बिहार में राजनीतिक तापमान अपने चरम पर है। एक ओर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए सत्ता में वापसी की जुगत में है, तो दूसरी ओर तेजस्वी यादव और राहुल गांधी का महागठबंधन नए वादों के साथ वोटरों को लुभाने में जुटा है। लेकिन सवाल वही है—क्या इस बार बिहार की राजनीति कोई नया रंग दिखाएगी? आइए, इस सियासी रणक्षेत्र के हर पहलू को समझें।
महागठबंधन का नया दांव: ईबीसी पर नजर
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में महागठबंधन ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) को साधने के लिए बड़ा दांव खेला है। नया अत्याचार निवारण कानून, आरक्षण में विस्तार, और भूमिहीनों को जमीन का अधिकार जैसे वादों के साथ राजद ने इस बार रणनीति बदली है। यह वही वोटर समूह है, जो अब तक एनडीए का मजबूत आधार माना जाता था। लेकिन क्या राजद पर लगा ‘ईबीसी विरोधी’ का पुराना ठप्पा अभी भी बाधा बनेगा? 1990 के दशक में लालू यादव को कर्पूरी फॉर्मूले को कमजोर करने के आरोपों का सामना करना पड़ा था, और यह छवि अब भी कुछ हद तक कायम है। तेजस्वी इसे तोड़ने की कोशिश में हैं, लेकिन क्या उनकी नई सोशल इंजीनियरिंग कामयाब होगी?
नीतीश कुमार: एनडीए का तुरुप का इक्का
दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीतीश कुमार को किसी भी कीमत पर हटाने का जोखिम नहीं लेना चाहती। नीतीश का वोट बैंक—खासकर महिलाएं, महादलित, और गैर-यादव ओबीसी—आज भी मजबूत है। उनकी साफ-सुथरी छवि और विकास के एजेंडे ने उन्हें बिहार में एक अलग पहचान दी है। लेकिन सवाल यह है कि क्या नीतीश का जादू अब भी उतना ही चल पाएगा? अगर भाजपा उन्हें हटाने का फैसला लेती है, तो क्या यह उनके लिए फायदेमंद होगा या उल्टा पड़ जाएगा?
राहुल गांधी और कांग्रेस का नया जोश
राहुल गांधी की ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ ने महागठबंधन में नया जोश भरा है। कांग्रेस इस बार सिर्फ सहयोगी बनकर नहीं रहना चाहती। उसने 70 सीटों की मांग की है, हालांकि पिछले चुनाव में वह केवल 19 सीटें ही जीत पाई थी। राहुल की सक्रियता और कांग्रेस की नई रणनीति बिहार में कितना असर डालेगी, यह देखना बाकी है। क्या राहुल अब सिर्फ दर्शक नहीं, बल्कि सियासी रणनीतिकार के रूप में उभरेंगे?
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प्रशांत किशोर: सियासत का नया चेहरा
इन सबके बीच प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने बिहार की सियासत में नई हलचल मचाई है। उनकी रणनीति और युवा अपील क्या गुल खिलाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या वे एनडीए और महागठबंधन के वोट बैंक में सेंधमारी कर पाएंगे?
बिहार का भविष्य, दिल्ली की गूंज
बिहार की यह सियासी जंग न सिर्फ राज्य की दिशा तय करेगी, बल्कि इसका असर दिल्ली की सत्ता तक दिखेगा। तेजस्वी की नई रणनीति, नीतीश की स्थिरता, राहुल का जोश, और प्रशांत किशोर का नया प्रयोग—ये सभी मिलकर बिहार की सियासत को एक नए मोड़ पर ले जा सकते हैं।
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