के साथ होंगी। दोनों नेताओं के साझा मंच पर आने से महागठबंधन (RJD-Congress-CPI) एकजुट नजर आएगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि राहुल और तेजस्वी की जोड़ी युवा वोटर्स को आकर्षित कर सकती है। हालांकि, राजापाकर सीट पर कांग्रेस विधायक प्रतीमा सिंह और CPI उम्मीदवार मोहित के बीच ‘दोस्ताना मुकाबला’ दिख रहा है, जिससे अंदरूनी खींचतान भी उजागर होती है।
NDA पर सीधा हमला – बेरोजगारी और विकास बने चुनावी हथियार
कांग्रेस और महागठबंधन की रैलियों का मुख्य फोकस NDA सरकार की नीतियों की आलोचना है।
राहुल गांधी ने अपनी टीम से कहा है कि “डबल इंजन सरकार” की असलियत जनता के सामने लानी होगी।
रैलियों में महंगाई, युवाओं के रोजगार, किसानों की आय, और शिक्षा प्रणाली जैसे मुद्दों पर चर्चा होगी।
कांग्रेस चाहती है कि जनता को यह एहसास कराया जाए कि विपक्ष ही “विकल्प” है।
कांग्रेस की रणनीति – ग्राउंड कनेक्ट और सोशल मीडिया दोनों पर फोकस
कांग्रेस इस बार चुनाव प्रचार को दो स्तरों पर चला रही है –
1️⃣ ग्राउंड रैलियाँ और जनसभाएँ
2️⃣ डिजिटल मीडिया और सोशल मीडिया कैंपेन
राहुल गांधी की रैलियों को लाइव प्रसारित किया जाएगा, साथ ही #BiharWithRahul और #Mahagathbandhan2025 जैसे हैशटैग ट्रेंड में लाने की तैयारी है। प्रियंका गांधी वाड्रा भी महिलाओं से सीधे संवाद करने वाली सभाओं में हिस्सा लेंगी।
निष्कर्ष (Conclusion)
बिहार चुनाव में अब मुकाबला रोचक हो गया है। एक तरफ NDA सरकार अपने विकास मॉडल को बचाने में जुटी है, वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस-राजद गठबंधन बेरोजगारी और जनता की आवाज को चुनावी मुद्दा बना रहा है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की साझा रैलियाँ महागठबंधन को नई ऊर्जा दे सकती हैं। अब देखना होगा कि क्या यह रणनीति NDA के ‘डबल इंजन’ को सचमुच धीमा कर पाएगी या नहीं।

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