भावुक विदाई के साथ पुजारा ने कहा अलविदा
भारतीय क्रिकेट के ‘टेस्ट स्पेशलिस्ट’ कहे जाने वाले दिग्गज बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने इंटरनेशनल क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी है। उन्होंने इंस्टाग्राम पर एक भावुक पोस्ट के जरिए अपने शानदार करियर के अंत का ऐलान किया। पुजारा, जिन्हें उनकी रक्षात्मक बल्लेबाजी और क्रीज पर लंबे समय तक डटे रहने की कला के लिए जाना जाता है, ने भारतीय क्रिकेट इतिहास में एक अमिट छाप छोड़ी। उनकी यह घोषणा प्रशंसकों के लिए एक भावनात्मक क्षण है, क्योंकि अब वह भारतीय जर्सी में मैदान पर नहीं दिखेंगे।
पुजारा ने अपनी पोस्ट में लिखा, “राजकोट के एक छोटे से लड़के ने अपने माता-पिता के साथ सितारों तक पहुंचने का सपना देखा था। भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा बनना मेरा सबसे बड़ा ख्वाब था। इस खेल ने मुझे अनमोल मौके, अनुभव, उद्देश्य और अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का गौरव दिया।” उन्होंने आगे कहा, “भारतीय जर्सी पहनना, राष्ट्रगान गाना और हर बार मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ देना मेरे लिए अवर्णनीय अनुभव रहा। लेकिन हर अच्छी चीज का अंत होता है, और मैं अपार कृतज्ञता के साथ क्रिकेट के सभी प्रारूपों से संन्यास ले रहा हूं।”
पुजारा का शानदार टेस्ट करियर
पुजारा ने अपने 13 साल के करियर में टेस्ट क्रिकेट में कई यादगार पारियां खेलीं। उन्होंने 103 टेस्ट मैचों में 43.60 की औसत से 7195 रन बनाए, जिसमें 19 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। वह भारत के लिए टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाजों की सूची में आठवें स्थान पर हैं। उनकी तकनीक और धैर्य ने उन्हें विदेशी पिचों पर भारत का भरोसेमंद बल्लेबाज बनाया। खासकर 2018-19 के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर उनकी तीन शतकीय पारियों ने भारत को पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जिताने में अहम भूमिका निभाई।
पुजारा का योगदान सिर्फ रनों तक सीमित नहीं था। उनकी बल्लेबाजी में धैर्य, साहस और टीम के लिए समर्पण झलकता था। वह मुश्किल परिस्थितियों में दीवार की तरह खड़े होकर विपक्षी गेंदबाजों को परेशान करते थे। फर्स्ट-क्लास क्रिकेट में भी उन्होंने 21301 रन बनाए, जो उनकी तकनीकी दक्षता और निरंतरता का प्रमाण है।
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भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत
पुजारा का संन्यास भारतीय टेस्ट क्रिकेट में एक युग का अंत है। उनकी रक्षात्मक शैली और लंबी पारियां खेलने की क्षमता ने उन्हें प्रशंसकों का चहेता बनाया। वह न केवल एक खिलाड़ी थे, बल्कि एक प्रेरणा भी थे, जिन्होंने युवा क्रिकेटरों को धैर्य और अनुशासन का महत्व सिखाया। ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में उनकी पारियां हमेशा भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों के दिलों में जिंदा रहेंगी।
पुजारा ने अपने करियर में कई उतार-चढ़ाव देखे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें भारतीय क्रिकेट के सबसे सम्मानित खिलाड़ियों में से एक बनाया। प्रशंसक उन्हें हमेशा एक ऐसे योद्धा के रूप में याद रखेंगे, जिसने अपनी बल्लेबाजी से बार-बार टीम को मुश्किलों से उबारा।
भविष्य की राह
संन्यास के बाद भी पुजारा क्रिकेट से जुड़े रह सकते हैं। उनकी अनुभवी नजर और तकनीकी समझ कोचिंग या मेंटॉरशिप में महत्वपूर्ण साबित हो सकती है। भारतीय क्रिकेट में उनका योगदान हमेशा याद किया जाएगा। पुजारा की विदाई के साथ ही प्रशंसक उनके शानदार करियर को सलाम करते हैं और उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।
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